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History:पहले था कोयला का माल वाहक फिर नौसेना का विमान वाहक पोत 

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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History : पहले था कोयला का माल वाहक फिर नौसेना का विमान वाहक पोत 

यू.एस.एस. लैंगली (USS Langley, CV-1) – अमेरिका का पहला विमानवाहक पोत

History : आइए जानते है इस जहाज के बारे मे -: 

इतिहास के कुछ ऐसे भी पढ़ते हैं जिसे आज तक आपने नहीं देखा होगा जहां तक यह इतिहास सिर्फ हमारे भारत देश तक ही सीमित नहीं है बल्कि कई ऐसे राष्ट्र हैं जिन्होंने कई अच्छे काम किए हैं और लोगों के बीच में मिसाल बने हैं। जहा यह यू.एस.एस. लैंगली (USS Langley, CV-1) अमेरिकी नौसेना का पहला विमानवाहक पोत हुआ करता था।

साथ ही इसे एक कोयला मालवाहक जहाज USS Jupiter (AC-3) से परिवर्तित किया गया था। जहाँ ईसका नाम खगोलशास्त्री और वैमानिकी वैज्ञानिक सैम्युएल पी. लैंगली के सम्मान में रखा गया था। इस जहाज को 1920 के दशक में नौसेना की विमानन क्षमताओं को विकसित करने के उद्देश्य से बनाया गया था।

History : जाने इसका निर्माण एवं रूपांतरण

मूल जहाज: USS Jupiter (AC-3)

निर्माण: 18 अक्टूबर 1911

सेवा में प्रवेश: 7 अप्रैल 1913

विमानवाहक पोत में परिवर्तन: 1920 में शुरू हुआ

नया नाम: USS Langley (CV-1)

सेवा में शामिल: 20 मार्च 1922

सबसे बड़ी बात यह है कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला विमान वाहक पोत माना जाता था जो की नौसेना की बेडे में शामिल किया गया था इसका इतिहास इसलिए भी खास है क्योंकि यह है पहले इसके लिए नहीं बनाया गया था इसका कार्य पहले दूसरा था। वही USS Jupiter को एक फ्लैट-टॉप डेक, हैंगर, लिफ्ट और कैटापल्ट लॉन्च सिस्टम के साथ एक विमानवाहक पोत के रूप में परिवर्तित किया गया था। जहा यह अमेरिका का पहला पोत था जो विशेष रूप से विमानों के संचालन के लिए डिज़ाइन इसे किया गया था।

History : जाने इस पोत की विशेषताएँ:

लंबाई: 542 फीट (165 मीटर)

चौड़ाई: 65 फीट (20 मीटर)

गति: 15.5 नॉट (28.7 किमी/घंटा)

विमान क्षमता: लगभग 36 विमान

क्रू मेंबर्स: 468

आपको बता दें कि इस ussLangley पर पहली बार 17 अक्टूबर 1922 को नौसेना पायलट लेफ्टिनेंट वीरनर डब्ल्यू. टी. बायर्स ने Vought VE-7SF विमान के साथ सफल लैंडिंग की।

इसका एक और समृद्ध खाली इतिहास है जिसमें यह माना जाता है कि यू.एस.एस. लैंगली ने 1920 और 1930 के दशक में अमेरिकी नौसेना के लिए विमानवाहक युद्ध तकनीकों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी। जहा यह विमान संचालन, कैटापल्ट लॉन्चिंग और लैंडिंग तकनीकों के लिए परीक्षण का एक मंच बना।

सन 1936 में, लैंगली को एक सीप्लेन टेंडर (AV-3) में बदला गया। जिससे यह जल विमान (seaplane) के संचालन में सहायक बना था।

द्वितीय विश्व युद्ध मे भी इसे किया गया था प्रयोग

आपको बतादे की द्वितीय विश्व युद्ध में, USS Langley को दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में तैनात किया गया था।

सन 27 फरवरी 1942 को, जावा सागर के पास, इसे जापानी लड़ाकू विमानों ने निशाना बनाया। भारी क्षति के कारण इसे अपने ही सहयोगी जहाजों द्वारा डुबो दिया गया ताकि यह दुश्मनों के हाथ न आए।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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