Umaria News: बार-बार ठप हो रही यूनिट नंबर-1 से उजागर हुई तकनीकी लापरवाही
संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र में प्रबंधन की विफलता, लाखों का हो रहा नुकसान
उमरिया तपस गुप्ता (799976090)
बिरसिंहपुर पाली के मंगठार स्थित संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की 210 मेगावाट क्षमता वाली यूनिट नंबर-1 एक बार फिर बंद हो गई है, और इसका सीधा कारण है प्रबंधन की लगातार लापरवाही। यूनिट में सोमवार को अचानक उत्पादन ठप्प हो गया, जिससे पूरे केंद्र में हड़कंप मच गया। जांच में सामने आया है कि ब्वॉयलर ट्यूब में लीकेज के कारण उत्पादन बाधित हुआ है।
हैरानी की बात यह है कि यह कोई पहली बार नहीं है जब यह यूनिट बंद हुई हो। बीते 11 महीनों से यह यूनिट बंद पड़ी थी, जिसे हाल ही में शुरू किया गया था। दो दिन की कार्यशीलता के बाद यह फिर बंद हो गई। फिर कुछ दिनों तक चलने के बाद अब एक बार फिर ब्वॉयलर ट्यूब लीकेज ने उत्पादन पर ब्रेक लगा दिया है।
प्रबंधन की तकनीकी नाकामी उजागर
ताप विद्युत केंद्र के मुख्य अभियंता एच.के. त्रिपाठी का कहना है कि यूनिट को फिर से चालू करने में तीन दिन का समय लग सकता है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस यूनिट को 11 महीने के बाद चालू किया गया, वह दो दिन में कैसे बंद हो गई? क्या इतने लंबे अंतराल के बावजूद मरम्मत और निरीक्षण ठीक से नहीं किया गया था?
यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रबंधन ने तकनीकी परीक्षण, रख-रखाव और गुणवत्ता नियंत्रण को गंभीरता से नहीं लिया। ब्वॉयलर ट्यूब में बार-बार लीकेज कोई सामान्य तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि सिस्टमेटिक फेल्योर (व्यवस्थागत विफलता) का परिणाम है। यह स्थिति भविष्य में और गंभीर संकट का कारण बन सकती है।
लाखों रुपये का हो रहा नुकसान
यूनिट बंद होने के चलते प्रतिदिन लाखों रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। बिजली उत्पादन रुकने से न केवल राजस्व प्रभावित हो रहा है बल्कि सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है। वहीं क्षेत्रीय स्तर पर बिजली आपूर्ति बाधित होने की संभावना भी बनी हुई है।
कागज़ों में तैयार, ज़मीन पर फेल योजनाएं
11 महीने तक यूनिट को बंद रखकर भारी खर्च पर मरम्मत का दावा किया गया था, लेकिन दो दिन में ही बंद हो जाना इन दावों को खोखला साबित करता है। इससे प्रतीत होता है कि यूनिट की मरम्मत महज कागज़ी कार्रवाई रही, जिसमें गुणवत्ता की अनदेखी की गई।
स्थानीय जनप्रतिनिधि भी प्रबंधन पर सवाल उठा रहे
स्थानीय स्तर पर इस विफलता को लेकर आक्रोश बढ़ रहा है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि करोड़ों रुपये के बजट और भारीभरकम कर्मचारियों के बावजूद यदि यूनिट बार-बार ठप हो रही है, तो इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। ऊर्जा विभाग को चाहिए कि इस यूनिट की जांच किसी स्वतंत्र तकनीकी एजेंसी से कराए और दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित करे।
संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र की यूनिट नंबर-1 का बार-बार बंद होना न सिर्फ तकनीकी, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का प्रमाण है। उत्पादन ठप होने से जहां लाखों का नुकसान हो रहा है, वहीं राज्य की ऊर्जा व्यवस्था पर भी इसका असर पड़ रहा है। अब आवश्यकता है कि केवल लीकेज सुधारने की बजाय, पूरे सिस्टम की गहन तकनीकी ऑडिट कराई जाए, और जिम्मेदारों को जवाबदेह बनाया जाए। वरना ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आती रहेंगी और जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।