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भारत छोड़ो आंदोलन: जब 1942 में बलिया, तमलुक और सतारा में बन गई थीं आज़ाद सरकारें

आइये देखते है

अगस्त 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में महात्मा गांधी ने अंग्रेज़ों से तुरंत भारत छोड़ने को कहा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे शक्तिशाली आंदोलन की शुरूआत की. गांधी ने भारत को ‘करो या मरो’ का नारा दिया तो अंग्रेज़ी हुकूमत ने उसका जवाब भारी दमन से दिया.

कांग्रेस की तो पूरी कार्यसमिति को गिरफ़्तार कर लिया गया, साथ ही देश में आपातकाल जैसी स्थिति बनाकर प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिए, कई जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया तथा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों और हड़तालों पर भी रोक लगा दिए.

जर्मनी का आक्रमण झेल रहे यूरोप को लोकतंत्र देने के लिए लड़ाई का दावा करने वाली सरकार भारत में हिटलर जैसा ही फ़ासिस्ट व्यवहार कर रही थी.

लेकिन जनता ने इस बार कमर कस ली थी, करो या मरो का जादुई असर हुआ था. पहले दो दिन पूरी तरह से शांतिपूर्ण आंदोलन हुए थे लेकिन ब्रिटिश हुकूमत ने जब उन पर भी लाठियाँ और गोलियाँ चलाईं तो जनता ने भी पत्थर उठा लिए.

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