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Makar sankranti:28 साल बाद होगा लोहड़ी मे ये महासंयोग

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Makar sankranti : 28 वर्ष बाद दुर्लभ योग में सूर्य उतरायण होगा संक्रांति पर: पंडित शर्मा 

 

Makar sankranti : मकर संक्रांति का हिंदू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। इस बार मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही रखा जाएगा। सूर्य 14 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करेगा। इसी दिन या इसके आसपास ही दक्षिण भारत में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण और पंजाब में लोहड़ी पर्व मनाया जाता है।

ज्योतिष पद्म भूषण स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य डॉ पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। भारत के अधिकतर हिस्सों में इस पर्व को मकर संक्रांति ही कहते हैं। इस दिन तिल और गुड़ खाने और इसे प्रसाद के रूप में बांटने का प्रचलन है। इस साल संक्रांति पर 28 वर्ष बाद दुर्लभ योग में सूर्य उतरायण होगा। जो काफी लाभदायक माना जा रहा है।

Makar sankranti : मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है।

Makar sankranti : मकर संक्रांति के दिन ही यानी 14 जनवरी 2025 को ही दक्षिण भारत में पोंगल का महापर्व मनाया जाएगा। यह पर्व भी सूर्य के उत्तरायण होने के साथ ही राजा बली को समर्पित पर्व है। चार दिनों तक चलते वाले इस पर्व का नाम थाई पोंगल है। इसमें पोही के बाद पहले दिन भोगी, दूसरे दिन थाई पोंगल, तीसरे दिन मट्टू पोंगल और चौथे दिन कन्नुम पोंगल रहता है। तीसरा दिन महत्वपूर्ण रहता है।

लोहड़ी

यह पर्व मकर संक्रांति की पूर्व संध्या के दिन मनाते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2025, दिन सोमवार को मनाया जा रहा है। अत: यह पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व रात्रि में मनाया जाता है। रात में लोहड़ी मनाने के बाद अगले दिन लोहड़ी संक्रांति मनाई जाती है। लोहड़ी के दिन रात्रि में अग्नि जलाकर उसमें रेवड़ी, तिल, गुड़, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देने की मान्यता है। लोहड़ी के दिन गुरुद्वारों के सरोवरों में डुबकी लगाना चाहिए तथा गुरुद्वारों में विशेष शबद कीर्तन में भाग लेना चाहिए और कीर्तन सुनने भी जाना चाहिए।

उत्तरायण

Makar sankranti : पंडित शर्मा अनुसार ऐसी मान्यता है कि सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। इसी को मानकर गुजरात में मकर संक्राति पर्व को उत्तरायण पर्व के रूप में मनाते हैं।

इस दिन वहां पर पतंग उड़ाने का रिवाज है। जुलियन कैलेंडर के अनुसार तो लगभग 23 दिसंबर से ही उत्तरायण सूर्य के योग बन जाते हैं, परंतु भारतीय पंचांगों के अनुसार यह तिथि 14 जनवरी को ही आती है। हालांकि सूर्य पौष मास से ही उत्तरायण होना प्रारंभ हो जाता है परंतु इस दौरान मलमास भी चल रहा होता है। इसलिए सूर्य के धनु से मकर में जाने के बाद ही उसे स्पष्टत: उत्तरायण माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन से सूर्य स्पष्ट तौर पर उत्तरायण गमन दिखाई देने लगता है। उत्तरायण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म। इस दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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