Sidhi news: सिर्फ कागजों में चल रहा है बैगा प्रोजेक्ट, विकास के नाम पर सिर्फ कर रहे खानापूर्ति
Sidhi news : सीधी जिले में बैगा प्रोजेक्ट सिर्फ नाम के लिए चल रहा है, क्योंकि यहां बैगा जाति की संरक्षण और संवर्धन के बजाय कागजों में विकास करते हुए क्षेत्रीय अधिकारी कर्मचारी नजर आ रहे हैं।
दरअसल यह पूरा मामला सीधी जिले के जनपद पंचायत कुसमी अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरी का है। जहां ग्राम खैरी से देवदंडी पहुंच मार्ग में मराठा नदी स्थित है जिसके गेरमनिया नाल में पुल का निर्माण कराया गया था। जो लगभग 15 लाख रुपए की लागत से निर्मित था। वह पहले ही बरसात में धराशाई हो गया यानी बैगाओ के लिए बनाए गए यह पुल एक झटके में ही खत्म हो गया।
Sidhi news : आपको बता दे की ग्राम खैरी में 80 फ़ीसदी आबादी बैगा समुदाय की है। सरकार ने उनके लिए करोड़ों रुपए का प्रोजेक्ट स्वीकृत किया है जो अलग-अलग क्षेत्र में उनके विकास कार्य के लिए रखा गया है। यह एक ऐसी जाति होती है जो की विलुप्त होने की कगार पर है इसलिए सरकार इसके संरक्षण करने का प्रयास कर रही है। लेकिन उनके विकास की जगह है इनका विनाश सरकार के कुछ नुमाइंदे रहे हैं।
यह एक ऐसी पुल थी जिससे होकर प्राथमिक विद्यालय और आंगनवाड़ी में बच्चे पढ़ने के लिए जाया करते थे। यानी उनकी नीव इसी रास्ते से होकर गुजरती थी। लेकिन पुल टूट गया जिसकी वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं और ना ही आंगनवाड़ी में उन्हें पोषण आहार मिल पा रहा है। जहां शासन हर संभव प्रयास तो करती है लेकिन इसी प्रकार की कार्यप्रणाली की वजह से अक्सर घटनाएं निकाल कर सामने आती है।
आपको बता दें कि लाखों की लागत से निर्मित यह पुल res विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग के सहयोग से बन रहा था लेकिन ठेकेदार को अच्छे तरह से मुनाफे देने के चक्कर में गुणवत्ता विहीन कार्य किया गया। जिसका नतीजा यह हुआ की पूरी तरह से पल धराशाई हो गया।
सवाल यही उठता है कि आखिर पुल का निर्माण कराया गया था तो इसकी गुणवत्ता का ध्यान क्यों नहीं दिया गया?
जयपुर का निर्माण कार्य हो रहा था तो अधिकारी और इंजीनियरों ने मौके पर आकर इसे देख क्यों नहीं?
अब जब पुल धराशाई हो गया है तो इसके निर्माण कार्य के लिए जिम्मेदारों पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
बरहाल सीधी जिले का प्रशासन शून्य है और कुछ कर्मचारियों के आगे नतमस्तक होता हुआ दिखाई दे रहा है। यहां सिर्फ कागजों में प्रोजेक्ट चलते हैं और कागजों में समाप्त हो जाते हैं लेकिन कुछ चुनिंदा लोग उन प्रोजेक्ट का गलत फायदा उठाते हैं और अपने आप को समृद्ध साली बनाते हैं। ऐसे में देखने वाली बात यह है कि प्रशासन क्या इस पर कार्यवाही करता है और जिम्मेदारों पर कार्रवाई होती है या सिर्फ यह एक कोरमा पूर्ति की तरह देखा जाएगा।