Sidhi news:बेलगाम हो गई कुसमी विकासखण्ड की वितरण व्यवस्था
Sidhi news:आदिवासी विकासखण्ड क्षेत्र कुसमी में सहकारिता विभाग की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तरफ जहां सहकारी बैंक के मैनेजर द्वारा उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ प्रशासक पूरे सिस्टम में हावी बनें हुए हैं। गौरतलब हो कि सहकारी संस्थाएं सीधी के रजिस्टार कार्यालय में पदस्थ गणेश चंद्रवंसी जिनका मूलपद सहकारी निरीक्षक है लेकिन वह कभी भी समितियों का निरीक्षण करने नहीं जाते हैं। सूत्र बताते हैं कि वह अपने आवास में ही दफ्तर खोल रखें हैं और बहीं पर विक्रेताओं को बुलाकर कार्यवाही की धमकी देकर वसूली करते रहते है। मिली जानकारी के अनुसार कुछ महीने पहले विक्रेता महेंद्र तिवारी को ताला समिति का प्रभार दिया गया है जबकि शासन के नियम अनुसार किसी विक्रेता को समिति प्रबंधक का प्रभार नहीं दिया जा सकता। लेकिन प्रशासक गणेश चंद्रवंसी द्वारा शासन के नियमो को ठेन्गा दिखाते हुए नियम विरुद्ध पदस्थापना की जा रही हैं। आरोप लगाया गया है कि श्री चंद्रवंशी ने पैसे लेकर विक्रेता को समिति का प्रभार दिया है। हैरानी की बात यह है कि सहकारिता निरीक्षक गणेश चंद्रवंशी के क्रियाकलापों को लेकर कई बार स्थानीय लोगों के साथ साथ विभाग के कर्मचारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत भी की जा चुकी हैं लेकिन आज तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। सूत्र बताते हैं कि श्री चंद्रवंशी पैसे के दम पर विभाग के वरिष्ठअधिकारियों को भी सहज ढंग से मैनेज कर लेता है जिसके चलते शिकायतों का असर।
समितियों से बंधा है मंथली नाम न छापने की शर्त पर प्रशासक गणेश
Sidhi news:चंद्रवंशी की करतूतों को उजागर करने की जानकारी देते हुए कई समिति प्रबंधकों द्वारा बताया गया कि हर माह 20 हजार रुपए की मांग की जाती हैं और जिनके द्वारा यह मुंहमांगी राशि नहीं दी जाती हैं उन्हें अकारण परेशान किया जाता है और जब वह चरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत करता है तो उसका प्रभार ही छीन लिया जाता है। जिसका जीता जागता उदाहरण मझौली विकासखण्ड की ताला समिति बताई जा रही है। यहां प्रशासक ने समिति प्रबंधक को हटाकर समिति का प्रभार विक्रेता को सौंप दिया है, जबकि सहकारिता नियमों में विक्रेता को समिति का प्रभार देने से साफमना किया गया था।
ऋण वितरण में भी कमीशन की मांग
Sidhi news:बहुचर्चित कहावत आप सभी ने सुना होगा अन्धो में काना राजा, इसका मतलब भी लगभग लोगों को पता ही होगा, जिन्हें नहीं पता उन्हें बता दें कि यहां की समूची सहकारिता व्यवस्था लगभग ध्वस्त हो चुकी हैं लेकिन किसी के द्वारा इसके सुधार का प्रयास नहीं किया जाता कारण कि इस पूरी व्यवस्था की निगरानी के लिए सहकारिता विभाग द्वारा जिसे जिम्मेवारी सौंपी गई वह खुद इस भ्रष्टाचार का हिस्सा बन चुके हैं। बताया जा रहा है कि पिछले खरीफ में ताला, डांगा, पोड़े, मझौली, कुसमी, लुरघुटी एवं अन्य समितियों के जुड़ेकिसानों के माध्यम से यह जानकारी सामने आई थी कि प्रशासक द्वारा शासन के आदेश के बावजूद भी केसीसी का लाभ नहीं दिया गया। सिर्फउन्हीं किसानों को केसीसी ऋण का लाभ मिला है जिनके द्वारा सुविधा शुल्क भेट की गई थी। मजे की बात यह है कि अधिकांश किसानों को इसकी जानकारी नहीं है कि उन्होंने जो ऋण लिया है उन्हें यह नहीं पता है कि उनके खाते में कितना पैसा आया और कितना खाते से निकल गया कारण कि साख सीमा एवं ऋण दस्तावेज में पहले से ही बैंक ड्रझवल कोरे में दस्तखत करवा लिया जाता है और बोल दिया जाता है की आपका यह हिस्सा राशि बीमा के लिए कटा है।
अधिकारियों को दी जाती हैं गलत जानकारी
सूत्र बताते है कि प्रशासक गणेश चंद्रवंशी द्वारा विभाग के वरिष्ठ
sidhi news:अधिकारियो को भ्रमित किया जाता है। वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी जाने वाली जानकारी में काफी हेरफेर किया जाता है जिसके चलते विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को जमीनी हकीकत का पता नहीं लग पाता। इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि प्रशासक गणेश चंद्रवंशी द्वारा समिति एवं उचित मूल्य दुकानों का निरीक्षण कभी नहीं किया जाता है। वह अपने आवास पर ऑफिस खोल रखे है और वहीं से पूरे क्षेत्र का संचालन करते है। इस संबंध में कई बार स्थानीय लोगों द्वारा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया जा ना चुका है। प्रशासक की मनमानी के चलते कुसमी एवं मझौली विकासखण्ड में सार्वजनिक वितरण प्रणाली पूरी तरह से बेलगाम हो गई है। साहब सिर्फ उन्हीं पर कार्यवाही करते हैं जिनके द्वारा उन्हें समय समय पर सुविधा शुल्क नहीं पहुंचाई जाती है।