Chudiya:राजसी वैभव की चमक: मेहनतकशी और रंगों से सजी बंगाल की शाही बेंगल्स
Chudiya : भारतीय परंपरा में चूड़ियाँ और बेंगल्स सिर्फ आभूषण नहीं, बल्कि सुहाग, सौभाग्य और सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक हैं। प्रस्तुत तस्वीर में दिखाई गई ये शाही बेंगल्स राजस्थानी और गुजराती कारीगरी का अनुपम नमूना हैं, जो सोने की चमक, रंगीन मीनाकारी और कीमती पत्थरों के जड़ाव से सजी हुई हैं। ये बेंगल्स किसी दुल्हन के हाथों की शोभा नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता कला संग्रह हैं, जो सदियों पुरानी शिल्पकला को जीवंत करते हैं।
Chudiya : बाईं ओर की तस्वीर में मल्टी-लेयर बेंगल सेट दिखाई दे रहा है, जिसमें मोटे सोने के बैंड पर हरे, लाल, पीले और सफेद रंगों की मीनाकारी की गई है। हर बैंड पर अलग-अलग डिज़ाइन—फूल, पत्तियाँ, ज्यामितीय आकृतियाँ और हाथी की आकृति—देखने को मिलती है। खास बात है कुंदन वर्क, जिसमें पॉलिश किए हुए हीरे और रंगीन पत्थरों को सोने में जड़ा गया है, जो रोशनी में झिलमिलाते हैं। नीचे की पतली चूड़ियाँ लाल और हरे रंग की हैं, जो पारंपरिक शादी के रंगों को दर्शाती हैं। बीच में लगा हुआ ताला-चाबी वाला डिज़ाइन न सिर्फ सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि दुल्हन के नए जीवन की शुरुआत का भी संकेत देता है।
दाईं ओर की बेंगल्स जोड़ी में गोल्ड-प्लेटेड बेस पर सफेद मीनाकारी और लाल रूबी जैसे पत्थर जड़े गए हैं। डिज़ाइन में फूलों की कढ़ाई, घुमावदार पैटर्न और छोटे-छोटे घुंघरू जैसे तत्व हैं, जो हल्की हलचल पर मधुर ध्वनि पैदा करते हैं। ये बेंगल्स हल्की लेकिन भारी दिखने वाली हैं—ऐसी जो रोज़मर्रा में नहीं, बल्कि खास मौकों पर पहनी जाती हैं।

ये बेंगल्स राजपूत और मारवाड़ी शादियों की पहचान हैं। इन्हें बनाने में महीनों लगते हैं—सोना पिघलाना, मीनाकारी करना, पत्थर जड़ना और अंत में पॉलिश। हर बारीकी में कारीगर की मेहनत झलकती है। आज के ज़माने में भी ये डिज़ाइन आधुनिक दुल्हनों को लुभाते हैं, क्योंकि ये परंपरा और आधुनिकता का सुंदर मेल हैं।
इन बेंगल्स को देखकर मन में बस यही ख्याल आता है—ये सिर्फ गहने नहीं, एक विरासत हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। चाहे शादी हो, तीज-त्योहार हो या कोई खास उत्सव, ये बंगाल की बेंगल्स हर मौके पर शोभा बढ़ाती हैं। इनकी चमक न सिर्फ हाथों को, बल्कि पूरी सभ्यता को रोशन करती है।
