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Ramraja sarkar:500 साल की परंपरा टूटी,नहीं लगेगी बंदूक मे बिनेट

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Ramraja sarkar: पाँच सौ वर्ष पुरानी चली आ रही परंपरा में बदलाव , अब संत्ररी की बंदूक़ में नहीं लगेगी बेनेट (चाकू)

 

Ramraja sarkar: निवाड़ी जिले के ओरछा स्थित रामराजा सरकार मंदिर में 500 वर्षों से भगवान को राजा के तौर पर सलामी देने की परंपरा अनवरत जारी है। भगवान रामराजा को चारों पहर मध्य प्रदेश पुलिस के जवान सशस्त्र सलामी देते रहे हैं लेकिन एक आदेश के बाद से सलामी की परंपरा में पुलिस ने कुछ बदलाव किए हैं।

अब सलामी देने वाले जवान की बंदूक के आगे लगे बेनेट यानी चाकू को हटा दिया गया है। पहले रामराजा सरकार को जिन बंदूकों से सलामी दी जाती थी उन पर आगे बेनेट लगा होता था, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते इन बेनेट को यानी चाकू को बंदूक से हटा दिया गया है।

Ramraja sarkar: ओरछा तहसीलदार व मंदिर व्यवस्थापक सुमित गुर्जर ने बताया कि मंदिर में राम राजा सरकार को सलामी देने की परंपरा 500 वर्ष पुरानी है यहाँ संत्री द्वारा भगवान को सलामी दी जाती है जो की दिनभर मंदिर में उपस्थित रहता है उन्होंने ऐसा करने के पीछे मुख्य कारण सुरक्षा बताया है।

मंदिर में बढ़ती भीड़ और कहीं संत्री किसी वजह से अपना आपा खोकर इसका गलत उपयोग ना कर लें, इसलिए एहतियातन निवाड़ी पुलिस अधीक्षक ने इस व्यवस्था में बदलाव किया है और बंदूक के आगे से बेनेट को हटवाया है। 

तो वही विभाग के ही कुछ कर्मचारियों का कहना है कि कुछ दिन पहले एक वरिष्ठ अफसर आए थे उन्होंने बेनेट के साथ सलामी को देखकर एहतियातन व्यवस्था में सुधार के लिए कहा था। ताकि परंपरा भी बनी रहे और किसी प्रकार की सुरक्षा में चूक भी न हो।

स्थानीय निवासी अखिलेश नारायण समेले का कहना है कि भगवान को बंदूक़ में बेनेट लगाकर सलामी देने की परंपरा 500 वर्ष पुरानी है आजतक इतने वर्षों में किसी भी दर्शनार्थी को बेनेट से चोट नहीं आई और न ही कोई घटना हुई है , इस तरह का निर्णय ग़लत है परंपरा का ख़िलाफ़ है इसको वापस लेना चाहिए।

अभी कुछ दिनों पहले ही बढ़ाए गए थे जवान

भगवान श्री राम राजा सरकार को पहले केवल एक पुलिस जवान गार्ड ऑफ ऑनर दिया करता था। जवान की बंदूक में बेनेट लगा रहता था और वह पूरे समय जब तक मंदिर खुलता है तब तक मंदिर के बाहर पहरा देता था। कुछ दिन पूर्व कलेक्टर अरुण विश्वकर्मा ने परंपरा को वृहद रूप देने के लिए 1 -4 की गार्ड से इस परंपरा का निर्वहन करवाना शुरू किया जिसमें बीच मे खड़े एक गार्ड की बंदूक में बेनेट रहती थी और शेष अन्य बिना बेनेट के सलामी देते थे। और दिन भर पहरे के लिए एक गार्ड तैनात रहता था।

राम राजा सरकार को सलामी देने का इतिहास कुछ इस तरह है की ,बुंदेली शासकों की नगरी रही ओरछा का रामराजा सरकार मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर रामराजा को दिन में चार बार सशस्त्र सलामी दी जाती है। यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है और इसे राजा मधुकर शाह प्रथम ने शुरू की थी।

रानी कुंवर गणेश संवत 1631 में भगवान श्रीराम को ओरछा लाई थी। उसके बाद राजा मधुकर शाह प्रथम ने भगवान श्रीराम को ओरछा का राजा घोषित कर दिया था, वे स्वयं कार्यकारी नरेश के तौर पर ओरछा के शासक रहे। राजा मधुकर शाह प्रथम ने ही भगवान श्रीराम को सशस्त्र सलामी की परंपरा शुरू की थी।

यहां दिन में चार बार आरती भी होती है। इनमें सुबह आठ बजे, दोपहर में साढ़े 12 बजे राजभोग आरती, रात 8 बजे शाम की आरती और रात साढ़े दस बजे आरती होती है। इसी समय भगवान को सशस्त्र सलामी दी जाती है।

राजा मधुकर शाह के कार्यकाल के बाद से आजादी तक राज परिवार की ओर से यहां तलवारों से गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा रही। विशेष आयोजन जैसे रामनवमी, सावन तीज, जल झूलनी एकादशी (डोल ग्यारस), होली और विवाह पंचमी पर यहां तोप भी चलती थी। आजादी के बाद 1947 में ओरछा रियासत के अंतिम शासक राजा वीर सिंह जूदेव द्वितीय ने रियासत का उत्तरदायित्व सरकार को सौंपा। तब से लेकर अब तक बंदूक के जरिए जवान इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं।

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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