Indian history : 200 साल पुराना ट्रैक्टर हुआ सोशल मीडिया में वायरल,जाने क्या थी विशेषता
Indian history : भारत देश का इतिहास सदैव पुराना है और यहां ऐसे कई चीज थी जिसका नया रूप आप भी देख कर हैरान हो जाएंगे और यह आपके सामने भी था लेकिन आपने इससे पहले कभी नहीं देखा होगा। हम बात कर रहे हैं ट्रैक्टर की जहां ट्रैक्टर पेट्रोल और डीजल से चलने वाले तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन इससे पहले क्या आपको पता है कि पहले कैसे जमाने में ट्रैक्टर किससे चलते थे।
एक समय ऐसा था जब ट्रैक्टर कोयले से चलते थे जहां कोयले से भाव बनाई जाती थी और फिर भाव से चलने वाले इंजनों का निर्माण किया जाता था।
Indian history:
यहाँ स्टीम यानी भाप से चलने वाला ट्रैक्टर कृषि और परिवहन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आविष्कार उस समय का माना जाता था। जहा इसकी उत्पत्ति औद्योगिक क्रांति के समय हुई थी ,उस समय भाप इंजन का व्यापक उपयोग हो रहा था।
Indian history
तो आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
जाने कैसे हुआ भाप से चलने वाले ट्रैक्टर का आविष्कार और निर्माण
सबसे पहले जानते है इसका प्रारंभिक विकास –
आपको बता दे की पहला भाप से चलने वाला ट्रैक्टर 19वीं शताब्दी के आसपास में बनाया गया था। सन 1850 और 1860 के दशक में ब्रिटेन और अमेरिका में भाप इंजनों का उपयोग कृषि उपकरणों को चलाने के लिए किया जाने लगा था।
किसने किया था निर्माण
बात आती है इसके निर्माण की तो इस ट्रेक्टर का निर्माण जॉन फॉलेम और थॉमस एवेलिंग ने सन 1859 में पहला वास्तविक भाप से चलने वाला ट्रैक्टर बनाया था। जहा इसे “एवेलिंग एंड पोर्टर” कंपनी ने विकसित किया, जो कृषि और औद्योगिक उपयोग के लिए ट्रैक्टर बनाने में काफी आगे थी।
इस ट्रेक्टर की विशेषताएँ
यह भारी वजन उठाने मे था सक्षम
ज्ञात हो की यह ट्रैक्टर भाप इंजन की ताकत से भारी वजन खींच सकता था, जिससे खेती और निर्माण कार्य में मदद मिला करती थी।
बहु-उपयोगिता हुई साबित
इस ट्रेक्टर का उपयोग खेत की जुताई, अनाज की मड़ाई, और लकड़ी खींचने जैसे कामों में हुआ करता था।
स्वचालन की हुई थी शुरुआत
आपको बतादे की इससे पहले के हाथ से चलने वाले उपकरणों की तुलना में अधिक कुशल और तेज माना जाता था।
पर्यावरणीय प्रभाव
आपको बतादे की उस समय के अनुसार, इसे एक बड़ी प्रगति माना गया, लेकिन यह कोयला जलाने पर निर्भर था, जिससे धुआं निकला करता था।
इस ट्रेक्टर के कार्य
खेत की जुताई और मड़ाई।
भारी मशीनरी और सामग्री को स्थानांतरित करना।
परिवहन और निर्माण में सहायता।
औद्योगिक क्षेत्रों में सामान खींचना इसका काम हुआ करता था।
जाने इसकी महत्त्व और उपयोगिता
आपको बतादे की भाप से चलने वाला ट्रैक्टर खेती के लिए क्रांति लेकर आया था। जहा यह बड़े पैमाने पर काम को आसान और तेज़ बनाने में सहायक हुआ। हालांकि, 20वीं सदी की शुरुआत में डीजल और पेट्रोल से चलने वाले ट्रैक्टरों ने भाप इंजनों की जगह ले ली।