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Sidhi news: शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों में वितरित होने वाले मध्यान्ह की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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Sidhi news: स्कूली बच्चों को पौष्टिक आहार देने के लिए बनाई गई महत्वाकाक्षी योजना मिड-डे मील में ही उन्हे शुद्ध खाना भी नहीं मिल रहा।

संवाददाता अविनय शुक्ला (7723041705)

Sidhi news: ऐसे में स्पष्ट है कि यहा आने वाले छात्रों का स्वास्थ्य खतरे में है। हम खुलासा कर रहे है शहर में वितरित होने वाले मध्यान्ह भोजन का। जहां स्कूल आने वाले बच्चों को नियमित रूप से मिड-डे मील आहार दिया जाता है, लेकिन इसकी गुणवत्ता पर उठने वाले सवालों में कोई कमी नहीं आई है। भोजन में पाई जाने वाली कमियों को दूर करने का प्रयास तो दूर इसके निर्देशों का पालन करने में भी लापरवाही बरती जा रही है। शहरी क्षेत्र के स्कूलों में मिड-डे मील के आहार-चार्ट के अनुसार भोजन देना तो दूर उसके बारे में बच्चों को जानकारी भी दे रहे है। संस्थाएं और एजेसियां भी लापरवाह है। इन एजेंसियों के मिड-डे मील संचालक के साथ-साथ स्कूल के प्रभारी शिक्षक को भोजन की देखरेख और उसके स्वाद की परख की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। लेकिन यह प्रक्रिया प्रत्येक क्षेत्र में कारगर नहीं हो सकी है। स्कूल के बच्चों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भले ही मिड-डे मील की शुरुआत की गई हो, लेकिन मौजूदा समय में इसकी हालत चिंतनीय है। भोजन के चार्ट का कई स्कूलों से गायब होना ही इसकी हकीकत बयां करता है।

Sidhi news: शहरी क्षेत्रों के स्कूलों से आहार चार्ट तो लटक रहा हैं। लेकिन चार्ट के अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है। आहार में गड़बड़ियों की घटना से यह स्पष्ट है कि इस बारे में नियमों के पालन और सुचारू व्यवस्था का स्कूलों में अभाव है।

पोषक तत्वों की कमी

Sidhi news: मिड-डे मील आहार के माध्यम से हर हफ्ते बच्चों को अलग-अलग पोषण वाले आहार देने के नियमों के पालन में लापरवाही बरती जा रही है। इसके कारण बच्चों को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है। बच्चों को अलग-अलग प्रकार के व्यंजनों की लिस्ट के माध्यम से बच्चों में वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी को मात्रा को संतुलित रखना था। लेकिन इस कार्य में अब तक सफलता नहीं मिल सकी है।

समूह संचालक स्कूल प्रबंधन पर बनाते हैं दबावः

Sidhi news: सरकारी स्कूलों में बंटने वाले मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता परखने मीडिया द्वारा शहर के कई प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में पहुंची। यहां स्वसमूह द्वारा पहुंचा गए भोजन व रोटी की कालिटी देखी। बच्चों व स्टाफसे इस संबंध में जानकारी ली। इस दौरान स्टाफ ने दबे स्वर में बताया कि वे पहले लिखित व मौखिक रूप से एमडीएम की गुणवत्ता को लेकर शिकायत कर चुके हैं। लेकिन गुणवत्ता में सुधार की वजाए हम पर ही शिकायत नकरने के लिए विभिन्न माध्यमों के जरिए दबाव डाला गया। यही कारण है कि अब स्टाफ ज्यादातर शिकायत करने से डरता है। स्टाफने खुलकर बताया कि यदि सब कुछ ठीक है तो प्रशासन के अधिकारी स्कूल आकर खुद खाना खाकर देख लें पूरी हकीकत सामने आ जाएगी।

जांच में सब मिलता है

Sidhi news: ओके कई बार शिकायतों के बाद अगर अधिकारी अपनी कुर्सी से हिलकर स्कूलों का निरीक्षण करने पहुंचते है तो सबसे पहले स्कूल में पदस्थ शिक्षक पर शिकायत का दबाव बनाते है कि आप शिकायत करें तो मैं समूह संचालक के खिलाफ कार्रवाई करूंगा। अगर आप शिकायत नहीं करोगे तो मैं समूह संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करूंगा और अंत में अधिकारी द्वारा बढ़िया क्वालिटी का मध्यान्ह बताकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेते है।

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