Mp news:आदेश पर मचा बवाल,प्रशासन पर भेदभाव का आरोप
Mp news : उमरिया जिले में सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग द्वारा जारी एक आदेश ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि ST/SC/OBC विभाग में पदस्थ कर्मचारी अक्सर सेवा एवं कार्यालयीन समय में शराब, गांजा और अन्य नशे की हालत में आते हैं। इतना ही नहीं, ऐसे कर्मचारी अनावश्यक रूप से शाखा प्रभारियों से विवाद कर कार्यालय का माहौल बिगाड़ते हैं। आदेश में यह भी चेतावनी दी गई है कि 1 सितंबर 2025 के बाद यदि कोई कर्मचारी नशे की हालत में पकड़ा गया, तो उसका जिला मेडिकल बोर्ड उमरिया से परीक्षण कर रिपोर्ट वरिष्ठ कार्यालय भेजी जाएगी और जिम्मेदार स्वयं कर्मचारी होगा।
कांग्रेस का आरोप: अपमानजनक और भेदभावपूर्ण
Mp news : इस आदेश ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस जिला अध्यक्ष इंजीनियर विजय कोल ने आरोप लगाया कि यह आदेश विशेष वर्ग को निशाना बनाकर जारी किया गया है। उनका कहना है कि यह न केवल अपमानजनक है बल्कि पूरे समुदाय को बदनाम करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ कर्मचारी अनुशासनहीन हैं तो उनके खिलाफ व्यक्तिगत स्तर पर कार्रवाई की जानी चाहिए थी, न कि पूरे वर्ग को कटघरे में खड़ा किया जाए। विजय कोल ने साफ कहा कि सहायक आयुक्त के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई की जानी चाहिए।
प्रशासन की चुप्पी बढ़ा रही सवाल
Mp news : जब इस पूरे आदेश पर स्पष्टीकरण के लिए सहायक आयुक्त से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो वे उपलब्ध नहीं हो सकीं। उनकी चुप्पी ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। यदि आदेश किसी सामान्य अनुशासनात्मक कार्रवाई का हिस्सा था तो इसमें ST/SC/OBC विभाग का उल्लेख क्यों किया गया? क्या प्रशासन यह मानकर चल रहा है कि सिर्फ इसी विभाग के कर्मचारी नशे में आते हैं? यह सवाल प्रशासन की मंशा पर सीधा सवालिया निशान खड़ा करता है।
भाजपा का बचाव
वहीं भाजपा जिला अध्यक्ष आशुतोष अग्रवाल ने बयान जारी कर कहा कि आदेश किसी विशेष वर्ग को लक्षित नहीं करता। यह केवल उन कर्मचारियों पर लागू है जो ST/SC/OBC विभाग में पदस्थ हैं। उनका कहना है कि इसे गलत तरीके से प्रस्तुत कर राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। लेकिन भाजपा के इस बयान ने विवाद को शांत करने के बजाय और गहरा कर दिया है, क्योंकि आदेश में स्पष्ट तौर पर विभाग विशेष का नाम दर्ज है।
प्रशासन की कार्यशैली पर उठे प्रश्न
Mp news : इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन की कार्यशैली को कठघरे में खड़ा कर दिया है। अगर वास्तव में कर्मचारी अनुशासनहीन हैं तो इसके लिए नियम पहले से मौजूद हैं। मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराने जैसी व्यवस्था पर किसी को आपत्ति नहीं, परंतु समस्या यह है कि आदेश को सिर्फ एक वर्ग तक सीमित कर दिया गया। इससे यह संदेश गया कि प्रशासन की नजर में सिर्फ ST/SC/OBC विभाग के कर्मचारी ही अनुशासनहीन हैं। यह न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि सिविल सेवा नियमों की भावना के भी खिलाफ है।
संभावित परिणाम
इस आदेश से विभागीय कर्मचारी आहत हैं। उनका कहना है कि यह उनकी छवि धूमिल करता है और समाज में गलत संदेश जाता है। आदेश की भाषा और उसमें विभाग विशेष का नाम लिखना प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है। यदि इस पर उच्च स्तर से तुरंत संज्ञान नहीं लिया गया तो मामला और बड़ा हो सकता है। कांग्रेस पहले ही सहायक आयुक्त के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर चुकी है और आने वाले दिनों में आंदोलन की चेतावनी भी दे सकती है।
उमरिया का यह आदेश इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन संवेदनशील मामलों में भी लापरवाह रवैया अपना रहा है। यदि उद्देश्य अनुशासन कायम करना था, तो आदेश सभी कर्मचारियों के लिए समान रूप से लागू किया जाना चाहिए था। लेकिन इसे केवल ST/SC/OBC विभाग तक सीमित कर देना प्रशासन की गंभीर भूल है, जिसने न केवल सरकारी कर्मचारियों का मनोबल गिराया है बल्कि सामाजिक सौहार्द्र को भी चोट पहुंचाई है। अब यह देखना बाकी है कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या सहायक आयुक्त पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।
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