Mp crime : मऊगंज शिक्षा विभाग में फर्जी डिग्री घोटाला,नकली दस्तावेज़ों पर वर्षों से तनख्वाह ले रहे शिक्षक, कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा!
Mp crime : मऊगंज जिले के शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हासिल करने और वर्षों तक वेतन व सरकारी लाभ उठाने का बड़ा मामला सामने आया है। आरोप है कि कई शिक्षकों ने फर्जी डिग्रियों और झूठे विकलांगता प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षकीय पदों पर नियुक्ति प्राप्त की है। जांच रिपोर्टों में इन दस्तावेजों को संदिग्ध पाया गया, फिर भी विभागीय स्तर पर अब तक किसी भी अधिकारी या शिक्षक पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
शिकायतकर्ता गंगा प्रसाद पटेल ने बताया कि वे वर्ष 2020 से इस गंभीर घोटाले की शिकायत विभिन्न स्तरों पर कर रहे हैं। उन्होंने रीवा कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर वर्तमान मऊगंज कलेक्टर तक कई बार आवेदन दिए, यहां तक कि 117 पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट साक्ष्यों सहित प्रशासन को सौंपी, लेकिन मामला आज भी “फाइलों” में दबा हुआ है।
पीएमश्री स्कूल के शिक्षक पर गंभीर आरोप
Mp crime : जानकारी के अनुसार, पीएमश्री शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बराव में पदस्थ शिक्षक राजेंद्र मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 1999 में एक ही वर्ष में बीए और एमए दोनों डिग्रियां हासिल कीं। यही नहीं, वर्ष 2020 में उन्होंने फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर विकलांगता भत्ता और अन्य वित्तीय लाभ भी प्राप्त किए। आरटीआई से खुलासा हुआ है कि मेडिकल बोर्ड ने इस नाम से कोई प्रमाण पत्र जारी ही नहीं किया।
अतिथि शिक्षक के दस्तावेज भी संदिग्ध
देवतालाब कन्या संकुल के अंतर्गत नौढिया विद्यालय के अतिथि शिक्षक रामलाल साहू पर भी फर्जी शैक्षणिक योग्यता का आरोप है। बताया गया कि उन्होंने वर्ष 2011 में एक ही कॉलेज और रोल नंबर से बीए हिंदी और बीए इंग्लिश की दो डिग्रियां प्राप्त करने का दावा किया था। जांच में दस्तावेज फर्जी पाए जाने के बावजूद, वर्ष 2023 में दर्ज शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं की गई।
भ्रष्टाचार पर प्रशासन मौन
शिकायतकर्ता गंगा प्रसाद पटेल का कहना है कि यह मामला केवल दो शिक्षकों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न है। वे कहते हैं, “जब साक्ष्य और शिकायत दोनों मौजूद हों और फिर भी कार्रवाई न हो, तो यह स्पष्ट संकेत है कि जिले में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की इच्छा प्रशासन में नहीं है।”
