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Indian history:भारत का प्राचीन खेल जिससे शरीर रहता था स्वस्थ

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Indian history:भारत का प्राचीन खेल जिससे शरीर रहता था स्वस्थ

 

भारत देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में छोटे बच्चों के लिए खेल के अलग-अलग तरीके इजाद किए गए हैं। जहां बच्चे मनोरंजन के साधन खुद ब खुद ढूंढ लेते हैं और फिर उसे करने लगते हैं। कहानी बच्चों का प्रिय खेल क्रिकेट होता है तो कहीं बच्चे का प्रिय खेल कबड्डी होता है।

खेल की बात करें तो भारत देश में सदियों से खेलने की प्रथम रही है जहां पर खेल की वजह से बच्चे काफी अपना विकास कर पाते हैं और कई बच्चों के साथ एक समूह मिलकर वह अपना जीवन भी जीते हैं।

ऐसे ही एक खेल के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं जिसे खेलने की वजह से पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। वही मानसिक रूप से भी वह सक्षम हो जाते हैं। इसीलिए इस प्रकार के खेल भारत में छोटे बच्चे खेला करते थे।

Indian history : तिगड़ी का खेल 

तिगड़ी का खेल एक ऐसा खेल हुआ करता था जो की बेहद शानदार था बच्चे छोटे से एक पत्थर के टुकड़े को बिना लाइन को टच किए एक पैर से दूसरे आखिरी छोर तक ले जाते थे। इसके बाद उनकी सहनशक्ति और उनकी सफलता को भी यहां गति मिलती थी। इसके अलावा एक पैर से चलने की वजह से पर और शरीर का पूरा हिस्सा मजबूत होता था। आजकल के बच्चे मोबाइल और बैठ के खेलने वाले गेमर की वजह से शारीरिक स्फूर्ति को खो दिए हैं। लेकिन पुराने समय में ऐसे खेलों का आयोजन इसीलिए होता था ताकि बच्चों का विकास सर्वांगीण हो सके।

Indian history : शारीरिक व्यायाम वाले होते थे खेल

आपको बता दें कि पुराने समय में खेलने वाले खेलों में सबसे ज्यादा शारीरिक व्यायाम वाले खेल हुआ करते थे। जहां सभी खेलों में शारीरिक स्फूर्ति मिलती थी और शरीर मजबूत होता था। जहां वे सक्षम बना सकते थे और आगे आने वाले चुनौतियों को वह शुरू से ही अपनी भाप लेते थे। किस प्रकार के खेल लगभग अब भारत देश के छोटे गांव में अभी भी स्थित है।

Indian history : शहरों के लड़कों ने बनाई दूरी

शहर में और गांव में बस यही अंतर है कि गांव के लोगों के मानसिक क्षमता पर तो विकास होता है पर शारीरिक क्षमता में काफी कमी आती है। शहर के बच्चे अक्सर शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं और उसका कारण भी यही है। मोबाइल गेम्स और इंटरनेट के माध्यम से बच्चों का मानसिक विकास तो हो जाता है। लेकिन शारीरिक विकास नहीं हो पता है और उसका सबसे बड़ा कारण छोटे बच्चों के लिए खेल ही है। वह मिट्टी से दूर रहते हैं पत्थर और कंकर को वह हाथ तक नहीं लगते हैं जिसकी वजह से वह प्रकृति से भी दूर हो जाते हैं।

 

निष्कर्ष रूप में हमें यह पता चलता है कि शहर के लोगों में और गांव के लोगों में काफी अंतर है और ज्यादातर हम अपने बच्चों को सिर्फ साफ और स्वच्छ वातावरण में खेलना पसंद करवाना चाहते हैं। लेकिन उसकी वजह से उनके शारीरिक क्षमता में विकास नहीं हो पाता।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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