Sidhi news:ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन की बाल सेना मोगली पलटन आगामी एक अप्रैल से इकतीस जुलाई तक “गागर में सागर” अभियान चलाएगी। इस अभियान का मकसद जल संरक्षण है। अभियान के अंतर्गत मोगली पलटन के बाल सेनानियों द्वारा ऋषिकेश आश्रम, हनुमानगढ़ में पचास पौधों को चुनकर इनकी सिंचाई के लिए मटका सिंचाई पद्धति का सहारा लिया जाएगा। हनुमानगढ़ आबादी और क्षेत्रफल की दृष्टि से सीधी जिले का सबसे बड़ा गाँव है। परंतु पहाड़ी किनारे की बस्तियों में साल के अधिकांश समय पानी की किल्लत बनी रहती है। इसीलिए गागर में सागर अभियान के लिए ये गाँव चुनने का प्रतीकात्मक महत्व है। इस सिंचाई तकनीक में पुराने मटके या घड़ों का उपयोग किया जाता है। मटके के पेंदे में एक छोटा सा छिद्र बनाकर इसमें एक लंबी सुतली आर-पार डाल दी जाती है। सुतली के एक छोर में गाँठ लगा दी जाती है, ताकि सुतली का ये छोर मटकी में अटका रहे। अब इस मटके को पौधे से लगभग एक फिट दूरी पर गाड़ दिया जाता है। सिर्फ मटके का मुँह खुला रहता है। सुतली का दूसरा सिरा पौधे की जड़ों के पास रखा जाता है। इससे पानी की हर एक बूंद पौधे को मिलती है और वाष्पीकरण तथा मृदा जल अवशोषण की मात्रा भी ना के बराबर होती है।
मटका सिंचाई जल उपयोग की पर्यावरण हितैषी, दक्ष , सरल, सस्ती और कारगर तकनीक है। तीन माह तक सिंचाई के बाद एक तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिससे ये उजागर हो सके कि मटका सिंचाई द्वारा कितना जल बचाया जा सकता है। नीति आयोग के अनुसार, भारत में लगभग 60 करोड़ लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं, और हर साल लगभग 2 लाख लोगों की मृत्यु होती है। देश के 21 प्रमुख शहरों में निवासरत लगभग 100 मिलियन लोग जल संकट की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। भारत के लगभग 50% क्षेत्र सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं, विशेष रूप से पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों में। मोगली पलटन का यह अभियान गागर के माध्यम से बूँद-बूँद जल बचाकर गागर में सागर भरने जैसा ही है।