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Indian history:आसमान को देखकर की जाती थी यहां गणना,1858 की तस्वीर हुई वायरल

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Indian history : भारत देश में प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन यह प्रतिभा आज की मोहताज नहीं है बल्कि इसके पहले भी भारत में प्रतिभाओं का भंडार हुआ करता था। आसमान को देखकर अनुमान लगाकर सटीक जानकारी देना भारत में सदियों से चला रहा है। जहां ऐसे कई क्षेत्रों में यंत्र स्थापित किए गए थे जिसके माध्यम से लोग भविष्य को देख पाते थे। इसके अलावा बारिश और अन्य चीजों को भी यहां से देखकर उसका अनुमान लगाया जाता है।

Indian history : आज रविवार के दिन सुबह सोसल मीडिया मे एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है, जो जंतर मंतर की है. इस जंतर मंतर की फोटो सन 1858 की आज वायरल हो रहा है। वीडियो मे साफ तौर पर दिख रहा है की यहाँ से सीधी नुमा एक रास्ता जा रहा है।

क्या है जंतर मंतर 

Indian history : आज हम आपको जंतर मंतर के बारे मे बताने वाले है। यह दिल्ली की वेधशाला के नाम से जाना जाता है। जिसका निर्माण काल वर्ष 1724 ई. में राजस्थान के जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। जहा इस जंतर मंतर मे इसका उद्देश्य खगोलीय गणनाओं और समय को मापने के लिए सटीक उपकरण यहाँ तैयार किए जाते थे। वही यह भारत के पाँच प्रमुख जंतर मंतर में से एक माना जाता रहा है। दिल्ली के अलावा अन्य चार जंतर मंतर है जो जयपुर, उज्जैन, मथुरा, और वाराणसी में हैं।

जंतर मंतर की ये है विशेषता

Indian history : यह है खगोलीय उपकरणों का अनोखा संग्रह

दिल्ली मे स्थित जंतर मंतर मे खगोल विज्ञान के लिए यहाँ कई बड़े बड़े यंत्र मौजूद हैं, जिनमें समय के साथ ही साथ ग्रहों की स्थिति और खगोलीय घटनाओं का अध्ययन भी इसमें किया जा सकता है।

4 यँत्र इसमें है प्रमुख

पहले का नाम है सम्राट यंत्र जो समय मापने और ग्रहों की स्थिति जानने के लिए।

दूसरा यँत्र है जयप्रकाश यंत्र जो आकाशीय पिंडों की स्थिति को चिह्नित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

तीसरा यँत्र है राम यंत्र जो ऊंचाई और कोण मापने के लिए प्रयोग किया जाता है।

चौथा यँत्र है मिश्र यंत्र जो सूर्य और चंद्रमा की गतिविधियों को समझने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

यह है विज्ञान और कला का मिश्रण 

जंतर मंतर स्थापत्य कला और विज्ञान का अनोखा उदाहरण माना जाता है, जिसमें सटीक खगोलीय गणना और वास्तुकला का संयोजन और मिश्रण है।

Indian history : जंतर मंतर के कार्य

इस जंतर मंतर के उपकरणों से समय को अत्यंत सटीकता से मापा जा सकता था।

इसके अलावा ग्रहों की गति, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, और ग्रहण जैसी घटनाओं की गणना यहाँ से की जाती थी।

इसके अलावा इसका उपयोग हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं के लिए यह किया जाता था।

क्यू बना जंतर मंतर

आपको बतादे की राजा सवाई जयसिंह द्वितीय को.खगोल विज्ञान का बेहद ज्यादा शौक था ये ज्यादा शौकीन थे और उन्होंने ही मुग़ल सम्राट मोहम्मद शाह के आग्रह पर आखिरकार इन वेधशालाओं का निर्माण करवाया था। वही उनकी रुचि प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान को पुनर्जीवित करने और उस समय के यूरोपीय खगोल विज्ञान के साथ ही साथ तुलना करने में रहा करती थी।

जंतर मंतर के बारे मे रोचक कहानी

जंतर मंतर के बारे ऐसा कहा जाता है कि जब सवाई जयसिंह ने इस वेधशाला का निर्माण किया था तो यह मुग़ल दरबार में यह काफी चर्चा का विषय बन गया था। जहा एक बार उन्होंने सम्राट मोहम्मद शाह को सम्राट यंत्र के माध्यम से समय मापने का प्रदर्शन भी किया गया था। जहा उनकी गणना इतनी सटीक थी कि इसे देखकर दरबार के सभी विद्वान चकित रह गए थे।

वही सबसे ख़ास बात यह है की इसके अलावा, यह भी मान्यता है कि जंतर मंतर का नाम “यंत्र” और “मंत्र” शब्दों से बना है, जो दर्शाता है कि यहाँ यंत्रों का उपयोग खगोलीय घटनाओं को समझने के लिए मंत्रों की तरह किया जाता था।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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