Sidhi news:स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता से जिले में फर्जी पैथलॉजी लैब का कारोवार खूब फल-फूल रहा है। शहर में जिला अस्पताल के सामने, डॉक्टरों के क्लीनिक व नर्सिंग होम के आसपास कुकुरमुत्ते की तरह उपजे पैथोलॉजी लैबों में जहां एक तरफ मरीजों का आर्थिक शोषण होता है, वहीं उनके द्वारा किए गए जांच की गलत रिपोर्ट होने से मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। केवल शहर में दो दर्जन से अधिक पैथोलॉजी लैब संचालित हो रहे हैं। लेकिन इन लैब के पास न तो कोई लाइसेंस है और ना ही कोई डॉक्टर। इसके बावजूद इनका शहर में घडले से संचालन किया जा रहा है। खास बात यह है कि इन लैबों पर जांच के नाम पर मरीजों से मनमाने तरीके से पैसे वसूले जाते है। जिनकी कोई रसीद तक मरीज को नहीं दी जाती।इस संबंध में कुछ मरीजों ने लैब पर हो रही इस अनियमितता शिकायत्त सीएमएचओ व कलेक्टर से लिखित में की है, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई सामने नहीं आई है।
Sidhi news:उल्लेखनीय है कि स्टेट बैंक रोड में आधा दर्जन से ज्यादा पैथालाजी संचालित हो रही है। वहीं कमर्जी रोड में 3-4 पैथालाजी संचालित है। दरअसल यह लैब पूरी तरह से अवैध तरीके से संचालित की जा रही है। क्योंकि न तो इन पर किसी तरह का लाइसेंस ही मौजूद है और जांच के लिए डॉक्टर भी नहीं है। वहीं कुछ लैब टेक्नीशियनों द्वारा भी पैथोलॉजी लैब चलाए जा रहे हैं। लेकिन सबसे संख्या वैसे पैथोलॉजी लैबों की है जिन्हें न तो डॉक्टर चला रहे हैं ना एलटी।बाहर के डॉक्टरों के नाम पर चल रहें हैं लैबः जिले में कुछ ऐसे पैथोलॉजी लैब भी चल रहे हैं जो किसी ऐसे डॉक्टर के नाम पर रजिस्टर्ड है जो यहां रहते तक नहीं है। उन लैबों में नौसिखिए खून निकाल रहे हैं। जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट भी बनाकर दे दे रहे हैं। इतना ही नहीं उस रिपोर्ट पर किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर ले लेते हैं। ये डॉक्टर कौन होता है कोई नहीं जानता। सभी की रिपोर्ट में किसीन किसी डॉक्टर का हस्ताक्षर रहता है। जबकि ऐसे कई जांच है जो सिर्फ एमडी (पैथोलॉजी) ही कर सकते हैं।
Sidhi news:सरकारी सुविधा है, लेकिन समय की पाबंदीः जिला अस्पताल की पैथालॉजी लैब में सभी प्रकार की जांच फ्री में की जाती है लेकिन यहां दोपहर तीन बजे तक ही सैंपल लिए जाते हैं। साथ ही रिपोर्ट इनको 2 बजे के बाद ही मिलती है। इसके बाद बाहर से आने वाले मरीजों को मजबूरी में निजी लैब में टेस्ट कराना होता है। निजी लैब की तरह अस्पताल में चौबीस घंटे जांच की सुविधाएं मिले तो मरीजों को आर्थिक रूप से परेशान नहीं होना पड़ेगा। लेकिन जिम्मेदारों की अभी आंखे नही खुल रही है।