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Sidhi news: ठंडक बढ़ते ही गर्म कपड़ों की बढ़ने लगी मांग

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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sidhi news:रजाई एवं गद्दों की भराई का कार्य हुआ तेज

संवाददाता अविनय शुक्ला (7723041705)

Sidhi news: गुलाबी ठंडक बढ़ते ही गर्म कपड़ों की मांग भी तेजी के साथ बढ़ने लगी है। बाजार में गर्म कपड़ों की बिक्री का काम बढ़ने से व्यवसायियों में भी काफी उत्साह देखा जा रहा है। ऊनी कपड़ों की मांग भी शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा रजाई एवं गद्दों की भराई का कार्य शुरू हो गया है।

Sidhi news: सीधी शहर में जगह-जगह रजाई एवं गद्दों की तगाई एवं भराई का कार्य करने के लिए सड़क की पटरियों पर ही दुकानें सज गई हैं। रजाई गद्दे की भराई का कार्य शुरू होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से भी काफी संख्या में महिला एवं पुरूष शहर में पहुंच रहे हैं जिससे उन्हे भी अच्छा कार्य मिल सके। चर्चा के दौरान रजाई एवं गद्दों के व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि उनकी मजदूरी प्रति गद्दा एवं रजाई के अनुसार मिलती है। इस वजह से सभी यह प्रयास करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा गद्दा एवं रजाई की भराई का कार्य पूर्ण किया जा सके जिससे ज्यादा से ज्यादा उन्हे मजदूरी भी मिल सके। गद्दा एवं रजाई भराई के कार्य से जुड़े लोगों द्वारा बाहर से रूई मगाई जाती है। रूई की किस्मे भी कई तरह की होती है। अधिकांश लोग सामान्य रूई की खरीदी करते हैं। सामान्य रूई की कीमत 100 रूपए किलो से लेकर 150 रूपए तक है। उच्च गुणवत्ता वाली रूई की कीमत 200 रूपए किलो से ज्यादा बनी हुई है।

sidhi news: फिर भी लोग अपनी जरूरत एवं क्षमता के अनुसार रूई की खरीदी करते हैं। कुछ वर्षों से मिलावटी रूई भी बाजार में बिकने के लिए आ रही है, इसकी कीमत सबसे कम होने के कारण इसकी मांग भी ज्यादा रहती है। उक्त रूई को कपड़ा मिलो के कचरे के रूप में माना जाता है। जिसका उपयोग भी रजाई एवं गद्दा की भराई में किया जाता है। बाजार में रेडिमेड रजाई एवं गद्दे भी बिकने के लिए तैयार हैं। इनकी कीमतें कम होने के कारण जिनके पास समय की कमी है इसकी खरीदी करते हैं। रेडिमेड रजाई एवं गद्दों में रूई की गुणवत्ता भी काफी कमजोर होती है। इस वजह से चार सौ रूपए से लेकर 12 सौ रूपए नग तक इनकी बिक्री हो रही है। रूई एवं गद्दा रजाई की व्यवस्था में लगे कुछ ग्राहकों ने चर्चा के दौरान बताया कि ठंड की शुरूआत हो जाने के कारण रजाई एवं गद्दा की व्यवस्था करना सबसे ज्यादा जरूरी है। शहरों में भले ही ठंड कम है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई के चलते शाम ढलने के बाद से ही गलन का असर बढ़ने लगता है।

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