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Sidhi news:कछुआ जीतेगा, खरगोश हारेगा,कछुआ चाल साइकल रैली को एक साल पूरे

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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Sidhi news:जेनेरिक दवाओं के प्रति जागरूकता के लिए ऋषिकेश फाउंडेशन की बाल सेना द्वारा साइकल रैली निकाली गई। मोगली पलटन द्वारा मिशन रामबाण के तहत हर माह के प्रथम रविवार को कछुआ चाल रैली निकाली जाती है। इस शृंखला में यह बारहवीं रैली थी। ऋषिकेश फाउंडेशन के प्रवक्ता ने कहा है कि बचपन से हम सब एक कहानी सुनते-सुनाते आए हैं। खरगोश और कछुए की कहानी। घमंडी खरगोश फुर्तीला और तेज होने के बावजूद दौड़ में हार जाता है। जबकि रेंगने वाला कछुआ अपनी दृढ़ता, संयम और सहजता के कारण जीत जाता है। 

Sidhi news:यह तो हुई कहानी की बात। पर रोजमर्रा की सच्चाई कुछ और ही है। हर तरफ रैबिट-रेस मची हुई है। हर किसी को खरगोश बनने की होड़ है। कछुआ चाल किसी को रास नहीं आती है। कोई पहाड़ों को लीले ले रहा है, तो कोई नदियों को ही गटकने पर आमादा है, मिट्टी बांझ हो रही है, जंगल कटते जा रहे हैं। घोसले उजाड़े जा रहे हैं, हिरण मारे जा रहे हैं। इधर हरित क्रान्ति हो रही है और उधर देश डायबिटीज की विश्व राजधानी बन गया, पंजाब में कैंसर ट्रेन चलने लगी। ट्यूबवेल धरती की छाती हजारों फिट तक चीर गया फिर भी खेत सींचने को पानी नहीं। खेती और मवेशियों का रिश्ता टूट गया ,आवारा पशु सड़कों और खेतों में पहुंचने लगे। एक तरफ गगनचुम्बी अट्टालिकाएं हैं,तो दूसरी तरफ बदबूदार नालों के किनारे की झुग्गियां। एक तरफ पांच सितारा होटलों में महाभोज है,तो दूसरी तरफ कुत्ते और बच्चे एक साथ जूठन चाट रहे हैं।

इस भयानक खब्बू प्रवृत्ति को एक लंबे समय तक विकास माना जाता था। हर कोई इस पशुभोज का अधिक से अधिक हिस्सा लूटने पर आमादा था। लेकिन इस ख़ब्बूपन ने बच्चों के दोस्त छीन लिए, उनके खेल के मैदान घेर लिए, सुतरी-डंडा खेलने के लिए ना चढ़ने को पेड़ रहे ना झूलने को डालियाँ, इस विकास ने इस मासूमों को *गैरजमानती मोबाईल कारावास* दे दिया है। अकेलापन और अवसाद इस पीढ़ी का न्यू नार्मल है।

Sidhi news:न्यू ईयर की मतवाली रात के धमाकों ने सोते कबूतर उड़ा दिए, मोबाईल की तरंगों ने गौरैया के घोंसले फूंक दिये; इस रैबिट रेस ने बाघों की खाल उतार ली, हाथियों के दाँत उखाड़ लिए और हिरणों की सींग दीवारों पे टाँग दी। बात यहीं पर नहीं रुकी धीरे धीरे यह विकास मानव अस्तित्व के लिए ही संकट बनने लगा। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरे सामने आने लगे। दुनिया भर में अमीर और गरीब की खाई बढ़ने लगी। पूरी दुनिया अब “सब-कुछ” और “बिन-कुछ” के खेमों में बंट गई है। ये बँटवारा कभी भी घातक संघर्ष का रूप ले सकता है।

Sidhi news:फ़ाउण्डेशन के प्रवक्ता ने कहा है कि हम अब भी नहीं जागे तो ये रैबिट रेस सब रौंद डालेगी। अब हमें क़सम खानी होगी कि हम खेतों को आराम देंगे,पहाड़ों के घाव भरेंगे, जंगलों को घना होने देंगे, नदियों को बहने देंगे, रोटी में सबका हिस्सा होगा, सबके सर पे छत होगी। बच्चों को मोबाईल की यातनाप्रद क़ैद से रिहाई दिलानी होगी, उनके यार और सखियाँ लौटाने होंगे, उनके खेल के मैदान ख़ाली करने होंगे। संसार का कोई भी “ए आई” रोटी डाउनलोड नहीं कर सकता, गेहूँ खेत में ही उगेगा। मोगली पलटन इस दिशा में एक बहुत छोटी सी पहल है। बच्चों ने अपना जिम्मा ले लिया है, अब आपकी बारी है।

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