mother’s innocence:प्रकृति की गोद मे फल फूल रहे भालू,
देखे मादा भालू के अपने बच्चे के साथ आठखेलिए करने की तस्वीरे
मध्यप्रदेश के जंगलों मे इन दिनों भालूओ की प्रजाति बड़ी संख्या मे फल फूल रही है, जंगलो मे भालूओ के लिये अनुकूल वातावरण और शासन द्वारा वन्य जीवो के संरक्षण के उठाये गाये कदम इसकी एक मुख्य बजह है हाल ही मे रायसेन जिले के सामान्य वन मण्डल के जंगलों से मादा भालू के अपने बच्चे के साथ खेलते हुऐ के फोटो वन विभाग के कैमरे मे कैद हुऐ हुऐ है चलिए जानते है इन शर्मिले और संबेदनसील भालूओ के बारे मे
mother’s innocence: रायसेन -भालू अक्सर गुफाओ मे अपना आसियाना बना कर रहने वाले,भारी भरकम दिखने के बाबजूद तेज़ रफ़्तार से दौड़ने के साथ इन्हे पेड़ो पर चढ़ने में महारत हासिल है। यह गहरे पानी में भी बखूबी तैर सकते है। यहां वन्य जीव झुंड के बजह अकेला रहना पसंद करते है केवल बच्चे जनने के लिये ही नर और मादा भालू साथ आते है!एक बर बच्चा पैदा हो जाने के बाद ये फिर अलग हो जाते है।
बच्चा कुछ समय तक अपनी माँ के साथ रहता है। इस दौरान मादा भालू बड़ी सम्बेदनशील होती है। ज़रा भी खतरे का अहसास होने पर ये हमला करने से नहीं चूकती है। हलाकि ये दिन के समय ही सक्रिय होते है पर कभी कभार खाने की तलाश मे रात मे भी सक्रिय हो जाते है। इनके सुघने की शक्ति तीव्र होती है।
भालूओ की कुछ प्रजातिये सर्दी के समय निष्क्रिय अर्थात सर्दी के समय सोते हुऐ गुजरती है। पर भारत मे पाये जाने वाले ज्यादा तर भालू भूरे या काले रंग के होते है जो सर्दियों के मौसम मे भी सक्रिय रहते है। जो पहाड़ो की गुफाओ मे और मिट्टी मे गहरे गड्ढे बनाकर रहते है। भालुओं को ज्यादातर शहद पसंद। होती है जिसकी तलाश में यह अपनी नाक का उपयोग करते हैं।
इनकी नाक दूर तक की गंध को महसूस कर सकती है जो शहद ढूंढने में इन्हें मददगार साबित होती है। एक बार सेहत के बारे में मालूम चल जाने पर यह अपने बड़े नाखूनों और मजबूत हाथ पैरों की मदद से ऊंचे ऊंचे पेड़ों पर भी चढ़ जाते हैं।
भालुओं के संरक्षण और इनके शिकार की रोकथाम करने के लिए शासन ने कई कड़े कानून बनाए हैं। वही वन विभाग द्वारा वन्य क्षेत्र में इन्हें अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के साथ गर्मी के मौसम में पानी की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए पोखरों का भी निर्माण कराया गया है।
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सामान्य वन मंडल के अंतर्गत आने वाली अधिकांश रैंजो के वन क्षेत्र में लगभग 100 से अधिक भालुओं का कुनबा बढ़ गया है। इन भालुओं के शर्मीले स्वभाव के कारण बहुत कम ही है कि इनका सामना हो पाए पर भालुओं और वन्य जीवों के संरक्षण और सुरक्षा की दृष्टिगत वन क्षेत्र में लगाए गए कैमरो मैं इनकी ताजा तस्वीर सामने आई हैं। जिसमें मादा भालू अपने बच्चों को कंधे पर बिठाकर घूमते हुए कमरे में कैद हुई है।
वही वन विभाग द्वारा बनाए गए जल पोखरों में वन्यजीवों के पानी पीते हुए का परिदृश्य देखने को मिला है। इस संबंध में वन विभाग के उपवन मंडल अधिकारी सुधीर परते और सामान्य वन मंडल के वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रवेश पाटीदार ने जानकारी देते हुए बताया कि भालू काफी संवेदनशील प्रजाति होती है। यह अक्सर अकेले ही वन में रहा करती है। इनके संरक्षण के लिए वन अमला हमेशा तत्पर रहता है।
हाल ही में गर्मी के मौसम में नदी तालाब सूख गये हैं। ऐसे में वन्यजीवों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए वन विभाग द्वारा जल पुत्रों का निर्माण कराया गया है। इनमें पानी की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए समय-समय पर पानी के टैंकरों के माध्यम से जल पोखरों को भर जाता है। शाम के समय अक्सर वन्य जीव यहां आकर अपनी प्यास बुझाते हैं।
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