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Sidhi news:आखिर कब उठेगा समग्र शिक्षा घोटाले से पर्दा

Manoj Shukla

By Manoj Shukla

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Sidhi news:कलेक्टर को शपथ पत्र देकर बताई थी मामले की सच्चाई-एफआईआर का डर दिखाकर करवाये गए थे हस्ताक्षर

Sidhi news:सीधी जिले में कुछ माह पूर्व राज्य शिक्षा केन्द्र में लाखो का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था जिसको लेकर तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ द्वारा टीम का गठन कर तीन दिवस में प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गए थे, टीम ने जांच जरूर की लेकिन एकाउंटेंट को दोषी बनाकर जांच बंद करने की सिफारिस की गई थी। लेकिन उसके बाद एकाउंटेंट ने शपथ पत्र देकर गुहार लगाई थी कि सबकी सहमति से यह खेल हुआ था। लेकिन इस मामले को अब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

Sidhi news:उल्लेखनीय है कि शासकीय स्कूलों में आवश्यक सामग्री की खरीद फरोख्त सहित आवश्यक कार्य के लिए राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा बजट उपलब्ध कराने के साथ ही उसे खर्च करने के लिए बनाए गए डीजीजीओव्ही पोर्टल में फर्जीवाड़ा कर लाखों का घोटाला करने वाले कर्मचारी पर अधिकारी मेहरबान हैं। बता दें कि स्कूलों के प्राचार्यों और प्रधानाध्यापकों को भनक तक नहीं लगी और उनका आईडी पासवर्ड विभाग के कर्मचारी द्वारा उपयोग कर लाखों रुपए वेंडर को भुगतान कर दिया गया था। जब पोर्टल से राशि गायब हो गई तो प्राचायों और प्रधानाध्यापकों को इसकी जानकारी हुई। मामले की शिकायत की गई तो तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ राहुल नामदेव धोटे द्वारा आनन-फानन में जांच कमेटी का गठन किया गया। जिसमें राजेश तिवारी डीपीसी को अध्यक्ष, सुजीत मिश्रा प्रभारी अधिकारी एवं रविन्द्र त्रिपाठी प्रोग्रामर को को सदस्य बनाकर तीन दिवस में जांच करने के निर्देश दिये गए थे। तब जांच टीम द्वारा सिर्फ एकाउंटेंट को दोषी बनाकर जांच बंद करने की सिफारिस की गई थी।

6 मार्च को दिया शपथ पत्र

Sidhi news:जिला शिक्षा केन्द्र के लेखापाल नीलेश कुमार नामदेव ने 100 रूपये के शपथ पत्र में उल्लेख किया था कि जिस जबाव में मेरे हस्ताक्षर कराये गए थे उक्त जबाव मेरे द्वारा नही तैयार किया गया था एवं न ही इस प्रकार का कथन मेरे कहा गया वही जांच समिति द्वारा पूर्व से ही तैयार जबाव पर प्रार्थी को दबाव देकर एफआईआर का भय दिखाकर हस्ताक्षर कराया गया था। पूर्व में संलग्ग जबाव में राशि अंतरण सम्पूण रूप से प्रार्थी को जिम्मेदार ठहराया गया है जो पूर्णतः सत्य नही है। जबकि प्रार्थी राशि अंतरण के लिए लागिन आईडी एवं पासवर्ड प्रार्थी को जारी नहीं किया गया था। जिसके बाद उक्त मामले को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे है। लेकिन अब मामले को ठंडे बस्ते में कैद कर दिया गया है।

सबके संज्ञान में ट्रांसफर की गई राशि

Sidhi news:किसी भी विभागीय राशि को किसी बैंक खाता में अंतरण के लिए आईडी एवं पासवर्ड उपयोगकर्ता मेकर के पश्चात् व्हेरीफायर द्वारा व्हेरीफाईड कर दिये जाने के बाद एप्रूवर द्वारा अंतिम निर्णय दिये जाने पर ही राशि का अंतरण होता है। इस प्रकार अलग-अलग तीन चरणों में कार्य की दशा में मात्र प्रार्थी को ही सम्पूर्ण रूप से राशि अंतरण में शामिल होना सिद्ध किया गया, जो सत्य नहीं है। उक्त राशि अंतरण के लिये दिलीप कुमार पाण्डेय कम्प्यूटर ऑपरेटर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय (रमसा) सीधी एवं दयाशंकर सोनी लिपिक जनपद केन्द्र कुसमी इसी प्रकार अन्य विकासखण्ड के मेकर एवं आईए एडमिन प्रभारी के द्वारा लॉगिन आईडी एवं पासवर्ड राशि अंतरण हेतु उपलब्ध कराया गया था, जिनके निर्देशन एवं संज्ञान में राशि अंतरण की कार्यवाही की गयी।

अपर कलेक्टर के नेतृत्व में हो रही जांच

Sidhi news:जिले की शासकीय शालाओं में विभिन्न मदों में आवंटित बजट को फर्जी तरीके से अज्ञात व्यक्ति द्वारा राशि आहरण करने सम्बन्धी शिकायत पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सीधी द्वारा जांच समिति गठित की गई थी। उक्त जांच समिति द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन के अवलोकन उपरांत पाया गया कि जांच प्रतिवेदन विस्तृत नहीं है। शालाओं के पोर्टल से अज्ञात व्यक्ति द्वारा सम्बन्धित विद्यालय की सहमति के बगैर किस प्रकार राशि निजी फर्म को स्थानांतरित की गई इसकी प्रक्रिया तथा इस सम्पूर्ण प्रकरण में जिस कर्मचारी द्वारा अपनी स्वीकारोक्ति की गई है, उसके अतिरिक्त अन्य कौन-कौन अधिकारी-कर्मचारी की क्या भूमिका थी स्पष्ट नहीं होता है, जबकि उक्त पोर्टल से राशि भुगतान-स्थानांतरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन व सम्बन्धित मेकर एप्रूवर की आईडी से निष्पादित होता है। इस प्रकार उक्त जांच समिति द्वारा प्रकरण की सूक्ष्म जांच नहीं की गई है, जिस पर कलेक्टर द्वारा राजेश शाही अपर कलेक्टर को अध्यक्ष, डॉ डीके द्विवेदी सहायक संचालक आदिवासी विकास विभाग, अशोक शुक्ला लेखाधिकारी मनरेगा, जिला पंचायत सीधी, विजय सिंह एमआईएस डाटा मैनेजर कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी, रवीन्द्र त्रिपाठी, ओंकार विक्रम सिंह सहायक प्रबंधक को सदस्य बनाकर 10 जून 2024 तक प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गए थे। लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही हो पाई है।

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Manoj Shukla

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मै मनोज कुमार शुक्ला 9 सालों से लगातार पत्रकारिता मे सक्रिय हूं, समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना ही मेरी पहली प्राथमिकता है।

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