Indian history : भारत देश में अब पहले जैसी भुखमरी गरीबी नहीं है अब सरकार भी लोगों पर ज्यादा ध्यान दे रही है कोई भी व्यक्ति भूख से ना मरे इसका भी खास ध्यान रखा जा रहा है। लेकिन इससे पहले जब अंग्रेजों का शासन था उस समय पर ऐसी स्थिति पैदा हुई थी जब लोग भूख के मारे अपना दम तोड़ रहे थे।
Indian history : उस स्थिति के बारे में बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा। हम बात कर रहे हैं सन 1877 ई के आसपास की जब भारत देश की मद्रास में एक भयंकर अकाल पड़ा था और 40 लाख लोगों की मौत हो गई थी।
3000 लोग अनाज का कर रहे थे इंतजार
यह तस्वीर जो आज हम लेकर आए हैं वह उस समय की है जब 3000 लोग अनाज का इंतजार कर रहे थे। और अनाज का इंतजार करते-करते उनके प्राण भी चले गए। यह तस्वीर उस दर्द को बयां करती है जिसे आज से पहले कभी भी इस प्रकार की तस्वीर नहीं देखी।
जाने आखिर उस काल की क्या है कहानी
Indian history : हम बात कर रहे हैं वर्ष 1877 ई. की जब मद्रास यानी भारत का वर्तमान तमिलनाडु और दक्षिण भारत का जिसके कई हिस्सों में अकाल की एक भयावह त्रासदी उस समय देखी गई थी। जिसे सुनने के मात्र से लोगों में एक दर्द उठता था।जिसे “द ग्रेट फेमिन” जिसका वर्ष 1876-1878 के नाम से जाना जाता है। यह अकाल भारत के इतिहास में सबसे भयावह प्राकृतिक आपदाओं में से एक था।
तो आइए इस घटना के कारण, परिस्थिति और उससे जुड़े संघर्षों को आज हम बताएंगे –
अकाल की वजह
सूखा और बरसात की कमी
Indian history : यह उस समय की बात है जब साल 1876 इसमें लगा हुआ था जिसमें मानसून की भारी कमी के कारण दक्षिण भारत में फसलें बर्बाद हो गई थी। साल 1877 में भी मानसून पूरी तरह से विफल रहा था, पानी बिल्कुल भी नहीं गिर रहा था,जिससे स्थिति और खराब हो गई थी।
ब्रिटिश सरकार की औपनिवेशिक नीति
Indian history : इतना ही नहीं इस अकाल के पडने का एक बड़ा कारण ब्रिटिश सरकार भी था। जहा ब्रिटिश सरकार ने भारतीय कृषि उत्पादों और राजस्व को विदेशी व्यापार के लिए अधिक प्राथमिकता दी थी। इसके अलावा अकाल के समय भी खाद्यान्न का निर्यात जारी रहा था,और स्थानीय लोगों की मदद पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था। साथ ही अत्यधिक कर और राजस्व वसूली से किसानों पर भारी दबाव पड़ा, और लोगों को इस परिस्थित तक ले आया।
खाद्यान्न वितरण की कमी
उस समय भारत में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था जहां पर अंग्रेजी बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया करते थे। अंग्रेज सरकार ने अकाल राहत के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए। अनाज के भंडार जरूर मौजूद थे, लेकिन उन्हें आम जनता तक पहुंचाने की कोई प्रभावी योजना ही नहीं बनाई गई थी। जिसकी वजह से लोगों को भूखे मरना पड़ा था।
क्या थी उस समय की परिस्थितियां –
भुखमरी और मौतें ने बनाई जगह
Indian history : उस काल का नाम भी किसी के सामने आ जाता है तो उसे समय की परिस्थितियों हमारे सामने गुजरने लगते हैं। भोजन की भारी कमी के कारण लाखों लोग भूख से मर गए। जहा गरीब वर्ग के पास अनाज खरीदने के पैसे नहीं थे।
इतना ही नहीं कुपोषण और अशुद्ध पानी के कारण डायरिया, कॉलरा और अन्य बीमारियां फैल गई थी। जहां लोगों के करने का वह कारण बनी थी। इसके अलावा चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण स्थिति और खराब हो गई।
सामाजिक विघटन
Indian history : जब अकाल पड़ा तब लोग जीवित रहने के लिए अपने बच्चों और संपत्तियों को बेचने पर मजबूर हो गए। पूरे गांव के गांव खाली हो गए।
अकाल के बाद क्या हुआ
आम जनता का जारी हुआ संघर्ष –
अकाल में सिर्फ वही लोगों की मौत हुई थी जो गरीब थे जिनके पास कुछ भी साधन नहीं था उनकी मौत हो गई थी। जहा गरीब किसानों ने खुद को बचाने के लिए संघर्ष किया, लेकिन संसाधनों की भारी कमी के कारण वे असहाय हो गए। लोग भोजन की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन करने लगे थे।
अंग्रेजों की वर्क रिलीफ स्कीम
भारत देश में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था जहां उस स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने कुछ राहत कार्य जरूर शुरू किए, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। जहा “वर्क रिलीफ स्कीम” के तहत लोगों से सड़कें बनाने जैसे काम करवाए गए, लेकिन उन्हें बहुत कम मजदूरी दी गई थी। वही.इन नीतियों की काफी.आलोचना भी हुई थी। क्योंकि भूखे और कमजोर लोग इस तरह के कठिन कार्य नहीं कर सकते थे, इसलिए लोगों को इसका फायदा नहीं मिला था।
सामाजिक और धार्मिक प्रयास –
Indian history : हालांकि आज के समय की तरह भी उसे समय पर लोगों के लिए राहत सामग्री प्रदान करने के लिए मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारों में कार्य किया गया था। जहा स्थानीय सामुदायिक नेताओं और धार्मिक संगठनों ने राहत कार्यों में योगदान भी दिया था। वही मंदिरों और गुरुद्वारों में भोजन वितरण की व्यवस्था की गई।
भविष्य की बनी थी योजना –
जहा इस अकाल के बाद अंग्रेजी सरकार ने “फेमिन कोड” बनाया था। जिसमें भविष्य के अकालों से निपटने के लिए कुछ दिशा-निर्देश दिए गए थे।
उस अकाल का जाने क्या परिणाम मिला
एक.अनुमान के अनुसार, लगभग 40 लाख लोग इस अकाल के कारण मारे गए। क्षेत्र की कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो गई। कर्ज में डूबे किसान अपनी जमीनें जमींदारों और महाजनों के हाथों गंवा बैठे थे।
उस समय अमीर वर्ग ने गरीबों का अधिक शोषण किया था।सामाजिक ढांचा पूरी तरह से कमजोर हो गया था।
हलाकि उस अकाल के समय ब्रिटिश सरकार की लापरवाही और नीतियों की विश्वभर में आलोचना हुई थी। जिसके बाद यह घटना भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रेरणा का एक स्रोत बनी थी।