Umaria News’:मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार के खिलाफ आदिवासी कांग्रेस का मोर्चा, राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन
उमरिया तपस गुप्ता (7999276090)
प्रदेश में आदिवासी समाज पर हो रहे निरंतर अत्याचार, वन विभाग की कथित मनमानी और सरकार की चुप्पी के विरोध में मध्यप्रदेश आदिवासी कांग्रेस ने आज राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा। यह ज्ञापन उमरिया जिला कलेक्टर के माध्यम से भेजा गया, जिसमें आदिवासी कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं और आदिवासियों की सुरक्षा एवं अधिकारों की मांग की है।
ज्ञापन आदिवासी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेश कोल के नेतृत्व में सौंपा गया। इसमें उल्लेख किया गया है कि मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के कार्यकाल में आदिवासी समुदाय लगातार शोषण, अन्याय और दमन का शिकार हो रहा है।
ज्ञापन में मुख्यमंत्री मोहन यादव को अपराधों पर अंकुश लगाने में विफल बताया गया है। आरोप है कि वन विभाग द्वारा आदिवासियों को उनके घरों से जबरन बेदखल किया जा रहा है, उनकी आजीविका को तहस-नहस किया जा रहा है और उन्हें विकास के नाम पर उनकी ही जमीनों से विस्थापित किया जा रहा है।
आदिवासी कांग्रेस ने खातेगांव में बरसात के मौसम में आदिवासी घरों को तोड़ने, बुरहानपुर में आदिवासियों के पट्टे रद्द कर वन भूमि से हटाने, सिंगरौली में घरों को उजाड़ने और मंडला जिले में नक्सलवाद के नाम पर निर्दोष आदिवासियों की हत्या जैसे मामलों को लेकर गहरी चिंता जताई है।
डिंडौरी जिले के उमरिया गांव का उदाहरण देते हुए बताया गया कि वन विभाग द्वारा आदिवासियों के घरों को ढहाकर उन्हें भीगते मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने के लिए मजबूर कर दिया गया, जो सीधे तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
ज्ञापन में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी पर झूठी एफआईआर दर्ज कराने के मामले को भी शामिल किया गया है। आदिवासी कांग्रेस का कहना है कि जब कोई आदिवासी या उनके हितैषी नेता आवाज उठाते हैं, तो उन्हें साजिश के तहत कानूनी शिकंजे में फंसाया जाता है।
आदिवासी कांग्रेस ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे इन अत्याचारों पर संज्ञान लें और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ ही आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों, जमीन, जंगल और जल पर उनके पारंपरिक हकों की सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
ज्ञापन पर आदिवासी कांग्रेस के दर्जनों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने अपनी नाराजगी प्रकट करते हुए चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो पूरे प्रदेश में व्यापक जन आंदोलन छेड़ा जाएगा।