Bandhavghar News: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इनोवा कार घुसने का मामला, जांच में जुटा प्रशासन
उमरिया तपस गुप्ता
Bandhavghar News: उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, जो बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध है, वहां एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां के बफर जोन पचपेड़ी क्षेत्र में एक इनोवा कार को वन क्षेत्र में प्रवेश करते हुए देखा गया। इस कार में रिटायर्ड डिप्टी रेंजर हरिभजन सिंह सहित चार लोग सवार थे। जैसे ही टाइगर रिजर्व प्रबंधन को इस घटना की जानकारी मिली, अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे और जांच शुरू कर दी।
कैसे हुई घटना?
Bandhavghar News: यह मामला शनिवार शाम का है, जब पर्यटकों की जिप्सियां सफारी के दौरान बफर जोन पचपेड़ी में वन क्षेत्र में जा रही थीं। उसी दौरान एक इनोवा कार (क्रमांक MP 20 BA 4643) को प्रतिबंधित क्षेत्र में देखा गया। सफारी के नियमों के अनुसार, निजी वाहनों को वन क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होती है, लेकिन फिर भी यह कार अंदर कैसे पहुंची, यह सवाल खड़ा हो गया।
Bandhavghar News: जैसे ही टाइगर रिजर्व प्रबंधन को इस बारे में सूचना मिली, तत्काल क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय के निर्देश पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। जांच में पाया गया कि सेवानिवृत्त उपवन क्षेत्रपाल (डिप्टी रेंजर) हरिभजन सिंह इस कार में मौजूद थे। उनके साथ तीन अन्य लोग भी सफर कर रहे थे।
हरिभजन सिंह ने क्या दी सफाई?
Bandhavghar News: जब अधिकारियों ने हरिभजन सिंह से इस बारे में सवाल किया, तो उन्होंने बताया कि वे खतौली सर्कल में पदस्थ थे और पचपेड़ी बफर जोन के कैंप में श्रमिक से मिलने आए थे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उनके पास बफर जोन में प्रवेश करने की अनुमति थी या नहीं।
वन विभाग कर सकता है कार्रवाई
Bandhavghar News: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि निजी वाहनों को वन क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होती। यह गंभीर लापरवाही मानी जा रही है, क्योंकि बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए यह नियम लागू किए गए हैं। प्रशासन अब इस घटना की विस्तृत जांच कर रहा है और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
क्यों है यह मामला गंभीर?
Bandhavghar News: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की सुरक्षा के कड़े नियम हैं। यहां बाघों सहित कई दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है। निजी वाहन वन क्षेत्र में घुसने से न केवल वन्यजीवों को खतरा हो सकता है, बल्कि इससे पर्यावरणीय संतुलन भी बिगड़ सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि वन विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।