---Advertisement---

Lord Krishna:भगवान श्री कृष्ण के बारे मे जाने सारे गूढ रहस्य

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

Published on:

---Advertisement---

Lord krishna : श्री कृष्ण के जीवन से लेकर उनकी मान्यता के बारे में आए हम आपको पूरी कहानी बता रहे हैं

 

Lord krishna : भगवान श्री कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। कृष्ण के जीवन में वह सबकुछ है जिसकी मानव जीवन को आवश्यकता होती है। भगवान श्री कृष्ण गुरु हैं, तो शिष्य भी है। वे अगर आदर्श पति हैं तो प्रेमी भी है। आदर्श मित्र हैं, तो शत्रु भी है। वे अगर आदर्श पुत्र हैं, तो पिता भी है। अगर युद्ध में कुशल हैं तो बुद्ध भी उनके पास। इतना ही नहीं श्री कृष्ण के जीवन में हर वह रंग है, जो धरती पर पाए जाते हैं इसीलिए तो उन्हें पूर्णावतार कहा गया है। मुर्ख हैं वे लोग, जो उन्हें छोड़कर अन्य को भजते है, इसीलिए कहा गया गया है की ‘भज गोविन्दं मुढ़मते।

भगवान श्री कृष्ण के जीवन मे आठ का अंक क्यों महत्वपूर्ण है

Lord krishna : भगवान श्री कृष्ण के जीवन में आठ अंक का अजब – गजब संयोग है। वही उनका जन्म 8वें मनु के काल में अष्टमी के दिन वसुदेव के 8वें पुत्र के रूप में जन्म हुआ था। आपको बतादे की भगवान श्री कृष्ण की आठ सखियां, आठ पत्नियां, आठमित्र और आठ शत्रु भी थे। इस तरह उनके जीवन में आठ अंक का बहुत ही बड़ा संयोग है।

कृष्ण के नाम जिनसे होती है उनकी पहचान

भगवान श्री कृष्ण के कई नाम है, लेकिन कुछ ऐसे नाम जो कि उन्हें लोग प्यार से कहते हैं। उनमे से प्रमुख है नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्वारिकाधीश और वासुदेव। बाकी बाद में भक्तों ने रखे जैसे ‍मुरलीधर, माधव, गिरधारी, घनश्याम, माखनचोर, मुरारी, मनोहर, हरि, रासबिहारी आदि।

Lord krishna : भगवान श्री कृष्ण के माता-पिता

बात करें भगवान श्री कृष्ण के माता-पिता की तो कृष्ण की माता का नाम देवकी और पिता का नाम वसुदेव था। उनको जिन्होंने पाला था उनका नाम यशोदा और धर्मपिता का नाम नंद था। बलराम की माता रोहिणी ने भी उन्हें माता के समान दुलार दिया। रोहिणी वसुदेव की प‍त्नी थीं।

भगवान श्री कृष्ण के गुरु

आपको बतादे की ऋषि संदीपनि ने भगवान श्री कृष्ण को वेद वा शास्त्रों सहित 14 विद्या और 64 कलाओं का ज्ञान दिया था। इसके अलावा गुरु घोरंगिरस ने सांगोपांग ब्रह्म ‍ज्ञान की शिक्षा दी थी। इतिहास मे यह कहा गया है की श्रीकृष्ण अपने चचेरे भाई और जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर नेमिनाथ के प्रवचन सुना करते थे।

Lord krishna : कृष्ण के भाई

इतिहास में यह वर्णित है कि भगवान श्री कृष्ण के भाइयों में नेमिनाथ, बलराम और गद शामिल थे। शौरपुरी (मथुरा) के यादववंशी राजा अंधकवृष्णी के ज्येष्ठ पुत्र समुद्रविजय के पुत्र थे नेमिनाथ। अंधकवृष्णी के सबसे छोटे पुत्र वसुदेव से उत्पन्न हुए भगवान श्रीकृष्ण। इस प्रकार नेमिनाथ और श्रीकृष्ण दोनों चचेरे भाई थे। इसके बाद बलराम और गद भी कृष्ण के भाई ही थे।

कृष्ण की कितने बहनें थी

Lord krishna : पुराणो के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की 3 बहनें थी

1.एकानंगा जो मा यशोदा की पुत्री थीं।

2.सुभद्रा : वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी से बलराम और सुभद्र का जन्म हुआ था। उस समय वसुदेव देवकी के साथ जिस समय कारागृह में बंदी भी थे, वही उस समय ये नंद के यहां रहती थीं। सुभद्रा का विवाह कृष्ण ने अपनी बुआ कुंती के पुत्र अर्जुन से किया था। जबकि बलराम दुर्योधन से उनका विवाह करना चाहते थे।

3.द्रौपदी : आपको बतादे की पांडवों की पत्नी द्रौपदी हालांकि वह भगवान श्री कृष्ण की बहन नहीं थी, लेकिन श्रीकृष्‍ण इसे अपनी मानस ‍भगिनी मानते थे।

4.इसके बाद सबसे आखिर मे देवकी के गर्भ से मा सती ने महामाया के रूप में इनके घर जन्म लिया, जो कंस के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। यह भी कृष्ण की बहन थीं।

Lord krishna : भगवान श्री कृष्ण की 8 पत्नियां

भगवान श्री कृष्ण की आठ पटिया मानी जाती थी जहां मुख्यतः उनका नाम रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी।

कृष्ण के पुत्र

चलिए जानते हैं कि आखिर भगवान श्री कृष्ण के कितने पुत्र थे। भगवान श्री कृष्ण की पत्नियों में से रुक्मणी से प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, जम्बवंती से साम्ब, मित्रवंदा से वृक, सत्या से वीर, सत्यभामा से भानु, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी से उन्होंने 1 -1 पुत्रो को जन्म दिया था।

कृष्ण की पुत्रियां

रुक्मणी से कृष्ण की एक पुत्री थीं जिसका नाम चारू था।

कृष्ण के पौत्र

प्रद्युम्न से अनिरुद्ध का जन्म हुआ था फिर अनिरुद्ध का विवाह वाणासुर की पुत्री उषा के साथ हुआ था।

Lord krishna : भगवान श्री कृष्ण की 8 सखियां थी

इतना ही नहीं पत्नी के अलावा भगवान श्री कृष्ण की 8 सखियां भी थी। जिनमे से राधा, ललिता आदि सहित कृष्ण की 8 सखियां थीं। सखियों के नाम ये है –

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इनके नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा।

कुछ जगह ये नाम इस प्रकार हैं- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रग्डदेवी और सुदेवी।

इसके अलावा भौमासुर से मुक्त कराई गई सभी महिलाएं कृष्ण की सखियां थीं। कुछ जगह पर- ललिता, विशाखा, चम्पकलता, चित्रादेवी, तुङ्गविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और कृत्रिमा (मनेली)। इनमें से कुछ नामों में अंतर है।

कृष्ण के 8 मित्र भी थे –

भगवान श्री कृष्ण के आठ मित्र थे उनमें से श्रीदामा, सुदामा, सुबल, स्तोक कृष्ण, अर्जुन, वृषबन्धु, मन:सौख्य, सुभग, बली और प्राणभानु।

इनमें से आठ उनके साथ मित्र थे। ये नाम आदिपुराण में मिलते हैं। हालांकि इसके अलावा भी कृष्ण के हजारों मित्र थे जिसनें दुर्योधन का नाम भी लिया जाता है।

Lord krishna : कृष्ण के 8 शत्रु

बात करते हैं उनके शत्रुओं की तो श्री कृष्ण के आठ शत्रु भी थे जिनमें से प्रमुख हैं कंस, जरासंध, शिशुपाल, कालयवन, पौंड्रक। कंस तो मामा था। कंस का श्वसुर जरासंध था। शिशुपाल कृष्ण की बुआ का लड़का था। कालयवन यवन जाति का मलेच्छ जा था जो जरासंध का मित्र था। पौंड्रक काशी नरेश था जो खुद को विष्णु का अवतार मानता था।

कृष्ण ने इनका किया था वध

भगवान श्री कृष्ण ने जिनका वध किया था उनमे प्रमुख है  – पूतना, चाणूड़, शकटासुर, कालिया, धेनुक, प्रलंब, अरिष्टासुर, बकासुर, तृणावर्त अघासुर, मुष्टिक, यमलार्जुन, द्विविद, केशी, व्योमासुर, कंस, प्रौंड्रक और नरकासुर आदि।

कृष्ण के चिन्ह

भगवान श्री कृष्ण के चिन्हो में से प्रमुख है जिनसे पहचान होती है। जिनमे से है सुदर्शन चक्र, मोर मुकुट, बंसी, पितांभर वस्त्र, पांचजन्य शंख, गाय, कमल का फूल और माखन मिश्री।

कृष्ण के लोक

वैकुंठ, गोलोक, विष्णु लोक।

कृष्ण ग्रंथ : महाभारत और गीता

कृष्ण का कुल

भगवान श्री कृष्ण का कुल यदुकुल था। कृष्ण के समय उनके कुल के कुल 18 कुल थे। अर्थात उनके कुल की कुल 18 शाखाएं थीं। यह अंधक-वृष्णियों का कुल था। वृष्णि होने के कारण ये वैष्णव कहलाए। अन्धक, वृष्णि, कुकर, दाशार्ह भोजक आदि यादवों की समस्त शाखाएं मथुरा में कुकरपुरी (घाटी ककोरन) नामक स्थान में यमुना के तट पर मथुरा के उग्रसेन महाराज के संरक्षण में निवास करती थीं।

सिर्फ शाप के चलते सिर्फ यदु‍ओं का नाश होने के बाद अर्जुन द्वारा श्रीकृष्ण के पौत्र वज्रनाभ को द्वारिका से मथुरा लाकर उन्हें मथुरा जनपद का शासक बनाया गया। इसी समय परीक्षित भी हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाए गए। वज्र के नाम पर बाद में यह संपूर्ण क्षेत्र ब्रज कहलाने लगा। जरासंध के वंशज सृतजय ने वज्रनाभ वंशज शतसेन से 2781 वि.पू. में मथुरा का राज्य छीन लिया था। बाद में मागधों के राजाओं की गद्दी प्रद्योत, शिशुनाग वंशधरों पर होती हुई नंद ओर मौर्यवंश पर आई। मथुराकेमथुर नंदगाव,वृंदावन,गोवर्धन,बरसाना,मधुवन और द्वारिका।

भगवान श्री कृष्ण पर्व

श्री कृष्ण ने ही होली और अन्नकूट महोत्सव की शुरुआत की थी।जन्माष्टमी के दिन उनका जन्मदिन मनाया जाता है।

मथुरा मंडल के ये 41 स्थान कृष्ण से जुड़े हैं

भगवान श्री कृष्ण से जुड़े हुए 41 स्थान है जिनमें से प्रमुख हैं – मधुवन,तालवन,कुमुदवन,शांतनु कुण्ड,सतोहा,बहुलावन,राधा-कृष्ण कुण्ड,गोवर्धन,काम्यक वन,संच्दर सरोवर,जतीपुरा,डीग का लक्ष्मण मंदिर,साक्षी गोपाल मंदिर,जल महल,कमोद वन,चरन पहाड़ी कुण्ड,काम्यवन,बरसाना,नंदगांव,जावट,कोकिलावन,कोसी,शेरगढ,चीर घाट,नौहझील,श्री भद्रवन,भांडीरवन,बेलवन,राया वन,गोपाल कुण्ड,कबीर कुण्ड,भोयी कुण्ड,ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर,दाऊजी,महावन,ब्रह्मांड घाट,चिंताहरण महादेव,गोकुल, संकेत तीर्थ,लोहवन और वृन्दावन।इसके बाद द्वारिका,तिरुपति बालाजी,श्रीनाथद्वारा और खाटू श्याम प्रमुख कृष्ण स्थान है।

ये थे भगवान कृष्ण के परम भक्त

इसके अलावा बात करें भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त की तो  सूरदास,ध्रुवदास,रसखान,व्यासजी,स्वामी हरिदास,मीराबाई,गदाधर भट्ट,हितहरिवंश,गोविन्दस्वामी,छीतस्वामी,चतुर्भुजदास,कुंभनदास,परमानंद,कृष्णदास,श्रीभट्ट,सूरदास मदनमोहन,नंददास,चैतन्य महाप्रभु आदि प्रमुख थे।

Follow On WhatsApp
Follow On Telegram
Manoj Shukla

Manoj Shukla

मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

---Advertisement---

Leave a Comment