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Sidhi news:छुक-छुक पटरी पर कब दौड़ेगी रेल, रुक-रुक कर जनप्रतिनिधियों का बिन पटरी अखवारी खेल- उमेश तिवारी

Abhinay Shukla

By Abhinay Shukla

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Sidhi news:ललितपुर से सिंगरौली तक रेलवे लाइन के लिए 1955 से करीब 70 वर्षों से इस रेलवे लाइन को लेकर लोगों ने तरह-तरह के सपने संजोये है कुछ इस इंतजार में बूढ़े हो गए कुछ इस दुनिया से चले गए। इतने समय से सरकारे आती जाती रही और हर रेल बजट में लोग उम्मीदें लगाते रहे लेकिन इतना लंबा समय गुजर गया और लोगों की उम्मीदें सपनें तक ही है? रेल कभी ना कभी अब तक नहीं तो कभी तो सीधी तक आजाएगी पर सांसद विधायक के द्वारा झूंठी बयानबाजी कर वाहवाही लूटने की निंदा करते हुए टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि किसी भी दल का सांसद या विधायक रहा हो रेलवे लाइन हेतु इनका प्रयास बाहवाही लूटने के लिए अखबारी बयान बाजी तक का ही रहा है।

जिस प्रकार कबीर ने कहा है कि-

जो कबीर काशी में मरिहें, रामहिं कौन निहोरा?

हिन्दुओं का विश्वास है कि काशी में मरने से मुक्ति होती है। कबीर कहते हैं कि अगर काशी में मरने के कारण मुक्ति मिलती है, तो उसमें ईश्वर का क्या एहसान?उसी तरह स्वाभाविक है सीधी सिंगरौली रेल मार्ग का बनना जो कभी ना कभी बनेगा इसके श्रेय के हकदार जन प्रतिनिधि तों कतई नहीं है!

Sidhi news:श्री तिवारी ने बताया कि विंध्य प्रदेश को मध्य प्रदेश में विलय का विरोध पुरजोर तरीके से किया जा रहा था आंदोलनकारियों से विंध्य क्षेत्र के विकास के लिए रेल मार्ग का वादा किया गया और तब राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपने 1955 के प्रतिवेदन में विंध्य प्रदेश क्षेत्र की जनता की इस मांग को स्वीकार किया गया था कि इस क्षेत्र में रेलवे मार्गों का निर्माण आवश्यक है। प्रतिवेदन में टीकमगढ़ से सीधी को रेलवे लाइन से जोड़ने की सिफारिश की गई थी। इसके प्रथम चरण के रूप में द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1957 से 1962) में सतना से रीवा होकर गोविंदगढ़ तक के लिए रेलवे लाइन के निर्माण का प्रस्ताव किया गया था किंतु उक्त प्रस्ताव कागज पर ही लिखा रह गया।

Sidhi news:1962 तक गोविंदगढ़ तक रेल लाइन बन जानी चाहिए थी पर ऐसा नहीं हुआ। विंध्य विकाश परिषद (समाजवादियों का संगठन) द्वारा 16 दिसंबर 1969 को राष्ट्रपति महोदय, प्रधानमंत्री जी को ज्ञापन सौंप कर राज्य पुनर्गठन आयोग के प्रतिवेदन (1955) के अनुसार ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन का निर्माण शीघ्र कराने की मांग की गई थी। 1977 में तत्कालीन रेल मंत्री श्री मधुदंडवते ने संसद में ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन की घोषणा की थी। जनप्रतिनिधियों का जनता के प्रति जबावदेह न होने के चलते अभी तक इस रेलवे लाइन का सपना साकार नहीं हुआ। किसी भी दल के चुने गए जनप्रतिनिधि को इस रेलवे लाइन को पूर्ण कराने के लिए न सदन में (संसद) अड़ते देख गया न सड़क पर लड़ते देखा गया।

Sidhi news:श्री तिवारी ने कहा कि जहां लोगों को रेल की छुक-छुक कर पटरी पर दौड़ने का इंतजार है वही रेल आने की रुक-रुक कर सांसद विधायक की बिन पटरी झूठी बयान बाजी कर जन भावना से खेलना आपत्तिजनक है। रेल पटरी पर जब दौड़ेगी तब! पर सांसद विधायक के भाग दौड़ (जंगल के राजा बंदर जैसी) में कमी नहीं कभी संसद गोविंदगढ़ से हरी झंडी दिखाते हैं तो बढ़कर विधायक बघवार से हरी झंडी दिखा रहे। ऐसी ही होड में रामपुर, चुरहट, सीधी तक रेल सरपट दौड़ रही है। स्थित है रेल चली भाई रेल चली, रेल चली भाई रेल चली छुक-छुक कर छुक-छुक कर रेल चली बिन पटरी के दौड़ चली। इंजन सांसद विधायक और डिब्बे हैं पार्टी के नेता, शोर मचाती सिटी देती स्टेशन पर रूकती जाती, यात्री इसमें नहीं बैठते, पार्टी कार्यकर्त्ता है बैठते, स्टेशन के आ जाने पर पहले वाले हट जाते और नए बैठ जाते।

Sidhi news:बयान बीर जनप्रतिनिधियों के लिए ही किसी ने क्या खूब कहा है लश्कर भी तुम्हारा सरदार भी तुम्हारा तुम झूठ को सच लिख दो अखबार भी तुम्हारा।

सादर प्रकशनार्थ

प्रवक्ता

टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा

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