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Indian history:एशिया की सबसे बड़ी तोप जिसके नाम से डरते थे दुश्मन

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Indian history:एशिया की सबसे बड़ी तोप जिसके नाम से डरते थे दुश्मन

Indian history : भारत देश का इतिहास काफी रोचक और नया है। जहा यह जयवान तोप एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की विशालतम तोपों में से एक मानी जाती है। यह शक्तिशाली तोप भारत देश के राजस्थान राज्य के जयपुर में जयगढ़ किले में मौजूद है। बात करें इसके निर्माण की तो भारतीय युद्ध कला और शिल्प कौशल का यह अद्भुत उदाहरण माना जाता है। इस जयवान तोप का निर्माण, इसका इतिहास और विशेषताएं इसे बेहद रोचक बनाते हैं।

Indian history : जयवान तोप का इतिहास

आपको बतादे की इस जयवान तोप का निर्माण उस समय हुआ जब कछवाहा राजपूत के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय राज्य किया करते थे, जिसने 1720 ई. में इसे बनवाया था। वही इसका निर्माण राजस्थान राज्य के जयगढ़ किले में स्थित तोप निर्माण शाला में किया गया था। यह शाला उस समय तोप निर्माण के लिए प्रसिद्ध थी और यहां कई अन्य तोपें भी बनाई गई थीं। जयवान तोप को विशेष रूप से जयगढ़ किले की रक्षा के लिए इसे बनाया गया था।

तोप की विशेषताएं
Indian history : इस तोप का आकार और वजन

भारत देश का इतिहास इस जयवान तोप का वजन लगभग 50 टन है। जहा इसकी कुल लंबाई 20 फीट और इसकी नली यानी बैरल की कुल लंबाई लगभग 8 फीट थी। जहा इसका पहिया इतना बड़ा है कि इसे खींचने के लिए 4 बैल, 4 हाथी और 100 से अधिक आदमी खींचा करते थे।

तोप की मारक क्षमता

आपको बतादे की इस तोप की मारक क्षमता कुल मिलाकर 40 किलोमीटर तक थी। वही ऐसा कहा जाता है कि जब पहली बार इसे चलाया गया था, जिसके बाद यह गोला लगभग 35 किलोमीटर दूर ग्राम चाकसू में गिरा था, जहां एक बड़ा गड्ढा बन गया था।

फिर इसके बाद राजस्थान राज्य जयवान तोप से चलाए जाने वाले गोले का वजन लगभग 50 किलोग्राम हुआ करता था। जहा इसे दागने के लिए 100 किलो बारूद की जरूरत पड़ा करती थी।

आपको बतादे की तोप के बाहरी हिस्से को खूबसूरत इसमें नक्काशी और राजपूत कलाकृति से इसे सजाया गया है। जहा इस पर शिलालेख और अन्य धार्मिक चिन्ह भी  बने हैं।

इस तोप का जाने इतिहास

इस तोप का कभी युद्ध में नहीं हुआ इस्तेमाल

जयपुर की इस जयवान तोप को मुख्य रूप से किले की रक्षा के लिए बनाया गया था, जहा इसे कभी भी युद्ध में इस्तेमाल नहीं किया गया था। जहा यह अपनी विशालता और शक्ति के कारण दुश्मनों के लिए यह हमेसा डर का माहौल पैदा करता था, जिसकी वजह से इसकी लड़ाई की नौबत ही नहीं आई थी।

परीक्षण के दौरान हुआ था जोरदार विस्फोट

इस तोप की एक रोचक कहानी बताते हैं जहा इस तोप का केवल एक बार ही परीक्षण किया गया था। जहा अब इसे दागने के लिए जब बारूद को भरा गया था, तभी उसकी आवाज इतनी तेज हुआ करती थी कि 20 किलोमीटर तक सुनी गई थी। जहा परीक्षण के बाद इसे समझा गया कि इसका उपयोग व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि इससे आसपास के क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। जहा परीक्षण के दौरान किले के अंदर बने हुए कई मकानों की छतें भी गिर गई थीं।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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