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Sidhi news:अरे DEO साहब बिना देखे की दे दी आपने मान्यता

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Sidhi news : खुलेआम नियमों की धज्जिया उड़ा रहा है सरस्वती ज्ञान मंदिर कुसमी

जिला शिक्षा अधिकारी के सह पर हो रहा है यह काम

संवाददाता अविनय शुक्ला (7723041705)

Sidhi news : कहते हैं कि बच्चे भारत का भविष्य है और उन्हें सवाराना शिक्षक के हाथ में होता है ताकि वह अच्छे गुड़वान नागरिक बन सके और अपने क्षेत्र को एक बेहतर प्रगति की दिशा में ले जाएं। लेकिन अगर शिक्षा का स्तर इस तरह गिरा हुआ हो तो सोचिए बच्चों का क्या होगा। हमारे उस भविष्य का क्या होगा जिसे हमने और आपने सोचा है।

Sidhi news : दरअसल यह पूरा मामला सरस्वती ज्ञान मंदिर कुसमी का है। जहा यह स्कूल खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है शासन पैसे लेकर मानता तो देता है लेकिन उसके बाद मान्यता किस शर्त पर दी जाती है उसका ध्यान किसी अधिकारी को नहीं होता है। अगर आपके पास खेल का मैदान नहीं है आपके पास पर्याप्त कमरे नहीं है और प्रशिक्षित शिक्षक के द्वारा आपके स्कूल में नहीं पढ़ा जाता है तो उसे स्कूल की मानता नहीं होनी चाहिए। लेकिन आदिवासी अंचल खुशमी में यह सब अहर्ताएं पूरी न करने के बाद भी सरस्वती ज्ञान मंदिर लगातार चल रही है जिसकी अधिकारी और कर्मचारियों को कोई परवाह नहीं है।

 

जिला शिक्षा अधिकारी ने जब मान्यता दी तब यह सब सुनिश्चित किया कि यहां खेल ग्राउंड से लेकर अन्य सारी व्यवस्थाएं हैं। लेकिन वह सब कागजों तक सीमित होती हुई देखी जा रही है कागजों के अलावा रियल्टी में कुछ भी वहां मौजूद नहीं है। B.ed और D.Ed करने वाले शिक्षक को रखा जाता है लेकिन यहां आपको शायद ही ऐसी कोई शिक्षक मिल पाएंगे बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है। और इसका जिम्मेदार जनपद शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी के साथ तमाम हुए लोग हैं जो इस व्यवस्था से जुड़े हुए हैं।

 

हैरानी की बात तो यह है कि यहां कुसमी मुख्यालय है मुख्यालय से 500 मीटर की दूरी पर यह स्कूल बना हुआ है। तहसीलदार,एसडीएम तथा अन्य अधिकारी भी इसी क्षेत्र से होकर गुजरते हैं लेकिन किसी भी अधिकारी की यहां नज़र नहीं पड़ी है। क्या इसका यह मतलब है कि उनके ही संरक्षण में यह सारे कार्य हो रहे हैं। य वास्तविकता कुछ और है यह बात अभी स्पष्ट नहीं हो पा रही है।

बहरहाल अब देखने वाली बात यह है कि इस पर अधिकारी और कर्मचारियों के द्वारा क्या संज्ञान लिया जाता है. क्या पैसों का खेल यूं ही चलता रहेगा या कुछ अधिकारी या कर्मचारी अपने जिम्मेदारी को समझते हुए इस प्रकार की स्कूलों पर कार्यवाही करेंगे यह तो वक्त ही बताएगा

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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