Sidhi news:अभिलेखों में भिन्नता बनी वजह, सांसद पुत्र डॉ. अनूप मिश्रा के एआरटी क्लीनिक लेवल-2 का आवेदन कलेक्टर ने किया निरस्त, नियमों के उल्लंघन पर हुई सख्त कार्रवाई
Sidhi news:जिले में एआरटी क्लीनिक लेवल-2 के पंजीयन को लेकर चल रहा विवाद अब प्रशासनिक निर्णय तक पहुंच गया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी तथा जिला सक्षम एआरटी एवं सरोगेसी प्राधिकारी स्वरोचिष सोमवंशी ने अभिलेखों में पाई गई गंभीर भिन्नता के आधार पर सांसद डॉ. राजेश मिश्रा के पुत्र डॉ. अनूप मिश्रा द्वारा प्रस्तुत आवेदन को निरस्त कर दिया है। इस संबंध में मंगलवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. बबीता खरे ने आधिकारिक जानकारी साझा की।
सीएमएचओ ने बताया कि डॉ. अनूप मिश्रा, प्रथम आई.वी.एफ. क्लीनिक, मिश्रा नर्सिंग होम एंड डायग्नोस्टिक फाउंडेशन, सीधी (म.प्र.) द्वारा एआरटी क्लीनिक लेवल-2 के लिए प्रस्तुत आवेदन क्रमांक MP/AC/2022/12090 की विस्तृत जांच की गई। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि आवेदन पत्र में उल्लेखित जानकारी और समिति के समक्ष प्रस्तुत मूल अभिलेखों के बीच स्पष्ट भिन्नता है। इसी आधार पर सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम 2021 एवं संशोधित अधिनियम 2022 के प्रावधानों के तहत आवेदन को निरस्त करने का निर्णय लिया गया।
Sidhi news:डॉ. बबीता खरे ने बताया कि इस प्रकरण में 9 दिसंबर 2025 को संस्थान के प्रतिनिधि कलेक्टर एवं जिला सक्षम एआरटी एवं सरोगेसी प्राधिकारी के समक्ष उपस्थित हुए थे। हालांकि, उस दौरान भी आवेदन में दर्शाए गए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. दीपक कुमार शर्मा का पंजीयन प्रमाण पत्र एवं शैक्षणिक डिग्री की मूल प्रति प्रस्तुत नहीं की गई। इसके स्थान पर किसी अन्य चिकित्सक के दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, जो आवेदन विवरण से मेल नहीं खाते थे। इसे नियमों का स्पष्ट उल्लंघन माना गया।
सीएमएचओ ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिनियम के नियम 7 के अनुसार यदि संस्था द्वारा भविष्य में नया आवेदन प्रस्तुत किया जाता है, तो पूर्व में जमा की गई आवेदन शुल्क को मान्य माना जाएगा। अर्थात, संस्था को शुल्क पुनः जमा नहीं करना होगा, लेकिन संपूर्ण प्रक्रिया नियमानुसार नए सिरे से पूरी करनी होगी।
गौरतलब है कि इसी पंजीयन को लेकर बीते सप्ताह सांसद डॉ. राजेश मिश्रा के पुत्र डॉ. अनूप मिश्रा और पुत्रवधू डॉ. वीणा मिश्रा जनसुनवाई में पहुंचे थे। उन्होंने 2022 से आवेदन लंबित होने और रीनुअल में देरी का मुद्दा उठाया था, जिसके बाद मामला सुर्खियों में आया। अब प्रशासनिक जांच और नियमों के अनुपालन के बाद आवेदन को निरस्त किए जाने से पूरे प्रकरण ने निर्णायक मोड़ ले लिया है।
