Indian history – भारत देश का इतिहास काफी पुराना है। कई सभ्यताओं ने भारत में जन्म लिया और यहीं दम तोड़ दिया। इनमें से कई सभ्यता का इतिहास करीब सैकड़ो नहीं बल्कि हजारों साल पुराना है। उनमें से एक है आहड़ सभ्यता।आहड़ सभ्यता के लोग अपना भोजन मिट्टी के बर्तन बनाते थे। आहड़ सभ्यता का प्रमाण राजस्थान के उदयपुर में बनास नदी के पास मिलने के कारण बनास संस्कृति भी कहा जाता है।
Indian history : राजस्थान के अलवर क्षेत्र में खुदाई के दौरान एक घड़ा मिला जिसे देखकर उसे परिवेश का अंदाजा लगाना मुश्किल होता हुआ नजर आ रहा था। यह घड़ा एक नहीं दो नहीं बल्कि 4000 साल पुराना था, ऐसा इतिहासकारों का मानना था। यह उसे समय की बात है जब तांबे का युग हुआ करता था तभी के उसमें सिक्के तांबे के बर्तन और तांबे के गहने लोग बनवाया करते थे।
Indian history : क्या है आहड़ सभ्यता ?
आज जिस चीज की हम बात कर रहे हैं वह है आहड़ सभ्यता। यह आहड़ सभ्यता भारत देश के राजस्थान राज्य की एक प्राचीन सभ्यता मानी जाती रही है, जो वर्तमान मे राजस्थान के उदयपुर के पास आहड़ नदी यानी आयड़ नदी के किनारे मे विकसित हुई थी। जहा इसे “आहड़-भील संस्कृति” या “तांबा युगीन सभ्यता” भी कहा जाता रहा है। जहा यह सभ्यता ताम्र पाषाण युग जिसे इंग्लिश मे Copper Age की एक महत्वपूर्ण संस्कृति भी मानी जाती रही है।
आहड़ सभ्यता की विशेषताएं
Indian history : इसका स्थान – आपको बतादे की यह सभ्यता राजस्थान के उदयपुर के पास आयड़ नदी के पास ही विकसित हुई थी। बात करें इस आहड़ सभ्यता के वर्ष की तो लगभग 3000-1500 ईसा पूर्व के बीच मे यह सभ्यता मानी जाती है।
इस सभ्यता का सबसे बड़ा एक उदाहरण मिलता है कि इस सभ्यता में लोग मुख्य रूप से तांबे और पत्थर के औजारों का उपयोग करते थे। इसके अलावा इस सभ्यता के लोग स्थायी घरों में रहते थे, जिनमें मिट्टी और पत्थर का प्रयोग होता था। साथ ही यहाँ के लोग कृषि और पशुपालन में निपुण थे।इस सभ्यता मे मरे हुए लोगो का अंतिम संस्कार मुख्यतः शवदाह यानी अस्थियों को गाड़ना के रूप में किया जाता था।
Indian history : इस समय के मिट्टी के बर्तन – आहड़ सभ्यता के लोग काले और लाल रंग के विशिष्ट मिट्टी के बर्तनों के लिए जाने जाते थे, जिनमें ज्यामितीय डिज़ाइन देखने को मिलते हैं।
आहड़ सभ्यता के मिले अवशेष
आपको बतादे की इस आहड़ सभ्यता के अवशेष मे सबसे पहले 1950 के दशक में खुदाई के दौरान मिले थे। जहा खुदाई में पुरातत्वविदों को मिट्टी के बर्तन, तांबे के औजार, पत्थर के उपकरण और मकानों के अवशेष मिले है।
Indian history : इसकी वैज्ञानिक पुष्टि
रेडियोकार्बन डेटिंग – सन 1950 में हुई खुदाई के दौरान मिले इस सभ्यता के बारे में कई जांच हुई। जिसमें आहड़ सभ्यता के कालखंड यानी इसके वर्ष की पुष्टि के लिए रेडियोकार्बन डेटिंग का उपयोग किया गया था। इससे यह पता चला है.कि यह सभ्यता 3000 ईसा पूर्व के आसपास जन्म ली थी।
आखिर मे पुरातत्व के द्वारा हुई खुदाई और अध्ययन से यह ज्ञात हुआ कि आहड़ सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन हुई थी। उस समय पर क्षेत्र विशेष में एक अलग संस्कृति जन्म ले रही थी जिसके बाद इस तरह की संस्कृति अलग-अलग क्षेत्र में मिला करती थी।
इस सभ्यता का ऐतिहासिक महत्व
आपको बतादे की इस आहड़ सभ्यता राजस्थान और पश्चिमी भारत की पहली संगठित सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता मे तांबे का बहुतायत मात्रा मे उपयोग इसके तकनीकी और सांस्कृतिक विकास को दर्शाता है। जहा यह सभ्यता राजस्थान की सांस्कृतिक और पुरातात्विक धरोहर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
वही इस सभ्यता के अवशेष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी ASI और विभिन्न विश्वविद्यालयों के पुरातत्वविदों ने खोज निकाले है। जहा राजस्थान के उदयपुर स्थित आहड़ संग्रहालय में इन अवशेषों को संरक्षित किया गया है।