Sidhi news:सीधी जिले का एकमात्र ऑडिटोरियम जो संजय गांधी महाविद्यालय परिसर में स्थित है, आज खुद अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। यह वही मंच है जहां राजनीतिक दलों से लेकर प्रशासनिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक आयोजनों से लेकर छात्र सम्मेलनों तक सब कुछ होता रहा है, मगर हालत ऐसी है कि न पीने का पानी उपलब्ध है और न बैठने की व्यवस्था। टपकती छतें, टूटी कुर्सियां और जर्जर दरवाज़ों के बीच यह भवन बताता है कि ‘विकास’ का दावा सिर्फ़ कागज़ों में सजा हुआ है।
जिससे सजे थे मंच, अब वही हुआ शर्मसार
Sidhi news:सीधी का यह इकलौता ऑडिटोरियम जिला भर के आयोजनों का मुख्य केंद्र रहा है। लेकिन अब इसकी हालत किसी उजड़े धरोहर से कम नहीं। टूटी कुर्सियाँ, खराब पंखे और बिजली की नाकाम व्यवस्था, बरसात में टपकती छत और बदहाल दीवारें — ये सब किसी प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि जानबूझी गई उपेक्षा की कहानी बयां कर रहे हैं।
प्रशासन, जनप्रतिनिधि और प्रबंधन – सब खामोश!
हर कार्यक्रम में मंच पर बैठने वाले अधिकारी और नेता क्या इन हालातों को नहीं देखते? बार-बार शिकायतों और ज्ञापनों के बाद भी न मरम्मत हुई, न निरीक्षण। छात्र नेताओं का आरोप है कि हर साल बजट आता है, मगर कहां खर्च होता है – इसका कोई हिसाब नहीं।
छात्र नेता शिवांशु बने आवाज़ – कहा, “अब चुप नहीं बैठेंगे”
जब पूरा तंत्र खामोश है, तब छात्र नेता शिवांशु द्विवेदी ने इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठाया है। उन्होंने ऑडिटोरियम की बदहाली के वीडियो सबूत इकट्ठा कर सोशल मीडिया और स्थानीय प्रशासन तक पहुंचाए।
शिवांशु का कहना है “जब बार-बार गुहार लगाने के बाद भी किसी ने नहीं सुना, तब हमने तय किया कि अब इस सड़ांध को उजागर करना ज़रूरी है। यह सिर्फ एक भवन नहीं, पूरे जिले की पहचान का सवाल है।”
क्या सिर्फ जेबें भरने के लिए आते हैं फंड्स?
Sidhi news:जमीनी पड़ताल से यह साफ हो गया कि ऑडिटोरियम में वर्षों से कोई मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। टॉयलेट बंद पड़े हैं, दीवारों से प्लास्टर उखड़ रहा है और हर कार्यक्रम में आयोजकों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। ऐसे में सवाल उठता है कि करोड़ों का फंड आता कहां है?
अब तो कार्रवाई हो — जनता की सीधी मांग
छात्र, शिक्षक और जागरूक नागरिक अब एक सुर में कह रहे हैं — “अब बहुत हुआ!”
सरकार को चाहिए कि ऑडिटोरियम की मरम्मत के लिए तत्काल बजट स्वीकृत कर निर्माण कार्य शुरू करे। साथ ही, अब तक लापरवाह रहे अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाए।
सवाल सिर्फ एक भवन का नहीं, पहचान का है
Sidhi news:यह मुद्दा सिर्फ एक इमारत का नहीं, सीधी जिले की सांस्कृतिक, शैक्षणिक और सामाजिक गरिमा का है। अगर एकमात्र सार्वजनिक मंच की यह दशा हो और कोई जिम्मेदार न हो, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, प्रशासनिक विफलता की जीवंत तस्वीर है।
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