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Sidhi news: ग्राम पंचायतों में नहीं आ रहे हल्का पटवारी

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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Sidhi news: वरिष्ट अधिकारियों के आदेश का नहीं दिख रहा असर, भटकते हैं कास्तकार

संवाददाता अविनय शुक्ला (7723041705)

Sidhi news: जिले में हल्का पटवारियों की तलाश में कास्तकारों को अक्सर भटकते हुए देखा जाता है। हल्का पटवारी अपने क्षेत्र में नियमित रूप से रहने की वजाय जिला मुख्यालय या तहसील मुख्यालय में डेरा जमाए रहते हैं। अधिकांश पटवारी अपने गृह क्षेत्र के आसपास ही पदस्थ हैं इस वजह से वह अपने घरेलू कार्य में ज्यादा व्यस्त दिखते हैं। लोगों की उक्त समस्या को देखते हुए पूर्व कलेक्टर द्वाराआदेश जारी कर निर्देशित किया गया था कि हल्का पटवारी नियमित रूप से सप्ताह के दो दिन ग्राम पंचायत में बैठें। यदि किसी पटवारी के पास दो हल्का का प्रभार है तो वे सप्ताह में एक-एक दिन दोनों ग्राम पंचायतों में बैठकर ग्रामीणों की समस्याओं का सार्थकनिदान सुनिश्चित कराएं। बिडम्बना यह है कि तहसीलदारों द्वारा इसके लिए कोई आदेश हल्का पटवारियों को अपने स्तर से नहीं दिए गए। लिहाजा हल्का पटवारी ग्राम पंचायतों में बैठने से पूरी तरह से दूरी बनाए हुए हैं। वह ग्राम पंचायतों में आदेश जारी होने के बाद से ही कभी भी निर्धारित दिवस को बैठने की जरूरत नहीं समझे। चर्चा के दौरान तहसील क्षेत्रों के कुछ ग्रामीणों ने बताया कि हल्का पटवारियों से काम पड़ने पर उनकी तलाश में पूर्व की तरह ही अब भी भटकना पड़ रहा है। तत्कालीन कलेक्टर का उक्त आदेश समाचार पत्रों में अवश्य पढ़ने के लिए मिला था लेकिन तहसील स्तर से हल्का पटवारियों को अपने क्षेत्र में दो दिवस बैठने के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया। जिसके चलते हल्का पटवारियों द्वारा अपने क्षेत्र में ग्राम पंचायतों में बैठने के लिए दो खास दिवसों का निर्धारण भी नहीं किया गया है। हल्का पटवारियों के यदि सप्ताह के दो दिन ग्राम पंचायतों में बैठने का निर्धारण सुनिश्चित करा दिया जाय तो ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश लोगों की राजस्व संबंधी समस्याओं का निराकरण बिना किसी भटकाव के हो सकता है। अभी देखा जा रहा है कि हल्का पटवारीआरआई आफिस या तहसील कार्यालय का चक्कर लगाकर गायब हो जाते हैं।

ग्रामीणों को कटवाया जाता है चक्कर

Sidhi news: कई पटवारी तो ऐसे भी हैं जो कि नियमित रूप से तहसील एवं आरआई कार्यालय में नहीं आते। ऐसे में हल्का पटवारियों की तलाश में ग्रामीणों को कई दिनों तक भटकना पड़ता है। यदि मुलाकात हुई भी तो उनके द्वारा कई तरह की बहानेबाजी करके ग्रामीणों को लगातार चक्कर कटवाया जाता है। ग्रामीणों का कहना था कि हल्का पटवारियों से किसानों का अक्सर काम पड़ता है। यह अवश्य है कि अधिकांश राजस्व अभिलेख लोक सेवा केन्द्रों से मिल जाते हैं लेकिन राजस्व संबंधी कई तरह के कार्य एवं रिपोटों को लगवाने के लिए किसानों को अनावश्यक रूप से चक्कर लगाना पड़ता है। कई ग्रामीणों का कहना था कि पूर्व में राजस्व अभिलेखों की नकल भी हल्का पटवारियों के माध्यम से ही मिलती थी उस दौरान और ज्यादा समस्याएं होती थीं। फिर भी हल्का पटवारियों के माध्यम से वर्तमान में भी काफी कार्य ऐसे हैं जो उनके मिलने से ही दूर हो सकते हैं। हल्का पटवारियों द्वारा अपने क्षेत्र में कोई भी स्थाई अड्डा नहीं बनाया गया जिससे उनसे मुलाकात हो सके। हल्का पटवारियों के बैठने का निश्चित ठिकाना न होने से उनको तलाश पाना कास्तकारों के लिए आसान नहीं होता।

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