Bandhavgarh: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: बाघों के साथ गिद्धों का भी सुरक्षित आश्रय
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
Bandhavgarh: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अपनी बाघों की बड़ी आबादी के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां गिद्धों की भी कई प्रजातियां पाई जाती हैं। बीते वर्षों में गिद्धों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, और यह वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
फिर होगी गिद्धों की गणना
Bandhavgarh: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 17 से 19 फरवरी 2025 के बीच गिद्धों की गणना की जाएगी। पिछली बार, साल 2024 में दो बार गणना की गई थी—फरवरी और अप्रैल-मई में। आंकड़ों के अनुसार, रिजर्व में लगभग 300 गिद्धों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जिसमें कई युवा गिद्ध भी शामिल थे। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष इनकी संख्या और बढ़ सकती है।
गिद्धों की प्रमुख प्रजातियां
Bandhavgarh: बांधवगढ़ में देसी गिद्ध, हिमालयन गिद्ध, राज गिद्ध, सफेद गिद्ध और काला गिद्ध देखे गए हैं। ये प्रजातियां मध्य प्रदेश के अलावा गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी पाई जाती हैं।
गिद्धों पर आए संकट और संरक्षण प्रयास
Bandhavgarh: 1990 के दशक में, डाइक्लोफेनैक नामक दर्द निवारक दवा के कारण गिद्धों की आबादी में भारी गिरावट आई। यह दवा मवेशियों के इलाज में उपयोग की जाती थी, लेकिन जब गिद्ध मृत मवेशियों का मांस खाते थे, तो यह उनके लिए घातक साबित होती थी। इस वजह से गिद्धों की संख्या में 90% तक की गिरावट दर्ज की गई थी। बाद में इस दवा पर प्रतिबंध लगाने के बाद गिद्धों की संख्या में धीरे-धीरे सुधार देखा गया।
Bandhavgarh: गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मृत पशुओं को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखते हैं, जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा कम होता है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इनकी बढ़ती संख्या इस बात का संकेत है कि संरक्षण प्रयास सफल हो रहे हैं। आगामी गणना से यह स्पष्ट होगा कि गिद्धों की आबादी में कितना सुधार हुआ है और भविष्य में इसे और कैसे सुरक्षित किया जा सकता है।