Sidhi news:कागजी घोड़ों से जमीन पर नही उतर पाये संसाधन-तड़पती रह गई प्रसूताएं
Sidhi news:अलविदा कहता वर्ष 2024 अच्छी बुरी यादों के साथ बीत रहा है। इससे और दुखद क्या होगा जब गर्भवती अपनी यहां आने के बाद कोख नहीं बचा सकी है। इतना ही नही स्वस्थ्य बच्चों को जमीन में गिरा देने के बाद मौते होने का मामला भी सामने आये है। स्वास्थ्य सेवाओं का अकाल जनता को सालता रहा है। हद तो यह है कि पूरा साल बीत गया लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार कागजी घोड़ों से जमीन पर नहीं उतर पाया। संसाधनों का अभाव अस्पतालों की बदहाली को बखूबी बयां कर रह रहा है। पूरे वर्ष जिला अस्पताल अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में बना रहा है। यहां सबसे ज्यादा फजीहत गर्भवतियों के साथ प्रबंधन द्वारा की गई है। कई बार तो प्रसव वेदना से तड़प रही गर्भवतियों को देखा तक नहीं गया और उनको व परिजनो को दुत्कार कर गेट के बाहर कर दिया जाता रहा है। कई बार गर्भवतियों को एम्बूलेंश की सुविधा नहीं मिली जिससे उनको ठेलो में परिजन जिला अस्पताल पहुंचने को विवश हुए है। इतना हीनही स्वास्थ्य सुविधाओं की हालात अब भी बद से बदतर देखी जा रही है न तो खंड मुख्यालयों की हालत सुधरी है न ही जिला अस्पताल की बावजूद इसके जिम्मेदारों को अभी कोई चिंता नही दिख रही है।
*कुर्सी का चलता रहा खेल*
Sidhi news:सविल सर्जन की कुर्सी के लिए जमकर मारामारी रही है यहां मौजूद डाक्टर अपने कर्तव्यों को भूलकर कुर्सी का खेल खेलने में व्यस्त रह गए जिससे यहां की व्यवस्थाएंसुधरने का नाम नहीं ले रही है। कुर्सी का यह खेल अब भी जारी है जिसके चलते अस्पाल की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
*जनप्रतिनिधियों का नही है ध्यान*
Sidhi news:जिला अस्पताल की बेजान हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर किसी भी तरह का ध्यान नहीं जा रहा है। यहां की व्यवस्थाओं से जनप्रतिनिधियों ने पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है। जिला अस्पताल में सिर्फ शासकीय बजटों का हेरफेर करने तक प्रबंधन सीमित देखा जा रहा है। नये वर्ष में इस तरह की कोई तस्वीर सामने न आये जिससे शर्मसार होना पड़े।
*रात सात बजे के बाद नही होता सीजर*
Sidhi news:जिला अस्पताल में शायं 7 बजे के बाद अगर कोई गर्भवती रेफर होकर आती है या सीधे आती है तो उसे तत्काल रीवा मेडिकल कालेज के लिए रेफर कर दिया जाता है। यहां बताया जाता है कि रात के समय सीजर नही किये जाते है जो एनीस्थीसिया के डाक्टर वह रात के समय निजी क्लीनिकों में सेवाएं देने जाते है जिसके कारण वह रात में जिला अस्पताल नहीं पहुंच पाते है। इस तरह के संवेदनशील मुद्दे पर सिविल सर्जन खुद अपने आप को असहज पाती है।
*प्रसव वेदना होने पर कर दिया गया था रेफर*
Sidhi news:विगत दिनो शाम को सीधी जिला अस्पताल पहुंचने पर एक महिला की हालत और बिगड़ गई। जिला अस्पताल के मेडिकल स्टाफने उसे रीवा के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल रेफर कर दिया। रीवा लगभग 70 किमी दूर है। परिवार जब उसे रीवा ले जाने की तैयारी कर रहा था, तभी उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। महिला को तत्काल देखभाल की जरूरत थी, लेकिन वह अस्पताल के बाहर स्ट्रेचर पर ही रही। कुछ महिलाओं ने साड़ियों से एक अस्थायी पर्दा बनाया। उसी के नीचे महिला ने बच्ची को जन्म दिया। दुख की बात है कि नवजात बच्ची तत्काल ही मर गई। इस घटना के बाद, महिला के परिवार ने अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। महिला के रिश्तेदार ने बताया कि गर्भवती गंभीर हालत में थी और उसे तत्काल चिकित्सा की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों ने उसे भर्ती करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उसे रेफर कर दिया गया है और उसे वापस नहीं लिया जा सकता। जब हमने मदद की गुहार लगाई तो सुरक्षा गार्डों ने हमारे साथ मारपीट भी की।
*डिलीवरी होने के बाद बच्चा गिरा फर्स में*
Sidhi news:सीधी शहर के कोटहा की रहने वाली गुड़िया प्रजापति को डिलीवरी के लिए सीधी जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था उसने जैसे ही बच्चे को जन्म दिया, वैसे ही बच्चा फर्श पर गिर गया इससे उसके सिर में गंभीर चोट आई इस वजह से उसने वहीं दम तोड़ दिया इसकी जानकारी लगते ही महिला के परिजन भड़क गए उन्होंने अस्पताल में हंगामा मचा दिया पीड़ित महिला गुड़िया ने बताया, मेरे अगल-बगल सिर्फ एक नर्स थी मैंने पानी मांगा तो नहीं दिया मैंने उनसे कहा कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मरे घरवालों को बुला दो लेकिन, नर्स नहीं मानी उसने कहा मैं हूं तो किसी और की जरूरत नहीं नर्स ने किसी को भी अंदर नहीं आने दिया इतने में मुझे दर्द शुर हो गया चूंकि नॉर्मल डिलीवरी थी तो बच्चा बाहर जमीन पर गिर गया उसका पीछे से सिर फट गया, उसकी वहीं मौत हो गई।