Sidhi news:जिले में राजस्व विभाग का काम कराने के लिए लोगों को रिश्वत देने की मजबूरी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। राजस्व विभाग में निचले अमले को बिना पैसा दिए कोई काम होना संभव नहीं है। स्थिति यह है कि किसानों से हल्का पटवारी खुलेआम सुविधा शुल्क लिए बिना कोई काम नहीं करते। फिर भी स्थिति यह है कि राजस्व विभाग के कर्मचारी रिश्वत की मांग करना एवं लेना नहीं छोड़ रहे हैं। रिश्वत देकर काम कराने के लिए लोग भी पीछे नहीं हटते। यह अवश्य है कि कई बार जब रिश्वत की मांग मनमानी तरीके से की जाती है। रिश्वत लेते कई हल्का पटवारी ट्रेप भी हो चुके हैं फिर भी उनके द्वारा रिश्वत मांगने का क्रम नहीं थम रहा है।
Sidhi news:अनावश्यक रूप से परेशान होने पर किसान राजस्व अमले की शिकायत लोकायुक्त पुलिस रीवा के पास करते हैं। जिले में स्थिति यह है कि किसानों से हल्का पटवारी खुलेआम सुविधा शुल्क की मांग करते हैं। छोटा काम भी पड़ जाने पर हल्का पटवारियों द्वारा बिना सुविधा शुल्क लिए काम करने में हीलाहवाली की जाती है। इसी वजह से राजस्व विभाग में काम पड़ जाने पर लोगों को रिश्वत देने की मजबूरी निर्मित हो जाती है। यह अवश्य है कि राजस्व अमले की रिश्वत मांगने की शिकायत काफी कम संख्या में ही पहुंचती है। जानकारों का कहना है कि राजस्व विभाग से संबंधित कार्य पड़ जाने पर लोग यह मानकर चलते हैं कि बिना सुविधा शुल्क दिए उनका काम हो पाना संभव नहीं है। नामांतरण, बटवारा, सीमांकन सेसंबंधित प्रकरणों में हल्का पटवारी एवं राजस्व निरीक्षक पक्षकारों से खुलेआम भारी भरकम रिश्वत की मांग करते हैं। यदि कोई पक्ष इनको मुंहमांगी रिश्वत नहीं देता है तो रिकार्डों में हेराफेरी कर उसे अदालती कार्यों में उलझा दिया जाता है। जिले में नामांतरण, बटवारा और सीमांकन से संबंधित सैकड़ों प्रकरण निराकरण की राह में लंबित हैं। राजस्व अमले को मुंहमांगी सुविधा शुल्क न मिलने के कारण उनके द्वारा उक्त प्रकरणों का निराकरण नहीं किया जाता वहीं सुविधा शुल्क मिल जाने पर राजस्व निरीक्षक एवं हल्का पटवारी बिना किसी सक्षम आदेश के भी जंजीर लेकर भूमि की नापजोख एवं सीमांकन करने के लिए मौके पर पहुंच जाते हैं। इसी वजह से सीधी जिले के तहसील कार्यालयों में काफी संख्या में अविवादित प्रकरणों का भी निराकरण नहीं हो पा रहा है। राजस्व अमले द्वारा रिश्वत के मामलों में लोकायुक्त की कार्यवाही के बाद कई लोगों को रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद भी सुधरना नहीं चाहते।
Sidhi news:किसानों से खुलेआम पटवारी मांगते हैं सुविधा शुल्कराजस्व विभाग में यह परम्परा बन चुकी है कि किसी भी पक्षकार का कार्य बिना सुविधा शुल्क लिए नहीं करना है। हैरत की बात तो यह है कि ऐसे मामलों में छोटे स्तर के अधिकारी भी कोई कार्यवाही करने की जरूरत नहीं समझते हैं। इसी वजह से हल्का पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों में रिश्वत मांगने का एवं कार्यवाही होने का कोई भी खौफ सीधी जिले में नहीं देखा जा रहा है। जानकारों के अनुसार राजस्व विभाग की स्थिति यह है कि यहां अधिकारियों के मातहतों द्वारा छोटे कामों के लिए भी सुविधा शुल्क पर नजर रखी जाती है। यदि कोई सुविधा शुल्क नहीं देता तो जो काम तत्काल होना चाहिए उसके लिए भी कई दिनों तक कार्यालय के चक्कर कटवाए जाते हैं। अब तो स्थिति यह है कि तहसीलों में काम करने वाले कम्प्यूटर ऑपरेटर भी फीडिंग के नाम पर सुविधा शुल्क की मांग खुलेआम करने में पीछे नहीं हैं। तहसील कार्यालयों में सुविधा शुल्क के बिना और भी कोई काम नहीं हो पाता। सामान्य प्रमाणपत्र के लिए भी लोगों से खुलेआम सुविधा शुल्क की मांग की जाती है। न देने पर कागजों में कमियां निकालकर उसको रिजेक्ट करा दिया जाता है।
Sidhi news:डिजिटल राजस्व नकल मिलने से राहत राजस्व विभाग में हल्का पटवारियों को सबसे ज्यादा रिश्वत खसरा, खतौनी, बी-1, नक्शा कीbनकल देने से मिलता था। इसकी शिकायत उच्च स्तर पर होने पर अब राज्य शासन द्वारा राजस्व विभाग को उक्त दस्तावेजों की नकल देने की व्यवस्था लोकसेवा गारंटी के माध्यम से कर दी गई है। डिजिटल राजस्व नकल मिलने की व्यवस्था बन जाने के बाद चंद रूपए शुल्क देकर संबंधित व्यक्ति बिना किसी भटकाव वांछनीय राजस्व नकल कम समय में प्राप्त कर सकता है। यहव्यवस्था लागू हो जाने के बाद से हल्का पटवारियों की ऊपरी आमदनी पर सबसे ज्यादा असर पहुंचा। नतीजन अब हल्का पटवारियों द्वारा ऊपरी कमाई करने के लिए सीमांकन, बटवारा एवं नामांतरण के प्रकरणों का ही सहारा लिया गया है। उक्त कार्य पड़ जाने पर लोगों से मुंहमांगी रिश्वत मांगी जाती है। हल्का पटवारियों को यदि मांगी गई रकम नहीं मिली तो उनके द्वारा संबंधित व्यक्ति के राजस्व रिकार्डों में भी हेराफेरी करने से गुरेज नहीं किया जाता। वर्तमान में स्थिति यह है कि हल्का पटवारियों द्वारा मनमानी तौर पर खसरे में कब्जा एवंलायन दर्ज किया जा रहा है। जिसके चलते विवाद के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैंऔर लोग न्यायालयीन कार्यों में उलझकर परेशान है।