Sidhi news:जिले में 10 माह पूर्व राज्य शिक्षा केन्द्र में लाखो का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था जिसको लेकर तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ द्वारा टीम का गठन कर तीन दिवस में प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गए थे,।
संवाददाता-: अविनय शुक्ला
टीम ने जांच जरूर की लेकिन एकाउंटेंट को दोषी बनाकर जांच बंद करने की सिफारिस की गई थी। लेकिन अब एकाउंटेंट ने शपथ पत्र देकर गुहार लगाई है कि सबकी सहमति से यह खेल हुआ था। उल्लेखनीय है कि शासकीय स्कूलों में
Sidhi news:आवश्यक सामग्री की खरीद-फरोख्त सहित आवश्यक कार्य के लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा बजट उपलब्ध कराने के साथ ही उसे खर्च करने के लिए बनाए गए डीजीजीओव्ही पोर्टल में फर्जीवाड़ा कर लाखों का घोटाला करने वाले कर्मचारी पर अधिकारी मेहरबान हैं। बता दें कि स्कूलों के प्राचार्यों और प्रधानाध्यापकों को भनक तक नहीं लगी और उनका आईडी पासवर्ड विभाग के कर्मचारी द्वारा उपयोग कर लाखों रुपए वेंडर को भुगतान कर दिया गया था। जब पोर्टल से राशि गायब हो गई तो प्राचार्यों और प्रधानाध्यापकों को इसकी जानकारी हुई। मामले की शिकायत की गई तो तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ राहुल नामदेव धोटे द्वारा आनन-फानन में जांच कमेटी का गठन किया गया। जिसमें राजेश तिवारी डीपीसी को अध्यक्ष, सुजीत मिश्रा प्रभारी अधिकारी एवं रविन्द्र त्रिपाठी प्रोग्रामर को को सदस्य बनाकर तीन दिवस में जांच करने के निर्देश दिये गए थे। तब जांचटीम द्वारा सिर्फ एकाउंटेंट को दोषी बनाकर जांच बंद करने की सिफारिस की गई थी। जबकि सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में रमसा प्रभारी डॉ सुजीत मिश्रा की अहम भूमिका है। यह भी बताया जा रहा है कि पिछले वित्तीय वर्ष में लाखों रूपये का भ्रष्टाचार हुआ है अगर पिछले वित्तीय वर्ष की भी जांच होगी तब इनके चेहरे बेनकाब हो जायेगें।
Sidhi news:शपथ पत्र देकर बताई थी सच्चाई / जिला शिक्षा केन्द्र के लेखापाल नीलेश कुमार नामदेव ने 100 रूपये के शपथ पत्र में उल्लेख किया था कि जिस जबाव में मेरे हस्ताक्षर कराये गए थे उक्त जबाव मेरे द्वारा नही तैयार किया गया था एवं न ही इस प्रकार का कथन मेरे कहा गया वहन जांच समिति द्वारा पूर्व से ही तैयार जबाव पर प्रार्थी को दबाव देकर एफआईआर का भय दिखाकर हस्ताक्षर कराया गया था। पूर्व में संलग्नजबाव में राशि अंतरण सम्र्पूण रूप से प्रार्थी को जिम्मेदार ठहराया गया है जो पूर्णतः सत्य नही है। जबकि प्रार्थी राशि अंतरण के लिए लागिन आईडी एवं पासवर्ड प्रार्थी को जारी नही किया गया था। जिसके बाद उक्त मामले को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे है।
सबके संज्ञान में ट्रांसफर की गई राशि
Sidhi news:किसी भी विभागीय राशि को किसी बैंक खाता में अंतरण के लिए आईडी एवं पासवर्ड उपयोगकर्ता मेकर के पश्चात् व्हेरीफायर द्वारा व्हेरीफाईड कर दिये जाने के बाद एप्रूवर द्वारा अंतिम निर्णय दिये जाने पर ही राशि का अंतरण होता है। इस प्रकार अलग-अलग तीन चरणों में कार्य की दशा में मात्र प्रार्थी को ही सम्पूर्ण रूप से राशि अंतरण में शामिल होना सिद्ध किया गया, जो सत्य नहीं है। उक्त राशि अंतरण के लिये दिलीप कुमार पाण्डेय कम्प्यूटर ऑपरेटर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (रमसा) सीधी एवं दयाशंकर सोनी लिपिक जनपद केन्द्र कुसमी इसी प्रकार अन्य विकासखण्ड के मेकर एवं आईए एडमिन प्रभारी के द्वारा लॉगिन आईडी एवं पासवर्ड राशि अंतरण हेतु उपलब्ध कराया गया था, जिनके निर्देशन एवं संज्ञान में राशि अंतरण की कार्यवाही की गयी।