Umaria News:भरेवा महाविद्यालय बना शिक्षा का मज़ाक, बिना भवन और शिक्षकों के चल रहा कॉलेज, भाजपा सरकार की अनदेखी से छात्र भविष्य को लेकर चिंतित
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
उमरिया जिले के मानपुर जनपद के अंतर्गत ग्राम पंचायत भरेवा में स्थापित शासकीय महाविद्यालय इन दिनों एक गंभीर शैक्षणिक संकट से जूझ रहा है। हालत यह है कि न तो महाविद्यालय का अपना भवन है, और न ही स्थायी शिक्षक या स्टाफ की व्यवस्था की गई है। कॉलेज जैसे-तैसे एक खाली स्कूल भवन में संचालित हो रहा है, और लगभग 78 छात्र-छात्राएं भविष्य की चिंता में घुट-घुट कर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब यह मालूम चलता है कि छात्रों ने कई बार शासन और प्रशासन को अवगत कराया है, यहां तक कि मुख्यमंत्री के पाली आगमन पर उन्हें ज्ञापन भी सौंपा गया, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। यह भाजपा सरकार की शिक्षा के प्रति गंभीरता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
बिना शिक्षक, बिना भवन कैसा महाविद्यालय?
अरुणेंद्र बहादुर सिंह, जो पहले डेप्लॉयमेंट पर शिक्षक के रूप में कार्यरत थे, ने बताया कि उनकी नियुक्ति की अवधि समाप्त हो चुकी है और अब महाविद्यालय में कोई भी शैक्षणिक या प्रशासनिक कर्मचारी नियुक्त नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि भवन की भी कोई व्यवस्था नहीं है एक खाली विद्यालय भवन में ही कॉलेज को चलाया जा रहा है। इस तरह की व्यवस्था से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने महाविद्यालय तो खोल दिया, लेकिन उसके संचालन की कोई जिम्मेदारी नहीं ली।
छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा असर
महाविद्यालय में अध्ययनरत छात्र राजेश चतुर्वेदी ने बताया कि शिक्षक और स्टाफ के अभाव में उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। परीक्षाओं के लिए उन्हें मानपुर जाना पड़ता है, जो न केवल असुविधाजनक है बल्कि अतिरिक्त आर्थिक और मानसिक बोझ भी बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि इस महाविद्यालय में छात्राएं भी पढ़ाई कर रही हैं और उनके लिए यह स्थिति और भी कठिन हो जाती है।
प्रशासन ने झाड़ा पल्ला, भाजपा की खामोशी
जब इस संबंध में उमरिया कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन से बात की गई तो उन्होंने जवाब दिया कि यह मामला शासन स्तर का है और शासन को इसकी जानकारी है। यह बयान न केवल असंवेदनशील है बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता को भी दर्शाता है।
वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष आशुतोष अग्रवाल ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में अब आया है और वह उच्च शिक्षा मंत्री से चर्चा करेंगे। सवाल यह उठता है कि जब छात्रों द्वारा मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया था, तो भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी? क्या यह छात्रों की आवाज़ को जानबूझकर अनसुना करने की कोशिश नहीं है?
कांग्रेस ने उठाई आवाज़, फिर भी भाजपा सरकार चुप
पूर्व विधायक और कांग्रेस जिला अध्यक्ष अजय सिंह ने इस विषय पर कहा कि उन्होंने कलेक्टर से बात की है और शासन को पत्र भी लिखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि 2023-24 में महाविद्यालय के लिए जमीन तक नहीं मिली थी और जब वे सक्रिय हुए, तब जाकर जमीन का आवंटन हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को उठाने के लिए उन्होंने विधायक फुंदेलाल जी से बात की है, लेकिन विधानसभा सत्र भी सरकार द्वारा समय से पहले समाप्त कर दिया जाता है, जिससे जनता के मुद्दे सदन में उठ ही नहीं पाते।
भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल
यह पूरा प्रकरण यह दर्शाता है कि भाजपा सरकार ने महाविद्यालयों के निर्माण और संचालन के नाम पर केवल कागजी घोषणाएं की हैं। न तो बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं और न ही छात्रों के भविष्य की कोई चिंता की गई। जब राज्य में शिक्षा जैसी बुनियादी व्यवस्था इस तरह चरमरा जाए, तो विकास के तमाम दावे खोखले नज़र आते हैं।
भरेवा महाविद्यालय का संकट आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी इस देश की शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत को उजागर करता है। अगर यही हाल रहा, तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भाजपा सरकार केवल उद्घाटन करने में माहिर है, व्यवस्था देने में नहीं।
अब सवाल यह है कि क्या राज्य सरकार जागेगी? क्या छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी या फिर उनका भविष्य इसी अंधकार में भटकता रहेगा?
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