Bandhavghar : हाथियों की टेरिटरी बन गया है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र, पर्यटकों को भी लुभाने लगे हैं हाथी
उमरिया तपस गुप्ता
Bandhavghar : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र सिर्फ बाघ और छोटे जंगली जानवरों का घर नहीं है बल्कि यह बड़े जंगली जानवर हाथियों का भी घर बनता हुआ अब नजर आ रहा है। हाथियों के लिए अनुकूल वातावरण और परिस्थिति को पैदा करने वाला यह क्षेत्र हाथियों का गढ़ बन गया है। जहा अब हाथियों से अछूता नहीं है, अभी तक टीवी और इंटरनेट के माध्यम से संभाग वासियों को जंगली हाथियों के दर्शन होते थे, लेकिन अब जंगली हाथी शहडोल संभाग के किसी भी जिले पर कभी भी नजर आ जाते हैं। आपको बता दे की ये हाथी पिछले कुछ ही सालों में कुछ इस कदर सुर्खियां बटोर चुके हैं, जिसके बाद उन्होंने शहडोल संभाग में अपना एक अलग स्थान बना लिया है, उमरिया जिले का बांधवगढ़ उनका अब स्थाई पता बन चुका है, साथ में शहडोल और अनूपपुर जिले में कभी भी इनका मूवमेंट हो जाता है।
Bandhavghar : जहा अब इन हाथियों को लेकर बड़ा प्लान भी तैयार किया जा रहा है, जिससे ना तो हाथियों का कोई नुकसान हो और ना ही हाथियों की वजह से आम जनजीवन परेशान हो।
Bandhavghar : इतना ही नहीं प्रकृति का अगर शानदार नजारा देखना हो तो अद्भुत मध्य प्रदेश के शहडोल संभाग से बेहतर जगह कोई नहीं हो सकती है, संभाग के सभी जिलों में घनघोर जंगल शहडोल संभाग का उमरिया जिला बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के लिए अपनी एक खास पहचान रखता है और ये बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व बाघों की दहाड़ के लिए जाना जाता है, लेकिन अब हाथियों के लिए भी अपनी ये खास पहचान बना चुका है। हलाकि पिछले कुछ ही सालों में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों ने अपना स्थाई पता बना लिया है या यूं कहें की पूरे मध्य प्रदेश में हाथियों की सबसे पसंदीदा जगह में से एक है बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व और इसके अलावा शहडोल और अनूपपुर जिले के भी कई क्षेत्रों में अक्सर हाथियों का मूवमेंट देखने को मिल जाता है कभी भी कहीं से भी यहां हाथी विचरण करने पहुंच जाते हैं कुल मिलाकर देखा जाए तो शहडोल संभाग अब हाथियों का गढ़ बन चुका है और इस संभाग की पहचान हाथियों की वजह से भी होने लगी है।
हाथियों की डिजिटल मॉनिटरिंग
Bandhavghar : जंगली हाथियों के हर एक मूवमेंट पर नजर रखने के लिए अब हाथियों को लेकर बड़ा प्लान तैयार किया जा रहा है जिसके तहत हाथियों के हर एक मूवमेंट की मॉनिटरिंग की तैयारी हो रही है और इसके लिए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ ने नोडल केंद्र चुना है, जहां जंगली हाथियों की मॉनिटरिंग के लिए डिजिटल हाईटेक कंट्रोल रूम तैयार किया जा रहा है, इसके कुछ दिनों में तैयार हो जाने की उम्मीद है, इस हाईटेक डिजिटल मॉनिटरिंग सेंटर को लेकर कहा जा रहा है कि ये आधुनिक संसाधनों से लेस होगा, इसमें हर तरह की सुविधा होगी, एक कंट्रोल रूम की तरह ये काम करेगा, और हाथियों की हर गतिविधि पर नजर रखने के साथ ही उनकी जानकारी प्राप्त कर ग्रामीणों को होने वाले नुकसान से बचाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुना गया
Bandhavghar : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा बताते हैं कि जंगली हाथियों के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सेंटर बनाई जा रही है जो कुछ दिनों में तैयार हो जाएगी यह पूरी तरह से हाईटेक कंट्रोल रूम होगा इसमें हाथियों के हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी अत्याधुनिक तरीके से जीपीएस लोकेशन आदि के माध्यम से हाथियों के हर एक मोमेंट की जानकारी निकाली जाएगी उन्हें हर जगह से इकट्ठा किया जाएगा और जहां पर भी हाथियों का ऐसा मोमेंट होगा जिससे लगेगा कि किसी गांव की और वो जा रहे हैं उन गांव वालों को हाथियों को लेकर अवेयर किया जाएगा ग्रुप आदि के माध्यम से उन्हें सूचित किया जाएगा, जिससे ना तो हाथियों का नुकसान हो और ना ही किसी तरह की जनहानि हो, इस हाईटेक सेंटर से चप्पे चप्पे पर हाथियों की निगरानी की जाएगी।
Bandhavghar :बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का भी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चुनाव किया गया है, और अगर ये प्रयोग सफल होता है, तो फिर जहां-जहां हाथियों का मूवमेंट है, वहां हाईटेक कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे।
बाँधवगढ़ में ऐसे पहुंचे हाथी
Bandhavghar : बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व 1536 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, वैसे तो एवंटाइगर रिजर्व बाघों की दहाड़ के लिए जाना जाता है क्योंकि यहां मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा संख्या में बाघ पाए जाते हैं और बाघों की दीदार के लिए ही यहां अक्सर पर्यटक आते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व हाथियों को भी खूब पसंद आ रहा है और इसीलिए 2018 से ही हाथियों ने बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को अपना परमानेंट पता बना लिया है, बांधवगढ़ में हाथी छत्तीसगढ़ के रास्ते कॉरिडोर का इस्तेमाल करते हुए पहुंचे थे, पहले कुछ दिनों के लिए आते थे विचरण करते थे घूमते टहलते थे और चले जाते थे लेकिन 2018 में जब से 40 हाथियों का एक पूरा झुंड पहुंचा उसी समय से ये लौटकर वापस नहीं हुए और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को अपना परमानेंट एड्रेस बना लिया इसके बाद से इनकी संख्या लगातार बढ़ती गई और अब बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 60 से 65 की संख्या में हाथी मौजूद हैं, जो अलग-अलग ग्रुप में घूमते टहलते विचरण करते नज़र आ जाते हैं।
जब देशभर में चर्चा का विषय बन गए ये हाथी
Bandhavghar : देखा जाए तो पिछले कुछ सालों से ही हाथियों का मूवमेंट शहडोल संभाग के तीनों जिलों में देखने को मिल रहा है छत्तीसगढ़ के रास्ते अनूपपुर में हाथियों की एंट्री होती है फिर शहडोल और फिर यह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंच जाते हैं अनूपपुर और शहडोल में छुटपुट किसानों के नुकसान की घटनाएं सामने आती रहती थीं, ग्रामीणों के नुकसान की खबरें सामने आती रहती थीं, महुआ के सीजन में हाथियों ने कुछ जनहानि भी की, लेकिन यह हाथी देशभर में तब सुर्खियों में आए और हड़कंप तब मचा जब बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में महज 3 दिन में ही 10 हाथियों की बैक टू बैक मौत हो गई, और अब उसके बाद से ही हाथियों को लेकर इस क्षेत्र में बहुत सावधानी बरती जा रही है, और हाथियों को बचाने के लिए हाईटेक प्लान तैयार किया जा रहे हैं जिससे हाथियों के हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जा सके जिससे हाथी भी सुरक्षित रहें और लोग भी सुरक्षित रहें।