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Umaria News: आदिवासी चित्रकला की प्रमुख हस्ती पद्मश्री जोधइया बाई का निधन, क्षेत्र में शोक

Tapas Gupta

By Tapas Gupta

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Umaria News: आदिवासी चित्रकला की प्रमुख हस्ती पद्मश्री जोधइया बाई का निधन, क्षेत्र में शोक

उमरिया तपस गुप्ता 7999276090

Umaria News: आदिवासी चित्रकला की एक प्रमुख हस्ती पद्मश्री सम्मानित जोधइया बाई का निधन रविवार की शाम उनके ग्राम लोधा (उमरिया) स्थित आवास पर लंबी बीमारी के बाद हो गया। जोधइया बाई की चित्रकला ने न केवल आदिवासी कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि उन्होंने अपने अद्वितीय कार्यों से देश-दुनिया में अपनी छाप छोड़ी। उनकी मौत के बाद क्षेत्र में शोक का माहौल है और लोग उनके योगदान को याद कर रहे हैं।

Umaria News: जोधइया बाई के निधन पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने लिखा कि उमरिया जिले के ग्राम लोधा से सुप्रसिद्ध बैगा चित्रकार पद्मश्री जोधइया बाई के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। आज मध्यप्रदेश के साथ देश ने भी एक ऐसी कलाकार को खो दिया, जिन्होंने पूरा जीवन जनजातीय संस्कृति, कला व परंपराओं पर आधारित चित्रकला को देश-विदेश में एक पहचान दिलाई। जनजातीय चित्रकला और समर्पण के माध्यम से आप सदैव याद की जाएंगी। बाबा महाकाल से दिवंगत की पुण्यात्मा को शांति प्रदान करने और परिजनों व प्रशंसकों को अपार दु:ख सहन करने की प्रार्थना करता हूं। ।।ॐ शांति

Umaria News: जोद्धइया बाई, जो शिक्षा से वंचित थीं, ने 70 वर्ष की आयु में चित्रकला सीखनी शुरू की थी। उनके गुरु प्रसिद्ध चित्रकार आशीष स्वामी थे, जिनसे उन्होंने चित्रकला की बारीकियों को सीखा। बैगा समुदाय की इस महिला चित्रकार ने अपनी कला से पूरी दुनिया में आदिवासी चित्रकला की पहचान बनाई और उसे एक नया आयाम दिया।

Umaria News: अपनी कला के माध्यम से जोधइया बाई ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का नाम रोशन किया। 2022 में उन्हें राष्ट्रीय नारी शक्ति सम्मान से नवाजा गया और 2023 में 85 वर्ष की आयु में उन्हें देश का प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्मान प्राप्त हुआ। यह सम्मान उनके समर्पण और कला के प्रति उनकी निष्ठा की पहचान थी।

Umaria News: जोधइया बाई पिछले एक साल से पैरालिसिस सहित अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं, जो अंततः उनकी मृत्यु का कारण बनी। 86 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा ली, लेकिन अपने पीछे उन्होंने एक अमूल्य धरोहर छोड़ दी है– बैगा चित्रकला का वह अद्वितीय रूप जो भारतीय सांस्कृतिक धारा का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। जोद्धइया बाई के निधन से न केवल कला जगत में, बल्कि आदिवासी समुदाय में भी एक गहरी रिक्तता पैदा हो गई है।

 

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मै तपस गुप्ता 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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