प्रश्नों से दूरी, उपलब्धियों की सूची और जल्दबाजी में समापन, उमरिया में प्रभारी मंत्री की प्रेस वार्ता पर उठे सवाल
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
उमरिया में जिला प्रभारी मंत्री और प्रदेश शासन के अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री श्री नागर सिंह चौहान की प्रेस वार्ता अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी। जिला पंचायत सभागार में आयोजित यह पत्रकार वार्ता पहले ही देरी का शिकार हो गई और अंततः औपचारिकता बनकर रह गई। तय समय और वास्तविक आयोजन के बीच का अंतर, साथ ही सवालों से बचने का आरोप, चर्चा का विषय बन गया।
जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकारों को दोपहर 12:30 बजे का समय दिया गया था। तय समय पर मंत्री के न पहुंचने से पत्रकार सभागार में इंतजार करते रहे। बताया गया कि मंत्री की बैठक लंबी चलने के कारण प्रेस वार्ता में देरी हुई। करीब एक घंटे के इंतजार के बाद कुछ पत्रकार नाराज होकर लौटने की तैयारी में थे। स्थिति बिगड़ती देख जनसंपर्क अधिकारी ने हस्तक्षेप किया और प्रेस कॉन्फ्रेंस जल्द शुरू कराने का आश्वासन दिया।
लगभग 1:30 बजे प्रेस वार्ता शुरू हुई। मंत्री ने मंच संभालते ही प्रदेश सरकार और भाजपा की उपलब्धियों को गिनाना शुरू किया। योजनाओं, विकास कार्यों और सरकारी प्रयासों पर विस्तार से बात की गई, लेकिन स्थानीय मुद्दों पर संवाद सीमित रहा। जैसे ही पत्रकारों ने उमरिया जिले से जुड़ी जन समस्याओं, प्रशासनिक खामियों और लंबित मांगों को लेकर सवाल पूछे, मंत्री के जवाब गोल-मोल बताए जा रहे हैं।
पत्रकारों का कहना है कि कुछ सवालों का जवाब विषय से हटकर दिया गया, जबकि कई अहम सवालों पर स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं मिली। जब अन्य पत्रकारों ने क्रमवार तरीके से जन सरोकारों पर प्रश्न पूछने शुरू किए, तो बिना संतोषजनक चर्चा के ही प्रेस वार्ता समाप्त कर दी गई।
इस घटनाक्रम के बाद पत्रकारों में असंतोष देखा गया। उनका मानना है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य केवल उपलब्धियां गिनाना नहीं, बल्कि मीडिया के माध्यम से जनता के सवालों का जवाब देना भी होता है। स्थानीय पत्रकारों ने इस रवैये को जन समस्याओं के प्रति उदासीनता बताया।
