टेबल में पैसे रखकर फंसा रहा था चपरासी, बाल बाल बचे डॉक्टर डीके द्विवेदी
सीधी जिले में लोकायुक्त पुलिस के द्वारा कार्यवाही की गई थी जिसमें आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त डॉ डीके द्विवेदी को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि कार्यवाही के बाद डॉक्टर डीके द्विवेदी को छोड़ दिया गया क्योंकि डॉक्टर डीके द्विवेदी ने अपने हाथ से वह पैसे नहीं लिए थे।
दरअसल पूरा मामला शुक्रवार का है जहां पर दोपहर करीब 12:00 बजे से 1:00 के बीच में सुखलाल कोल कार्यालय के अंदर आता है और टेबल में ₹5000 रख देता है। जहां उसके बाद पीछे-पीछे लोकायुक्त की पुलिस की टीम आती है और डॉक्टर डीके द्विवेदी और एक अन्य व्यक्ति को पकड़ लेती है। इसके बाद सर्किट हाउस में ले जाकर कार्यवाहियों का दौर चल रहा होता है। लेकिन जांच के बाद कार्यवाही में डॉक्टर डीके द्विवेदी के हाथों की जांच की जाती है जहां उनके हाथों में किसी भी प्रकार का कोई भी केमिकल नहीं लगा होता है।
वहीं इस पूरे मामले को लेकर सहायक का आयुक्त डॉ डीके द्विवेदी ने जानकारी देते हुए बताया है कि किसी साजिश के तहत मुझे फसाने का कार्य किया गया था। मैने किसी से कोई भी रुपए की मांग नहीं की थी लेकिन फिर भी मुझे इस प्रकार से फसाया गया। जब मेरे पास सुखलाल आया तब वह पैसा देना चाहा लेकिन मैं लेने से इनकार कर दिया।
मैंने यह कहा कि अपना पैसा उठा लो नहीं तो आपके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करवाऊंगा। इतना बोलकर उन्होंने सुखलाल को गेट के बाहर निकाल दिया। लेकिन इतने में लोकायुक्त की टीम आई और उन्हें पकड़ लिया वह कुछ और बोल पाते तब तक लोकायुक्त की टीम ने उन्हें सर्किट हाउस में ले जाकर कार्यवाही शुरू कर दी। लेकिन कार्यवाही के बाद जब उनके हाथों का टेस्ट लिया गया तब उनके हाथ लाल नहीं हुए।
ऐसे में सवाल यही उठता है कि लोकायुक्त पुलिस के द्वारा क्या इस प्रकार की कार्यवाही जायज है
ऐसे कई सवाल मन में लोगों के सामने है लेकिन यह सवाल आज जरूर घेरे में आ गया है कि टेबल में रखे हुए पैसे को भी रिश्वत मान ली जाती है। हालांकि अब इसमें आगे क्या कार्रवाई होती है इस बात का खुलासा तो नहीं हो पाया है लेकिन डॉक्टर डीके द्विवेदी के इन बातों से यह साफ पता चलता है कि इनमें साजिश की बू आ रही है।