पारंपरिक शान का नया अंदाज़: दुल्हनों की पसंद बनीं ये Royal bangal
Royal bangal : भारतीय परंपराओं में चूड़ियों का अपना एक अलग ही स्थान है। हर शादी-ब्याह, त्यौहार या खास अवसर पर जब सजी-धजी हथेलियों में ये रंग-बिरंगी चूड़ियाँ खनकती हैं, तो हर नजर ठहर जाती है। तस्वीर में दिख रही ये खूबसूरत रॉयल ब्राइडल बैंगल्स न सिर्फ फैशन का हिस्सा हैं बल्कि भारतीय संस्कृति की पहचान भी हैं।
राजस्थानी और पंजाबी स्टाइल का मेल
Royal bangal में राजस्थानी शिल्पकला और पंजाबी डिज़ाइन का बेहतरीन संगम देखने को मिलता है। सुनहरी किनारों पर जड़े हुए कुंदन, मोती और मिरर वर्क इन्हें खास बनाते हैं। लाल, हरे, पीले और मरून रंगों का संयोजन शादी-ब्याह के पारंपरिक रंगों को दर्शाता है, जो दुल्हन के श्रृंगार को पूर्णता प्रदान करता है।
कुंदन और मीना वर्क की झलक
इन बैंगल्स की सबसे बड़ी खासियत है इन पर किया गया कुंदन और मीना वर्क। बारीकी से की गई यह नक्काशी हर जोड़ी को अनोखा रूप देती है। गोल्डन और सिल्वर टोन में चमकती ये चूड़ियाँ रोशनी पड़ते ही जैसे जीवंत हो उठती हैं। यह कारीगरी न केवल पारंपरिक रूप को संभाले हुए है बल्कि आधुनिकता का भी स्पर्श लिए हुए है।
हर आउटफिट के साथ परफेक्ट
इन बैंगल्स की खूबसूरती सिर्फ दुल्हनों तक सीमित नहीं है। चाहे लहंगा हो, साड़ी हो या कोई इंडो-वेस्टर्न ड्रैस — ये हर आउटफिट के साथ परफेक्ट लगती हैं। इनके डिजाइन में इस बात का खास ध्यान रखा गया है कि पहनने में हल्की हों, पर दिखने में बेहद रॉयल और हैवी लुक दें।

पारंपरिक कला का आधुनिक रूप
इन चूड़ियों की लोकप्रियता का कारण है कि यह परंपरा और ट्रेंड दोनों को साथ लेकर चलती हैं। जहां पहले चूड़ियाँ सिर्फ लाल रंग तक सीमित थीं, वहीं अब इसमें बहुरंगी कॉम्बिनेशन देखने को मिलता है। इसके साथ ही, “सुहाग” और “पति परमेश्वर” जैसे भावनात्मक शब्दों की नक़्क़ाशी इनको और भी खास बना देती है।
बाजार में बढ़ी मांग
शादी के सीज़न में इन रॉयल बैंगल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। जयपुर, अमृतसर, और वाराणसी जैसे शहरों के ज्वेलर्स पारंपरिक कला को आधुनिक डिजाइनों में ढालकर देश-विदेश तक भेज रहे हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी इनकी बिक्री में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रहा है।
निष्कर्ष:
ये बैंगल्स सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि हर भारतीय स्त्री की पहचान हैं। जब ये रंग-बिरंगी, कुंदन जड़ी चूड़ियाँ कलाई में खनकती हैं, तो उनमें केवल सजावट नहीं बल्कि परंपरा, प्रेम और गौरव की झंकार सुनाई देती है।
