Sidhi news: नए साल में न हो जो होता चला आ रहा है। बहुत कुछ है जिसका विकाश न हो, है शेष बहुत जिसका विकाश हो। नए साल का ढर्रा पुरानें जैसा न हो। सूरज कि हमारे हिस्से कि किरण कोई तो है रोक रहा? हमारे दिए के टिम-टिमाने पर पहरा शंका और आशंका को करता गहरा।
सेकेण्ड, मिनट, घंटा, दिन, हप्ता महीना, साल गया आया कैलेंडर नया आया।
*बीते साल का दस्तूर नए साल में क्या फिर से -*
• एक नई आदिवासी बस्ती उजाड़ने का पैगाम लाएगा
• कई कई गांव वीरान करने फरमान लाएगा
• किसान पर घात होता जायेगा
• यूवा, रोजगार को मोहताज होता जायेगा
• मंत्री, सांसद, विधायक कोठी, बगला, भूमि से धन-धान्य होता जायेगा
• सरकारी मुलाजिम और बड़ा ज़ालिम हो जायेगा
• नशे का करोवार और घनघोर हो जायेगा
• भू माफिया, खनन माफिया, शराब माफिया और बेलगाम हो जायेगा
क्या नया साल चिल्लपों कि वाकवास रह जायेगा?
*आवादी 100% के आदिवासी गाँव धनिगवां कि चिंता*
हमारा फरिका (चौगान), कोलिया, पछीत, ओसरा (ओसारी), पटौहा (सोने का कमरा), मुड़हर (रसोई ), जेऊनहरा तो उसी जमीन पर है जिसके नीचे चुनापत्थर का खजाना है।
चिंता है कि नए साल में हमारे गाँव को भी पीसकर सीमेंट न बना लिया जाय या जलाकर चूना न बना दिया जाय या पेरकर गिड्डी कर दिया जाय।
बीत रहे साल में हमारे पडोसी 12 गाँव चूना पत्थर के लिए चिन्हित हो चुके है।
नया साल पुरानी तकरार! चिंता है पर चुनौती नए साल कि कबूल है!
*उमेश तिवारी सीधी (म. प्र.)*