बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कान्हा से लाया गया जंगली हाथी, रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ा गया जंगल में
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में जंगली हाथियों के संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में एक अहम पहल की गई है। मंगलवार, 9 सितंबर 2025 को कान्हा टाइगर रिजर्व, मण्डला से एक जंगली हाथी को बांधवगढ़ लाकर खुले जंगल में छोड़ा गया। इस हाथी को पहले से ही सेटेलाइट रेडियो कॉलर लगाया गया था, ताकि उसकी गतिविधियों पर वैज्ञानिक निगरानी रखी जा सके।
यह कदम न केवल हाथियों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में मानव-हाथी द्वंद की घटनाओं को रोकने में भी सहायक साबित होगा।
अनूपपुर की घटना के बाद से कैप्टिविटी में था हाथी
गौरतलब है कि यह वही जंगली हाथी है जिसने 25 फरवरी 2024 को अनूपपुर जिले में मानव-हाथी संघर्ष की गंभीर घटना को जन्म दिया था। घटना के बाद स्थानीय लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल के आदेश पर बांधवगढ़ और संजय टाइगर रिजर्व की संयुक्त रेस्क्यू टीम ने हाथी को पकड़ लिया था। इसके बाद इसे व्यवहार और स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए कान्हा टाइगर रिजर्व में कैप्टिविटी में रखा गया।
समिति ने दी थी हरी झंडी
हाथी के व्यवहार और स्वास्थ्य की स्थिति को जानने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। समिति ने कई महीनों तक हाथी के व्यवहार का आकलन किया और पाया कि वह पूरी तरह स्वस्थ है तथा खुले जंगल में छोड़े जाने योग्य है। इसके बाद एलीफैंट एडवाइजरी कमेटी की बैठक आयोजित हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि हाथी को रेडियो कॉलर लगाकर जंगली हाथियों के झुंड के पास छोड़ा जाए।
अनुमति और कार्यवाही
प्रधान वन संरक्षक और मुख्य वन अभिरक्षक, मध्यप्रदेश से अनुमति प्राप्त होने के बाद कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की संयुक्त टीम ने इस प्रक्रिया को अंजाम दिया। 4 सितंबर को ही कान्हा में हाथी को रेडियो कॉलर लगा दिया गया था। इसके बाद 9 सितंबर को सुरक्षित परिवहन के जरिए उसे बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व लाकर खुले जंगल में छोड़ दिया गया।
रेडियो कॉलर से निगरानी
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पहल से न केवल जंगली हाथियों के संरक्षण और वैज्ञानिक प्रबंधन को बल मिलेगा, बल्कि रेडियो कॉलर के जरिए उनकी गतिविधियों की लगातार निगरानी भी हो सकेगी। इससे यह आकलन करना आसान होगा कि हाथी किस क्षेत्र में घूम रहा है और किन इलाकों में मानव-हाथी द्वंद की संभावना हो सकती है। इस तरह समय रहते कदम उठाकर संभावित संघर्ष को टाला जा सकेगा।
बांधवगढ़ में अब तीन रेडियो कॉलर युक्त हाथी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने जानकारी दी है कि इस कदम के बाद यहां रेडियो कॉलर से निगरानी किए जाने वाले हाथियों की संख्या तीन हो गई है। यह रिजर्व क्षेत्र में हाथियों की सुरक्षा और उनके व्यवहार के अध्ययन में मददगार साबित होगा।
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल देश के अन्य संरक्षित क्षेत्रों के लिए भी एक उदाहरण बनेगी। जंगली हाथियों की बढ़ती गतिविधियों और मानव बसाहट के नजदीक उनके आने से उत्पन्न चुनौतियों के समाधान में रेडियो कॉलरिंग जैसी तकनीक अहम भूमिका निभा सकती है।
भविष्य की रणनीति
अधिकारियों ने बताया कि आने वाले समय में और भी हाथियों को रेडियो कॉलर लगाकर मॉनिटरिंग के दायरे में लाया जाएगा। इससे जहां हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने में भी आसानी होगी।
इस पूरी प्रक्रिया को कान्हा और बांधवगढ़ की टीम ने संयुक्त प्रयास से सफल बनाया। अब उम्मीद की जा रही है कि इस तरह के प्रयासों से न केवल जंगली हाथियों का संरक्षण होगा बल्कि इंसान और हाथी के बीच होने वाले संघर्ष की घटनाओं पर भी काफी हद तक रोक लगाई जा सकेगी।
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