Sidhi news:लोगों को नहीं मिल रही दवाइयां
Sidhi news:सीधी जिले में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित है जो लोगों को सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध कराती है। बाजार से 50 से 90% कम दामों में मिलने वाली यहां दवाइयां लोगों के लिए वरदान का काम करती है लेकिन भारतीय जन औषधि केंद्र सीधी में लोगों को दवाइयां ही नहीं दी जाती है जिसकी वजह से वह बाजार में मोटी और महंगी कीमत पर दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर हैं।
क्यों है जन औषधि केंद्र खास
Sidhi news ‘प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र है जहां सस्ती दरों पर लोगों को दवाइयां दी जाती है। ब्रांडेड दवाइयां महंगी होती हैं और उन्हीं के सब्सीट्यूट में जेनेरिक मेडिसिन का उपयोग किया आम लोगों के लिए फायदेमंद साबित होता है इसके लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में सब्सीट्यूट दवाइयां दी जाती हैं। ताकि जो दवाइयां ₹100 की बाजार में मिलती रहे वह यहां 7 से ₹10 के बीच में भी मिल जाती है। इसके लिए लगभग हर जिले में एक जन औषधि केंद्र का संचालन किया जाता है. ताकि लोगों को इस योजना का लाभ मिल सके और सस्ते दरों पर दवाइयां लोगों के लिए उपलब्ध हो सके।
रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा संचालित की गई है जन औषधि केंद्र
Sidhi news:सीधी जिले में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र का संचालन रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा किया जा रहा है. जिसके सक्रिय सदस्य के रूप में सुरेंद्र मणि दुबे हैं। जिनके नाम पर यहां उन्हें लाइसेंस दिया गया है जिसमें भारतीय जनता पार्टी का सीधा नाम जुड़ रहा है और लोगों को सस्ती दरो पर दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं।
भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी हैं लाइसेंस धारी
Sidhi news:जिले में संचालित जन औषधि केंद्र का संचालन भारतीय जनता पार्टी के जिला मीडिया प्रभारी सुरेंद्र मणि दुबे के द्वारा किया जा रहा है। यह कई वर्षों से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं और भारतीय जनता पार्टी में जिला मीडिया प्रभारी के तौर पर अभी भी कार्य कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के इशारों पर इन्हें लाइसेंस दिया गया है नहीं तो इस लाइसेंस को किसी दूसरे को भी दिया जा सकता था।
कैल्शियम तक कि नहीं मिलती है दवा
Sidhi news:रामकिशोर शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया है कि मैं अपने पिताजी के लिए दवाइयां लेने के लिए गया हुआ था। जहां उनके घुटनों तथा हाथ की कोहनी में दर्द होता था जिसकी वजह से डॉक्टर ने बाहर से कैल्शियम की दवाई लेने मे लिए सजेस्ट किया था। लेकिन जन औषधि केंद्र में गया तो वहां फार्मासिस्ट ने यह कहकर दवाई नहीं दी कि अभी यह स्टॉक आया ही नहीं है। इसी प्रकार प्रशांत पटेल ने बताया कि मुझे टाइफाइड की शिकायत है जहां डॉक्टर ने कुछ दवाइयां अस्पताल से लिखी और कुछ दवाइयां बाहर से लिखी। पर मुझे वहां से कोई भी दवाई नहीं मिली है जिसकी वजह से मुझे बाजार से ₹870 में दवाइयां खरीदनी पड़ी।
भाजपा के चहेतों को दिया गया लाइसेंस
Sidhi news:इस पूरे मामले में कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष ज्ञान सिंह ने जानकारी देते हुए बताया है कि भारतीय जनता पार्टी में करीब 15 वर्षों से सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में ये कार्य कर रहे है। इसके अलावा यह जिला मीडिया प्रभारी भी हैं और इसी वजह से इन्हें यहां का लाइसेंस भी दिया गया है। इसके अलावा कई बार लोगों की शिकायतें भी आई है कि हमें दवाइयां वहां नहीं मिलती हैं जबकि जन औषधि केंद्र में 2000 से ज्यादा तरह की दवाइयां दी जाती हैं. इसके अलावा सर्जरी के 375 इंस्ट्रूमेंट भी दिए गए हैं। लेकिन लोगों को केवल पेरासिटामोल और नॉर्मल खांसी को छोड़कर अन्य दवाइयां जो की कॉस्टली होती है उन्हें नहीं दिया जाता।
डॉक्टर नहीं देते हैं फार्मूला इसलिए नहीं मिल पाती है दवाई
Sidhi news:वही अनुपमा त्रिपाठी ने बताया कि मेरे यहां कैल्शियम की दवाई अभी नहीं आई है। इसलिए मैंने कस्टमर को नहीं दी। इसके अलावा डॉक्टर सिर्फ एक ब्रांड नाम लिखते हैं इसकी वजह से हमें देने में परेशानी होती है। अगर वे फार्मूला लिख दें तो हम उसे फार्मूले के तहत दवाइयां दे सकते हैं। इसी वजह से कुछ कस्टमर को दवाइयां नहीं मिल पाती है और उन्हें लौटना पड़ जाता है।
घुमा फिरा कर दे रहे सुरेंद्र मणि जवाब
Sidhi news:वही लाइसेंस धारी व्यक्ति सुरेंद्र मणि दुबे ने बातों को घुमा फिरा कर जवाब दिया पहले तो उन्होंने कहा कि मेरे नाम से कोई लाइसेंस नहीं है सिर्फ संस्था के नाम से लाइसेंस है। लेकिन आखिरकार उन्होंने स्वीकार किया कि लाइसेंस से धारी वही हैं जिन्हें लाइसेंस दिया गया है। इसके अलावा उन्होंने दवाइयां ना मिलने के बारे में कहा कि डॉक्टर फार्मूला नहीं लिखते हैं जिसकी वजह से हम दवाई नहीं लिख पाते हैं लोग सिर्फ वही दवाइयां मांगते हैं जो डॉक्टर ने लिखी है। साथ ही उन्होंने कहा कि हम बाकी ऐसे ही काम करेंगे। आप रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष कलेक्टर से बात कर सकते हैं या सचिव सीएमएचओ से बात कर सकते हैं।