छोटे शहर सीधी से निकली बड़ी प्रतिभा—WPL में संस्कृति गुप्ता की गूंज, मुंबई इंडियंस ने 20 लाख में किया अपने नाम
WPL:छोटे शहर की गलियों से निकलकर बड़े मंच तक पहुंचने का सफर हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन सीधी जिले की बेटी संस्कृति गुप्ता ने यह कर दिखाया है। सीमित संसाधनों में पली-बढ़ी संस्कृति ने अपने संघर्ष, मेहनत और खेल के प्रति जुनून के दम पर वह मुकाम हासिल किया है, जिसकी कल्पना कई युवा खिलाड़ी भी सपने में करते हैं। WPL (वीमेंस प्रीमियर लीग) के ऑक्शन में इस बार मुंबई इंडियंस ने संस्कृति गुप्ता को 20 लाख रुपए में खरीदकर अपने साथ जोड़ा है।
सीधी शहर के वार्ड क्रमांक 19 से ताल्लुक रखने वाली संस्कृति की कहानी हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने सिर्फ 7 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। छोटी उम्र में ही क्रिकेट में रुचि दिखाने वाली संस्कृति के लिए मैदान तक पहुंचना भी चुनौती था, पर परिवार ने जितना संभव हुआ साथ दिया। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने खेल को कभी नहीं छोड़ा।
16 साल की उम्र में संस्कृति ने अपने सपनों को नई दिशा देने के लिए सीधी को अलविदा कहा और शहडोल पहुंचीं, जहां उन्हें कोच नीतु श्रीवास्तव का मार्गदर्शन मिला। यहीं से उनका क्रिकेट ग्राफ ऊपर उठता गया। घर से दूर रहकर कठोर परिश्रम, नियमित अभ्यास और बेहतर तकनीक ने संस्कृति को एक उभरते ऑलराउंडर के रूप में पहचान दिलाई। स्पिन गेंदबाजी के साथ बैटिंग में भी लगातार बेहतर प्रदर्शन ने उन्हें राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चमकाया।
आर्थिक स्थिति हमेशा से परिवार के लिए चुनौती रही। उनके पिताजी राजकुमार गुप्ता (बॉबी गुप्ता) मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं। संस्कृति दो बहन और एक भाई के साथ साधारण परिवार में पली-बढ़ी, जहां हर दिन संघर्ष था। लेकिन इन्हीं संघर्षों ने उन्हें मजबूत बनाया। शहडोल से आगे बढ़ते हुए उन्होंने चंडीगढ़ और फिर मुंबई तक का सफर तय किया। छोटे शहर की तंग गलियों से निकलकर बड़े शहरों की चमक-दमक में खुद को साबित करना आसान नहीं था, पर संस्कृति ने अपने जूनून और लगन से यह रास्ता भी पार किया।
पिछले साल भी मुंबई इंडियंस ने उन पर भरोसा जताते हुए 10 लाख में खरीदा था, और इस बार अपने प्रदर्शन के दम पर संस्कृति ने टीम का भरोसा और मजबूत किया। WPL 2025 के ऑक्शन में मुंबई इंडियंस ने उन्हें 20 लाख रुपए की कीमत पर अपने साथ जोड़ लिया है।
संस्कृति को खेल की प्रेरणा घर से ही मिली। उनके पिता युवावस्था में फुटबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। पिता के संघर्ष और खेल भावना ने ही उन्हें खेल की दुनिया में आगे बढ़ने का हौसला दिया।
सीधी जिले के लिए यह गर्व का क्षण है कि छोटे शहर की यह होनहार बेटी अब बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेगी। संस्कृति गुप्ता की यह उपलब्धि साबित करती है कि अगर हौसला हो, तो किसी भी छोटे शहर की सीमाएं आपके सपनों को रोक नहीं सकतीं।
