माँ शारदा की पदयात्रा पहुँची पाली जयकारों से गूंज उठा नगर
उमरिया तपस गुप्ता
कोतमा से माँ शारदा की भव्य पदयात्रा रविवार को पाली नगर पहुँची। जैसे ही यात्रा ने नगर की सीमा में प्रवेश किया, पूरा शहर जय माँ शारदा और जय माँ बिरासिनी के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धा, भक्ति और सौहार्द से भरे इस अवसर पर नगरवासियों ने माँ की यात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया।
कोतमा से शुरू हुई माँ की छठवीं भव्य यात्रा
माँ शारदा की यह भव्य यात्रा 2 अक्टूबर 2025 को कोतमा बस स्टैंड परिसर से प्रारंभ हुई थी। यह यात्रा अब तक अनूपपुर, बुढ़ार, शहडोल और घुनघुटी होते हुए पाली पहुँची। श्रद्धालुओं के अनुसार यह यात्रा वर्ष 1987 में शुरू हुई थी, जब लगभग 100 श्रद्धालुओं के छोटे से जत्थे ने इसे प्रारंभ किया था। आज यह यात्रा हजारों भक्तों की भागीदारी के साथ आस्था का विशाल उत्सव बन चुकी है।
श्रद्धालुओं ने बताया कि यह इस यात्रा का छठवां आयोजन है। हर वर्ष नवरात्रि के दौरान कोतमा में माँ शारदा की प्रतिमा स्थापित की जाती है और दशहरा के बाद उस प्रतिमा का विसर्जन मैहर स्थित माँ शारदा धाम में पदयात्रा के माध्यम से किया जाता है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि समाज में एकता और भक्ति का सुंदर उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।
पाली में हुआ भव्य स्वागत
पाली पहुँचते ही पूरा नगर भक्तिमय वातावरण में डूब गया। समाजसेवी, व्यापारी, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक बड़ी संख्या में माँ की अगवानी के लिए सड़कों पर मौजूद थे। जगह-जगह श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए चाय, नाश्ता और ठंडे पेय पदार्थों की व्यवस्था की गई।
नगर के नायरा पेट्रोल पंप के पास श्रद्धालुओं को तिलक लगाकर और माला पहनाकर अभिनंदन किया गया। युवाओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर जयकारे लगाए, जिससे वातावरण भक्ति रस में सराबोर हो गया।
माँ बिरासिनी मंदिर में किए दर्शन
यात्रा जब माँ बिरासिनी मंदिर पहुँची, तो श्रद्धालुओं ने विधिवत पूजा-अर्चना की। मंदिर प्रांगण में भक्ति गीतों की धुन और जयकारों की गूंज से वातावरण पवित्र हो उठा। माँ बिरासिनी सेवा समिति की ओर से साईं मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं के लिए नाश्ता और चाय की व्यवस्था की गई।
माँ के दर्शन के बाद श्रद्धालुओं ने माँ बिरासिनी का आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा शुरू की। इस अवसर पर पाली नगर के प्रबुद्ध नागरिकों ने भी श्रद्धालुओं को जलपान कराते हुए उनकी सेवा का सौभाग्य प्राप्त किया।
मुस्लिम समाज ने दिया सौहार्द का संदेश
इस बार यात्रा के दौरान एक खास दृश्य ने सबका ध्यान खींचा। रसीद हाउस के बैनर तले मुस्लिम समाज के लोगों ने भी श्रद्धालुओं के स्वागत में हिस्सा लिया। उन्होंने यात्रा के दौरान पेय पदार्थों का वितरण कर भाईचारे और एकता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। श्रद्धालुओं ने इसे आस्था और सामाजिक सद्भाव की मिसाल बताया।
भक्ति और उत्साह से भरी यात्रा
यात्रा में करीब 4 से 5 हजार श्रद्धालु शामिल हैं, जो माँ के जयकारों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ढोल-नगाड़ों की ताल, झंडों की लहराती कतारें और भक्तों की भीड़ ने इस यात्रा को एक धार्मिक उत्सव का रूप दे दिया। जुलूस में लगभग 8 से 10 श्रद्धालु माँ काली के रूप में सजकर नृत्य करते हुए चल रहे थे, जिससे यात्रा का आकर्षण और भी बढ़ गया।
बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों ने भी भक्ति भाव से इसमें भाग लिया। कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो हर वर्ष यह यात्रा पैदल पूरी करते हैं और इसे माँ शारदा का आशीर्वाद मानते हैं।
मैहर में होगा यात्रा का समापन
पाली से आगे यह यात्रा उमरिया, चंदिया और बरही होते हुए 8 अक्टूबर 2025 को माँ शारदा धाम, मैहर पहुँचेगी। वहाँ श्रद्धालु माँ शारदा देवी के मंदिर में दर्शन कर आल्हा ऊदल तलैया में माँ की प्रतिमा का विसर्जन करेंगे।
पूजा-पाठ और विसर्जन के बाद सभी श्रद्धालु आरक्षित वाहनों से कोतमा के लिए रवाना होंगे। इसी के साथ माँ शारदा की यह छठवीं भव्य पदयात्रा विधिवत रूप से संपन्न होगी।
यह यात्रा न केवल धार्मिक आयोजन है बल्कि आस्था, अनुशासन और भाईचारे का पर्व भी है, जिसने हर जाति और समुदाय को एक सूत्र में बांध दिया है। माँ शारदा की पदयात्रा भक्ति के साथ-साथ सामाजिक एकता और सद्भाव का सशक्त प्रतीक बन गई है।