Sidhi news: बाहरी वेंडरों के नाम से फर्जी बिल से राशि हुई आहरित
Sidhi news:जिले में महान नहर संभाग सीधी पहले से ही सुर्खियों में रहा है। यहां गुलाबसागर बांध अंतर्गत जितनी भी मुख्य एवं माइनर नहरें बनी उसमें लंबा घोटाला पहले भी हुआ था अब भी हो रहा है। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी अपनी जेब भरने में तो माहिर हैं लेकिन नहर की मरम्मत सहित अन्य निर्माण कार्यों के नाम पर कोई पहल नहीं कर रहे हैं। जिस वजह से आए दिन शिकायतें मिलती हैं लेकिन सत्ता के नेता अधिकारियों पर दबाव देना उचित नहीं समझते।
Sidhi news:विभागीय सूत्रों का कहना है कि सिंगरौली में स्थानांतरित होकर सीधी आए महान परियोजना के कार्यपालन यंत्री पीके त्रिपाठी द्वारा इससे पहले भी सिंगरौली में गौड़ परियोजना में जून 2019 से मार्च 2020 के बीच 244 करोड़ का भुगतान करने के उपरांत कार्यपालन यंत्री पीके त्रिपाठी महान नहर संभाग के सीधी द्वारा महान नहर का भी फाइनल कर दिया गया है गौड़ परियोजना सिंगरौली का समस्त भुगतान पीके त्रिपाठी के कार्यकाल में ही किया गया है जिसमें की मात्र 40 करोड़ की ही पाइप सामग्री उपलब्ध पाई गई है। महान परियोजना के कार्यपालन यंत्री पीके त्रिपाठी द्वारा केवल बजट खर्च करने के खेल में शामिल हैं। उनका यह सरोकार नहीं है कि मौके पर महान नहर के माइनर नहरों का काम पूरा हो और किसानों को रबी सीजन में बिना किसी व्यवधान के पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध हो सके। वर्तमान में कई नहरों का कार्य आधा-अधूरा है। इनमें माइनर नहर नंबर 12 की 3 सब माइनर नहरों में चार किलोमीटर का कार्य अधूरा है। वहीं माइनरनंबर 18 की सब माइनर नंबर 1 में 500 मीटर एवं माइनर 2 में दो किलोमीटर का कार्य अधूरा है। माइनर नंबर 24 में भी 2 किलोमीटर का कार्य ठेकेदार द्वारा नहीं कराया गया। माइनर नंबर 26 में भी 2 सब माइनर
बननी थी जो नहीं बनाई गई। माइनर नंबर 27 में भी अभी तक 1500 मीटर का कार्य शेष है। महान नहर में 48 से 52 किलोमीटर के डीप कट में पकी चैनल बनानी थी। जो कि ठेकेदार द्वारा नहीं बनाई गई। साथ ही नहर केकिनारे दो हटमेंट बनने थे जो नहीं बने।
Sidhi news: इसीतरह खड्डी लिफ्ट में नहरें पूरी तरह से टूटी हुई है और किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी सही तरीके से नहीं मिलता। माइनर नंबर 15 में भी सीडी खराब है। बताया गया है कि कार्यपालन यंत्री पीके त्रिपाठी सीधी में करीब 8 माह पूर्व आए थे। उसके बाद से महान नहर के संधारण में जमकर लापरवाही एवं मनमानी की जा रही है। ठेकेदारों के माध्यम से माइनर नहरों का जो कार्य कराया जा रहा है उसमें सबसे ज्यादा फर्जीवाड़ा देखा जा रहा है। इसकी कई बार शिकायतें स्थानीय किसानों द्वारा कार्यपालन यंत्री से की जा चुकी है। फिर भी उनके द्वारा मौके पर यह जानने की जरूरत नहीं समझी जा रही है कि माइनर नहरों का कार्य किस तरह से हो रहा है।
व्हीआईपी रेस्ट हाउस में कार्यपालन यंत्री का डेरा
Sidhi news:शहर के गोपालदास बांध के तट पर स्थित व्हीआईपी रेस्टहाउस में महान नहर संभाग के कार्यपालन यंत्री एवं उनके ड्राइवर का डेरा आठ महीने से जमा हुआ है। यह मनमानी इसलिए बनी हुई है क्योकि व्हीआईपी रेस्टहाउस के बड़े अधिकारी कार्यपालन यंत्री है और उनके द्वारा ही नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। दरअसल महान नहर संभाग सीधी के अंतर्गत व्हीआईपी रेस्ट हाउस गोपाल दास बांध के किनारे में बना है जिसमें कार्यपालन यंत्री पीके त्रिपाठी एवं उनके वाहन चालक द्वारा दिनांक 7 मार्च 2024 से आज दिनांक तक कमरा नंबर दो कार्यपालन यंत्री एवं कमरा नंबर 4 में वाहन चालक रह रहे है। क्या कोई शासकीय कर्मचारी को इतने दिनों तक किसी सरकारी विश्राम भवन में रहने की अनुमति मिलती है यदि ऐसा नहीं है तो क्या इनके द्वारा दोनों कमरे का किराया दिया जाएगा और उनके द्वारा सरकारी राजस्व का नुकसान किया जा रहा है। कार्यपालन यंत्री द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर व्हीआईपी रेस्ट हाउस में विगत 8 महीने से कब्जा जैसे किया हुआ है। एवं बिजली पानी का खर्च अन्य सेवाएं मुक्त में ली जा रही है। यह कहां तक उचित है अगर इसकी बारीकी से जांच की जाए तो लाखों रुपए सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। दरअसल महान नहर संभाग के कार्यपालन यंत्री के लिए सरकारी बंगला मौजूद है। फिर भी वे इसलिए वहां नहीं जाना चाहते क्योंकि उनको बंगले में रहने पर अपने से सभी व्यवस्थाएं बनानी पड़ेगी।
नहरों का नहीं हुआ कार्य तो नहीं मिलेगा पानी
Sidhi news:महान बांध की माइनर नहरों का कार्य यदि समय पर पूर्ण नहीं कराया गया तो किसानों की फसलों के लिए रबी सीजन में पानी पहुंचने में दिक्कतें होगी। दरअसल जिन स्थानों में माइनर नहरों का कार्य आधा-अधूरा कराया गया है वहां से पानी आगे पहुंचने में कई तरह की समस्याएं बनी हुई है। इसके अलावा कुछ स्थानों में नहरें थतिवास्त हैं। उनका सुधार भी समय पर पूर्ण कराना काफी आवश्यक है। कार्यपालन यंत्री द्वारा नहरों के सुधार एवं निर्माण को लेकर काफी मनमानी की जा रही है। ठेकेदारों के माध्यम से जो कार्य कराए जा रहे हैं उसमें भारी-भरकम कमीशन वसूली के कारण कार्यों की गुणवत्ता भी सही नहीं है।