Rewa viral : “बाप लैपटॉप नहीं खरीदेगा… चोगी पी जाएगा!” रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा का मंच से ‘नशा प्रेरित’ ज्ञान, कांग्रेस बोली – पहले खुद नशा छोड़ें फिर दें नसीहत
Rewa viral : रीवा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 का सभागार शुक्रवार को शिक्षा और तकनीकी प्रोत्साहन का मंच होना था, लेकिन वहां जो हुआ, उसने पूरे माहौल को एक ‘चुटकुला मंच’ में बदल दिया। क्योंकि मंच पर खड़े थे जनार्दन मिश्रा – रीवा के भाजपा सांसद और अपने ‘मुखर बयानों’ के लिए कुख्यात।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत बच्चों को लैपटॉप राशि बांटी जा रही थी। इसी दौरान, बच्चों को प्रेरित करने की बजाय मिश्रा जी ने ऐसा ‘प्रेरणात्मक वक्तव्य’ दे मारा जिसे सुनकर मंच भी झेंप गया और माइक भी शायद शर्म से कांप उठा।
Rewa viral : विवादित ‘ज्ञानवाणी
‘“एक ठे बाप लैपटॉप नहीं खरीदय वाला आय, उआ चोगी पी लेइ।”
(अर्थात: कोई भी बच्चा इस राशि से लैपटॉप नहीं खरीद पाएगा, क्योंकि उसका बाप यह पैसा गांजा पीने में उड़ा देगा।)
जनार्दन मिश्रा का यह बयान सुनकर कुछ छात्र हंसे, कुछ चुप रह गए, लेकिन शिक्षक और अभिभावक निश्चित रूप से असहज हो उठे। सांसद महोदय ने बच्चों से कहा कि वे अपने माता-पिता से ‘लड़ कर’ यह राशि लैपटॉप खरीदने में लगाएं।
बयान नहीं, ‘सत्य की आंच में तपा ज्ञान’ था – भाजपा नेता
भाजपा के कुछ स्थानीय कार्यकर्ता इस बयान को ‘कटु सत्य’ बता रहे हैं। उनका तर्क है कि “सांसद जी ने जो कहा, वह गरीब तबके की जमीनी हकीकत है। बहुत से मामलों में सरकारी योजनाओं का पैसा सही उपयोग में नहीं आता।”
Rewa viral : लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या गरीबी का मज़ाक उड़ाना, मंच से गालीनुमा भाषा का प्रयोग करना और बच्चों के सामने उनके माता-पिता को नशेड़ी बताना किसी भी जनप्रतिनिधि की गरिमा के अनुकूल है?
कांग्रेस का करारा पलटवार – ‘मनोचिकित्सक दिखाएं सांसद को’
सांसद मिश्रा के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने कहा –“जनार्दन मिश्रा की मानसिक स्थिति ठीक नहीं लगती। उन्हें बच्चों के कार्यक्रम में नशे की चिंता नहीं, अपनी ‘तल्ख़ भाषा’ की जांच करानी चाहिए। पहले खुद बयानबाज़ी का नशा छोड़ें, फिर दूसरों को सलाह दें।
Rewa viral : उन्होंने आगे कहा कि भाजपा नेताओं को लगता है कि गरीब जनता सिर्फ शराब और गांजा पीने के लिए ही बनी है। यह सोच साफ तौर पर न केवल अपमानजनक है बल्कि सामंती मानसिकता को भी दर्शाती है।
आप और सपा ने भी उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी के रीवा जिला संयोजक अरुण तिवारी ने कहा जब सांसद खुद स्कूलों में जाकर टॉयलेट साफ करने के ड्रामे करें और अब बच्चों को बताएँ कि उनके बाप गांजा पीते हैं, तो यह शिक्षा नहीं, ‘राजनीतिक तमाशा’ है।”
समाजवादी पार्टी के नेता रमेश पटेल ने इसे भाजपा की गरीब विरोधी नीति बताते हुए कहा कि “मदद की जगह तिरस्कार देना अब भाजपा की नीति बन चुकी है।”
सोशल मीडिया में बयान बना ‘मीम सामग्री’
सांसद जी के बयान का वीडियो वायरल होते ही ट्विटर और फेसबुक पर मीम्स की बाढ़ आ गई है। किसी ने पोस्ट किया “अब सीएम राशि पर गांजा टैक्स लगेगा!” तो किसी ने लिखा “जनार्दन मिश्रा गरीबों का मनोचिकित्सक, मंच से सीधे इलाज करते हैं!”
पहले भी कर चुके हैं ‘जमीन से जुड़े’ बयान
यह पहला मौका नहीं है जब सांसद जनार्दन मिश्रा ने इस तरह का ‘जमीन से जुड़ा’ बयान दिया हो। इससे पहले वे टॉयलेट साफ करने, डंडे से बच्चों को सुधारने, नहाने के तरीकों जैसे बयान दे चुके हैं। हर बार वह अपनी भाषा को “सीधी-सपाट” कहकर बच निकलते हैं, लेकिन आलोचना से नहीं बच पाते।
अब सवाल ये उठता है
क्या वाकई सभी गरीब अभिभावक नशेड़ी हैं? क्या हर सरकारी योजना का पैसा गलत हाथों में जाता है? या फिर ये सिर्फ एक जनप्रतिनिधि की अपनी ही जनता के प्रति गहरी अवमानना है?
बहरहाल, रीवा का यह कार्यक्रम छात्रों के लिए प्रेरणादायक नहीं, बल्कि ‘व्यंग्यात्मक राजनीति की क्लास’ बनकर रह गया। और सांसद महोदय… उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि मंच उनका है, माइक उनका है और ‘बोलने की मर्यादा’ भी उनकी ही मर्ज़ी पर निर्भर करती है।