उद्घाटन से पहले ही खुल गईं परतें, पाली बस स्टैंड में घटिया निर्माण
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
जिले के बिरसिंहपुर पाली में साईं मंदिर के समीप बन रहा नया बस स्टैंड अभी पूरी तरह तैयार भी नहीं हुआ है कि उसकी गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। करोड़ों की लागत से बन रहे इस बस स्टैंड की दीवारों में जगह-जगह दरारें साफ नजर आने लगी हैं। हैरानी की बात यह है कि इन दरारों को ठीक करने के बजाय ठेकेदार ने ऊपर से मलहम-पट्टी कर मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन दरारें अब भी भ्रष्ट निर्माण की गवाही दे रही हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि बस स्टैंड निर्माण शुरू होने के बाद से ही घटिया सामग्री और लापरवाही की शिकायतें सामने आती रही हैं। बावजूद इसके, न तो नगर पालिका के इंजीनियरों ने गंभीरता दिखाई और न ही जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों ने समय रहते हस्तक्षेप किया। नतीजा यह हुआ कि निर्माण कार्य पूरा होने से पहले ही दीवारें जवाब देने लगीं।
बस स्टैंड परिसर में बनाई जा रही दुकानों के पीछे की ओर स्थिति और भी चिंताजनक है। दुकानें बाहर से देखने में तैयार दिखाई देती हैं, लेकिन पीछे की दीवारों में लंबी दरारें साफ देखी जा सकती हैं। यह संकेत है कि निर्माण में न तो मानक सामग्री का उपयोग हुआ और न ही तकनीकी नियमों का पालन किया गया।

सबसे बड़ा सवाल ठेकेदार की भूमिका को लेकर उठ रहा है। क्या निर्माण कार्य में जानबूझकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया? क्या लागत बचाने के नाम पर जनता के पैसों से समझौता किया गया? जानकारों का कहना है कि जिस तरह से दरारें सामने आई हैं, वह सीधे तौर पर निर्माण गुणवत्ता की पोल खोलती हैं।
जब इस मामले में मुख्य नगर पालिका अधिकारी भूपेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कल निरीक्षण किया जाएगा। हालांकि स्थानीय नागरिकों का मानना है कि सिर्फ निरीक्षण से बात नहीं बनेगी। जिम्मेदार ठेकेदार पर कार्रवाई और निर्माण की स्वतंत्र तकनीकी जांच जरूरी है।
गौरतलब है कि इस बस स्टैंड का निर्माण लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि नगर पालिका के इंजीनियर क्या कर रहे थे और भुगतान से पहले गुणवत्ता की जांच क्यों नहीं हुई।
पाली का यह बस स्टैंड अब विकास से ज्यादा भ्रष्टाचार की मिसाल बनता जा रहा है। अगर समय रहते ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह परियोजना जनता के लिए सुविधा के बजाय खतरा बन सकती है।
