Sidhi news:प्रदूषण की पड़ताल नहीं, पैसा लेकर वाहन चालकों को दे दिए जाते हैं प्रमाण पत्र
संवाददाता अविनय शुक्ला
Sidhi news:वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसे कंट्रोल करने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं आरटीओ और प्रदूषण कंट्रोल करने वाले विभाग की लापरवाही से शहर की हवा जहरीली होती जा रही है। शहर में चल रहे आरटीओ के चलित पीयूसी केंद्र में जमकर फर्जीवाड़ा हो रहा है। इन्हें कमाई का जरिया बना लिया गया है। जो भी दोपहिया चालक पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) जांच कराने जाता है, पीयूसी सेंटर वाले गाड़ी के पीछे की नंबर प्लेट की फोटो उतारते है, इसके बाद तुरंत 6 माह का सर्टिफिकेट थमाकर 100 रुपए ले लेते हैं। जो वाहन 15 साल पुराने हो गए हैं, चाहे दोपहिया हों या चारपहिया, उनका रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने के लिए पॉल्यूशन सर्टिफिकेट अनिवार्य है। अगर सर्टिफिकेट नहीं है तो वाहन रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं होगा। अधिकांश 15 साल पुराने वाहनखटारा हो गए है, लेकिन पीयूसीसेंटर वाले सभी खटारा वाहनों का प्रदूषण स्तर एकदम ठीक बता रहे हैं। जानकार बताते हैं कि आज तक किसी पीयूसी सेंटर वाले ने किसी वाहन का पीयूसी गलत नहीं बताया। वीडियोग्राफी हो । शहर में जितनी भी पीयूसी जांच वैन घूम रही हैं उन्हें गंभीरता से वाहनों के प्रदूषण की जांच करने का आदेश जारी करना चाहिए। बिना जांच के बाइक का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले बाइक चालकों का कहना था कि पीयूसी सेंटर में वाहनों के प्रदूषण जांच की वीडियोग्राफी होनी चाहिए और इसके आंकड़े कम्प्यूटर परअपलोड कराया जाएं, जिससे विभाग को पता चले कि जिस वाहन की जांच हुई है, उसमें प्रदूषण उत्सर्जन करने की क्षमता कितनी है। वह मानक के मुताबिक है या इससे अधिक है। तभी वायु प्रदूषण पर कंट्रोल किया जा सकता है।
वेबसाइट पर ऑनलाइन फीस नहीं हो रही जमा
Sidhi news:पुराने वाहनों का रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने का फॉर्म ऑनलाइन भरना पड़ता है, लेकिन इसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन फीस जमा नहीं होती है। आवेदकों को मजबूरी में आरटीओ कार्यालय के दलालों के पास जाना पड़ रहा है। दलाल निर्धारित फीस के बाद कमीशन भी वसूल रहे हैं। रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने वाले वाहन चालकों का कहना है कि आरटीओ के अधिकारियों को वेबसाइट पर ऐसा सिस्टम करा देना चाहिए ताकि कोई भी आसानी से ऑनलाइन फीस जमा कर सके। किसी दलाल के पास न जाना पड़े।
ऐसे होती है प्रदूषण की जांच
Sidhi news:1- पीयूसी केंद्र में वाहन के साइलेंसर से निकलने वाले धुएं की जांच की जाती है। साइलेंसर में एक डिवाइस लगाया जाता है, इससे पता चल जाता है कि धुएं में कॉर्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोकॉर्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड कितनी है। 2- वाहन से निकलने वाले धुएं को शासन द्वारा निर्धारित मानकों से मापा जाता है। अगर प्रदूषण का मानक तय सीमा के अंदर है तो ठीक है। उसे पीयूसी का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है। नहीं तो सर्टिफिकेट नहीं दिया जाता है। उसे पहले वाहन ठीक कराने के लिए कहा जाता है।
जांच कराना क्यों अनिवार्य है
Sidhi news:1-पर्यावरण- वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैस, जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड व अन्य प्रदूषक तत्व सीधे वायुमंडल में मिल जाते हैं। ये पर्यावरण के लिए बेहद खराब हैं। 2- स्वास्थ्य वाहनों से निकलने वाला धुआं मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। वायु में प्रदूषण बढ़ जाने से लोगों को कई तरह की बीमारियां हो रही हैं। दमा, श्वास रोग प्रमुख है। 3- जांच का असर वाहनों की समय-समय पर पीयूसी जांच होनी चाहिए, इससे पता चल जाता है कि वाहन का इंजन कैसा है। वाहन हवा को प्रदूषित तो नहीं कर रहा है। 4-पीयूसी जांच न होने पर यातायात या परिवहन विभाग जुर्माना या वाहन जब्ती की कार्रवाई कर सकता है। फाइन लगता है।